कोहबर में क्वोरंटीन बाबू साहेब का दालान। 1 अप्रैल की तिथि और दोपहर का समय। सभा में बाबू साहेब के नेतृत्व में वर… Continue reading “कोहबर में क्वोरंटीन”…
भादो की मूसलाधार बारिश दोपहर से ही बादल मानो एक ही दिन में सारी प्यास बुझाने को आतुर हो रहे हों। अमर को… Continue reading “भादो की मूसलाधार बारिश”…
बाट जोहते अनगिनत ‘बाबा का ढाबा’ अशोक से खरीदा गया वो आखिरी पेन आज हाथ में है, लेकिन उससे कुछ लिखने का मन नहीं है। अशोक… Continue reading “बाट जोहते अनगिनत ‘बाबा का ढाबा’”…
शुद्ध हिन्दी की सजा निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।। हिन्दी दिवस पर… Continue reading “शुद्ध हिन्दी की सजा”…
हिन्दी का स्वप्नलोक मन की उदासी कचोट रही थी। ऐलन मेरे पास बैठा था। मैंने उससे कहा, “तुम सबके लिए आसान है, मेरे लिए नहीं।… Continue reading “हिन्दी का स्वप्नलोक”…
जन्मदिन सन २०१४, मई का महीना। शहर के अस्पताल के आठ बेड वाले आईसीयू वार्ड में मध्य रात्रि का काल। एक… Continue reading “जन्मदिन”…
अप्रत्याशित प्रबोधक अगस्त की बारिश का जादू नैराश्य से भरे मन को भी प्रफुल्लित कर देने की क्षमता रखता है। शहर के… Continue reading “अप्रत्याशित प्रबोधक”…
तुम जो मिल गये हो वो मुझे याहू चैट रूम में मिली थी। किशोर कुमार के गाने का ग्रुप था, या लता मंगेशकर का, यह… Continue reading “तुम जो मिल गये हो”…
रॉकिंग चेयर घर के बरामदे में पड़ा रॉकिंग चेयर मेरे बेटे लक्ष्य के चुहल से कभी कभी हिल जाता था। बाहर लॉन… Continue reading “रॉकिंग चेयर”…
अंतिम विदाई मालाऽ पानी देना … आधी रात, दोपहर या फिर सुबह सबेरे … शंकर चाचा बिना माला चाची के हाथ का… Continue reading “अंतिम विदाई”…
एक शीर्षकहीन कथा जन्म के पश्चात जब से मेरी आँखें खुलीं तब से केसरी नभमण्डल में अस्ताचल के पीछे ढलता हल्का सा रक्तवर्णी… Continue reading “एक शीर्षकहीन कथा”…
पंच फिर बने परमेश्वर गाँव के बीचोबीच बरगद के पेड़ तले आज बड़ी हलचल थी। इतवार की सुबह आज पूरा गाँव धीमे धीमे जमा… Continue reading “पंच फिर बने परमेश्वर”…
भेटनर भईया “का हुआ भेटनर भईया”, हाथ पर लगी पट्टी देखकर चेला टैप लड़के ने पूछा। उत्तर मिला; “छुरा लागल बा।” तब… Continue reading “भेटनर भईया”…
हमार बरखू कनेर के पीले फूल रात में चमक नहीं रहे थे पर दूर से आते हरई की लालटेन से फूल चौंधिया… Continue reading “हमार बरखू”…
दर्पण शरद, “हाँ तो प्रेम, तुम्हारी शादी का क्या हुआ?” प्रेम, “यार, फिक्स हो गयी। इसी अप्रैल में है।” शरद, “अर्रे, तुम फ़ोन पर… Continue reading “दर्पण”…
मैं चला जाऊँगा “तेरे को पता है, रोहित ने लास्ट एग्जाम के दिन पायल को प्रपोज कर दिया और वो भी मान गई।”… Continue reading “मैं चला जाऊँगा”…
हमेशा के लिए अवरूद्ध चारों ओर अंधकार था। इस घुप्प अंधकार में वह पुच्छल तारे जैसा जीव अपने निर्धारित मार्ग पर चलता हुआ अपने… Continue reading “हमेशा के लिए अवरूद्ध”…
आस के चार बूँद हवाई जहाज में पंकज कभी उड़ान से भी ऊँचा उड़ने लगता तो कभी पाताल में गोता लगा बैठता। अपनी खुशी… Continue reading “आस के चार बूँद”…
भूत की व्यथा दृश्य 1:- अरे … अरे … मैं अचानक से आसमान में क्यों आ गया? अरे, मैं तो नीचे गिर रहा… Continue reading “भूत की व्यथा”…
वो जा चुकी थी … बहुत रात बीत गई थी। सुधा की आँखों में नींद नहीं थी। जाग तो रमेश भी रहा था पर आँखें… Continue reading “वो जा चुकी थी …”…
दूसरी शहादत राजस्थान के पश्चिमी इलाकों में गाँव प्रायः शांत स्वभाव के होते हैं। मुझ जैसे शहरी जीव शांति की खोज में… Continue reading “दूसरी शहादत”…
बे-कार: भाग-3 … गतांक से आगे “चालीस हज़ार किस बात के”, माड़साब अचंभित होकर उसे देख रहे थे। माड़साब से भी ज्यादा… Continue reading “बे-कार: भाग-3”…
बे-कार- भाग: 2 … गतांक से आगे “अच्छा तो आप ही है शैलेश जी “, उस व्यक्ति ने खड़े होकर बड़ी ही गर्मजोशी… Continue reading “बे-कार- भाग: 2”…
बे-कार – भाग:1 बाहर से पोस्टमैन की आवाज़ आते ही शैलेश जी बाहर की तरफ लपके और पोस्टमैन से लिफाफा लि उस लिफ़ाफ़े… Continue reading “बे-कार – भाग:1”…
मोंढ़ेरा में सूर्योदय कहते हैं कि वर्षों पूर्व इस क्षेत्र को धर्मारण्य कहा जाता था। रावण वध के पश्चात श्री राम ने… Continue reading “मोंढ़ेरा में सूर्योदय”…
प्रेम प्रतिशोध कई बार ऐसा होता है कि हम कुछ काम कर रहे होते हैं और कानों में हैंड्सफ्री म्यूजिक ऑन होता… Continue reading “प्रेम प्रतिशोध”…
पलायन “सर पर धूप निकल आई थी। बारह बज रहे होंगे”, थकी रचना ने पति सुदामा से कहा। सुदामा बोला, “अभी… Continue reading “पलायन”…
फिर एक क्रांति दौर ऐसा था कि लाइसेंस परमिट राज पूरा गया नहीं था, उदारवाद उमड़कर आया नहीं था। साम्यवाद अभी सरका नहीं… Continue reading “फिर एक क्रांति”…
मनोमंथन प्रो-टैक सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन्स, शहर की सैंकड़ों साफ्टवेयर कंपनियों में से एक मध्यम आकार की आईटी कंपनी का ऑफिस। बाहर मई… Continue reading “मनोमंथन”…
आहुति – भाग:2 लाठी का जोर दिन का पहला पहर ही था। मँझिले के घर में किशोर दयाराम के द्वारा घसीटकर लाया गया,… Continue reading “आहुति – भाग:2”…
आहुति – भाग: एक साठा की शादी दशकों बाद गाँव की यह पहली कुबेरिया होगी जब नीम के पेड़ के नीचे चौपाल नहीं लगी… Continue reading “आहुति – भाग: एक”…
राजा मेरे पिता जी चतुर्थ वर्गीय सरकारी कर्मचारी थे। बड़ी बहन और भाई के बाद मैं तीसरे नम्बर की संतान थी।… Continue reading “राजा”…
चेन रिएक्शन: भाग-2 … गतांक से आगे “हे वाओ! बड़ा खिलाड़ी है तू यार। बता ना अपनी अनयुज़ुअल सी लस्ट स्टोरी, आय मीन… Continue reading “चेन रिएक्शन: भाग-2”…
एक अनोखा संवाद रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे। शहर के दक्षिणी हिस्से में लोगों की आवाजाही कम थी। तीन सौ वर्ष… Continue reading “एक अनोखा संवाद”…
दो घर साँझ ढ़लते ही जैसे ही समय रात्रि की चादर ओढ़ता है, दो घर कभी बेचैन तो कभी प्रसन्न हो जाते… Continue reading “दो घर”…
चेन रिएक्शन: भाग-1 दिसम्बर का आखिरी हफ्ता शुरू हो चुका था। समय एक साल और बूढ़ा हो गया … पर मौसम का मिज़ाज़… Continue reading “चेन रिएक्शन: भाग-1”…
रूही – एक पहेली: भाग-6 “मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ?” “तुम कौन हो?” “ये कौन सी जगह है?” “मैं कब से यहाँ पर हूँ?”… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-6”…
शोले को लाल सलाम इतिहास किसी सटीक सहस्रकोणीय वीडियो पर आधारित नहीं होता। यह तथ्यों के अलावा इतिहासकार की कथा शैली, रूझान, आग्रह… Continue reading “शोले को लाल सलाम”…
मेरी करियट्ठी माँ रोटी बनाना बंद कर फ़ोन कान से लगाए काफ़ी देर सुनती रहीं। पल-पल बदलते चेहरे के रंग और बेचैनी… Continue reading “मेरी करियट्ठी”…
जमींदारी बचपन का गया आज मैं शहर से वापस गाँव लौटा था। पूरे पसियाने में चहल-पहल थी। आस-पड़ोस की औरतें मेरे… Continue reading “जमींदारी”…
कॉमरेड केसरिया यह कहानी उस दौर की है जब लडकियाँ ‘बोल्ड और साइज़ ज़ीरो’ नहीं, शर्मीली और गदराई होती थीं। उनका जीन्स… Continue reading “कॉमरेड केसरिया”…
बेटी: पिता का अभिमान गैर धर्म के व्यक्ति के साथ भागी हुई एक सवर्ण लड़की के बारे में बात हो रही थी। परिवार के… Continue reading “बेटी: पिता का अभिमान”…
साहुन (भाग 1) सुरेश: साहुन भउजी आज कहाँ बिजली गिराते हुए चली जा रही हो? साहुन: साथ चलो, बताती हूँ। सुरेश:… Continue reading “साहुन”…
आई लव यू घोस्ट, बट … तुम जानती हो कि कभी-कभी मेरी इच्छा ना होने पर भी तुम मुझे अपनी ओर इस डरावने जंगल में खींचती… Continue reading “आई लव यू घोस्ट, बट …”…
मेरी गर्लफ्रेंड भाग-1 मेरा नाम बताना तब तक मायने नहीं रखता जब तक यह उसके होंठों से ना बताया जाए। मैं अकेला… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड”…
मेरी गर्लफेंड: भाग-12 गतांक से आगे… पूजा के जाते ही रुचि ने मुझे कहा, “वह लड़की कपिल की नहीं तुम्हारी गर्लफ्रैंड थी ना?… Continue reading “मेरी गर्लफेंड: भाग-12”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-11 … गतांक से आगे मेरी वजह से पूजा का करियर ख़राब हो जाएगा, ऐसा सोचकर मैं मन ही मन शर्म… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-11”…
वो लिज़लिज़ी सी छुअन होली का अगला दिन,पाँचवीं बोर्ड के एक्ज़ाम। रोज़ की तरह भोर में तीन-चार बजे ही उठा दिया गया। उस दिन… Continue reading “वो लिज़लिज़ी सी छुअन”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-10 … गतांक से आगे मैं फर्स्ट ईयर पूरा करने के सपने खुली आँखों से देख रहा था। सेकेंड ईयर शुरू… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-10”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-9 … गतांक से आगे शरीफ़ ने मैसेज करके मुझे कहा कि मैं माँ को लेकर कहीं जाऊँ ताकि वो दोनों… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-9”…
मेरी गर्लफ्रेंड-8 … गतांक से आगे मैथ्स के एग्जाम से यह पता चल गया था कि पूजा मेरा भला ही चाहती है।… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड-8”…
बेबसी होश में आने के बावजूद शिव में आँख तक खोलने की हिम्मत नहीं बची थी। तभी दहिने हाथ पर कुछ… Continue reading “बेबसी”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-7 … गतांक से आगे मैं एकदम पगलाकर आसपास बैठे सभी लड़कों को फ़ोन के उस फोल्डर में मेरी फोटोज़ दिखाने… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-7”…
यादों की खिड़की के दो पल्ले रूम सर्विस वाला लड़का कह रहा था, “दिस इज द बेस्ट होटल इन दिल्ली सर, ये सामने विंडो पेन का… Continue reading “यादों की खिड़की के दो पल्ले”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-6 … गतांक से आगे पूजा का मोबइल, सोनी वॉकमैन सिरीज़ का डब्ल्यू8 मॉडल, मेरे हाथ में था। मोबाइल पर एक… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-6”…
प्रहार रात भर से सोई नहीं थी, किन्तु मन प्रफुल्लित था। मुख पर आज अतिरिक्त कान्ति थी। रात को केवल कुछही… Continue reading “प्रहार”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-5 …गतांक से आगे उसके यह कहने की देर ही थी कि मैंने उसका हाथ थाम लिया और मन ही मन… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-5”…
हेल्लो माँ हेल्लो माँ! हाँ, हैलो! “आवाज नहीं आ रही, बाहर आओ”, मैंने कहा। “हाँ बेटा, ठीक है?”, माँ बोली। ह्म्म! खाना… Continue reading “हेल्लो माँ”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-4 … गतांक से आगे मैं हमेशा यही सोचता था कि जब पूजा को प्रोपोज़ करूँगा तो आसपास फिल्मी माहौल रखूँगा… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-4”…
बंदा आचे 2010 में जब पहली बार ‘बाँदा आचे’ पहुँचा तो मैं यह जानने को बहुत उत्सुक था कि सुनामी ने कहाँ… Continue reading “बंदा आचे”…
एक आवारा सा सपना सपने भी लोगों की तरह होते हैं। कुछ चरित्रवान, कुछ धीर गंभीर, कुछ शोख, कुछ अल्हड़, कुछ सुंदर और कुछ… Continue reading “एक आवारा सा सपना”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-3 … गतांक से आगे एक पल को सारी प्लानिंग और चालाकी बेवजह सी लगी। मैं क्लास में अंदर जाने की… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-3”…
निश्चल सा कच्चा सा प्रेम दिन के एक बजे दिल्ली की उमस वाली गर्मी में मैं मेट्रो स्टेशन पर खड़ा पगला रहा हूँ। क्लाइंट को… Continue reading “निश्चल सा कच्चा सा प्रेम”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-2 … गतांक से आगे उसे देखकर कहने मात्र को मेरे पैर ज़मीन पर थे। कल्पनाओं के सातवें आसमान से ऊपर… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-2”…
संतो चाची उम्र के इस पड़ाव पर अब हम इस पीढ़ी और हमारी पीढ़ी की बात कर सकते हैं। ‘हमारा ज़माना अलग… Continue reading “संतो चाची”…
एक कप और कलकत्ता के हरियाणा स्वीट्स के बाहर चाय की टपरी की चरमराती बेंच पर बैठे युवक ने एक और चाय माँगी,… Continue reading “एक कप और”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-1 मेरा नाम बताना तब तक मायने नहीं रखता जब तक यह उसके होंठों से ना बताया जाए। मैं अकेला लड़का… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-1”…
नेह की पहली पाती हमारी स्थिति लगभग वैसे ही थी, जैसे कक्षा दसवीं के बाद होती है। क्या विषय लें, क्या ना लें। गणित… Continue reading “नेह की पहली पाती”…
साहुन – भाग 3 … गतांक से आगे साहुन: …पर बाबू ठाकुर के जीवन मे मेरे उस प्रेम का कोई स्थान नहीं था। परिवार,… Continue reading “साहुन – भाग 3”…
बच्चों में भी भेद! अनदेखे ख़्वाबों की दो आँखें, जिन्होंने स्वप्न देखने की आयु से पूर्व दु:स्वप्न देख आँखें मूँद लीं। जो क़दम अभी… Continue reading “बच्चों में भी भेद!”…
साहुन – भाग 2 … गतांक से आगे साहुन तेजी से घर की ओर बढ़ रही थी। आज डगरू की रिहाई थी। घर पहुँचकर… Continue reading “साहुन – भाग 2”…
एक अधूरा प्रेम पत्र चाह हो तो राह मिल ही जाती है। मैं पुरानी दिल्ली में नई सड़क की खाक कब से छान रहा… Continue reading “एक अधूरा प्रेम पत्र”…
कम्पट वाले बाबा युवावस्था एक बहता दरिया है जिसमे उमंग की तरंगें उठतीं हैं और उत्साह हिलोरें मारता है। इस बहाव में प्रवाह… Continue reading “कम्पट वाले बाबा”…
साहुन – भाग 1 सुरेश: साहुन भउजी आज कहाँ बिजली गिराते हुए चली जा रही हो? साहुन: साथ चलो, बताती हूँ। सुरेश: बाबू ठाकुर… Continue reading “साहुन – भाग 1”…