हिन्दी दिवस पर दो शब्द हिन्दी की विविधता ही इसकी सारूप्य है। क्या मतलब कि हिन्दी दिवस के शुभ अवसर पर आप यह लेख पढ़… Continue reading “हिन्दी दिवस पर दो शब्द”…
गबरघिंचोर भिखारी ठाकुर की कृति – गबरघिंचोर निर्विवाद रूप से भिखारी ठाकुर का सबसे प्रसिद्ध नाटक ‘बिदेसिया’ है। इसे ‘बहरा बहार’… Continue reading “गबरघिंचोर”…
My घोस्ट तुम जानते हो मैं तुम्हें घोस्ट क्यों कहती हूँ। क्योंकि मैं तुम्हें देख नहीं सकती और ना ही छू सकती… Continue reading “My घोस्ट”…
ऑनलाइन योग और मेरी साँसें कोविड महामारी से दुनिया की साँसें एवरेस्ट-कन्याकुमारी हो रही हैं। वहीं मैं लॉकडाउन में अपने ही घर पर कभी… Continue reading “ऑनलाइन योग और मेरी साँसें”…
कोहबर में क्वोरंटीन बाबू साहेब का दालान। 1 अप्रैल की तिथि और दोपहर का समय। सभा में बाबू साहेब के नेतृत्व में वर… Continue reading “कोहबर में क्वोरंटीन”…
घोड़वहिया कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जिनसे जुड़ी कोई छोटी धटना मुख्य घटना बनकर स्मृति पटल पर अंकित हो जाती है।… Continue reading “घोड़वहिया”…
जय बंगला पवन पुत्र श्री हनुमान बल, बुद्धि और कौशल के भंडार थे लेकिन उन्हें उनकी क्षमताएँ याद दिलानी पड़ती थीं।… Continue reading “जय बंगला”…
अनन्त प्रेम पथ – 2 तुम्हारे सोने के बाद कल रात, मन और मेरी बातें हो रही थी कि आजकल की दुनिया में वास्तविक कष्ट… Continue reading “अनन्त प्रेम पथ – 2”…
क्रिसमस पर दो शब्द भारत में क्रिसमस पर्व का योगदान देश के धार्मिक सौहार्द को दृढ़ रखने व बढ़ाने का है। निश्चित ही यह… Continue reading “क्रिसमस पर दो शब्द”…
चित्रगुप्त सी.जी.श्रीवास्तव अपने कुछ समकालीन संगीतकारों की तुलना में कम आँके जाते हैं, लेकिन उन्होंने हिंदी फिल्मों में अपने लंबे… Continue reading “चित्रगुप्त”…
अनन्त प्रेम पथ – 1 तुम जानते हो बुरे सपने से कैसा महसूस होता है? जैसे साँस नहीं आ रही हो और मौत आने को… Continue reading “अनन्त प्रेम पथ – 1”…
बिहार चुनावों की पड़ताल-8-स्वर्णिम चुनाव परिणाम बिहार में कई सप्ताह तक धुँआधार किन्तु कमोबेश स्वस्थ चुनाव प्रचार चला। धुरंधरों ने जमकर आँकलन और विश्लेषण किया। चुनाव… Continue reading “बिहार चुनावों की पड़ताल-8-स्वर्णिम चुनाव परिणाम”…
बिहार चुनावों की पड़ताल-7-बिहार किधर ‘बिहार किधर’ के यक्ष प्रश्न पर आँकलन और विश्लेषण का दौर जारी है। ये सही भी हो सकते हैं और… Continue reading “बिहार चुनावों की पड़ताल-7-बिहार किधर”…
बिहार चुनावों की पड़ताल-6-जदयू पटना इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र रहे नीतीश कुमार भी जेपी आन्दोलन में जेल गये। लालू प्रसाद और रामविलास पासवान 1977… Continue reading “बिहार चुनावों की पड़ताल-6-जदयू”…
बिहार चुनावों की पड़ताल-5-भाजपा जेपी टू बीजेपी – बिहार की राजनीति पर वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह की इस आने वाली पुस्तक का नाम यहाँ… Continue reading “बिहार चुनावों की पड़ताल-5-भाजपा”…
बिहार चुनावों की पड़ताल-4-राजद लालू प्रसाद पटना विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से सीधे राष्ट्रीय आन्देलन में आ गये। संपूर्ण क्रांति की अलख जगाते हुए… Continue reading “बिहार चुनावों की पड़ताल-4-राजद”…
भादो की मूसलाधार बारिश दोपहर से ही बादल मानो एक ही दिन में सारी प्यास बुझाने को आतुर हो रहे हों। अमर को… Continue reading “भादो की मूसलाधार बारिश”…
बिहार चुनावों की पड़ताल-3-छोटे दल किसी भी चुनाव में छोटे दलों की अपनी भूमिका होती है। और कुछ नहीं तो वे वोटकटवा बनकर किसी के… Continue reading “बिहार चुनावों की पड़ताल-3-छोटे दल”…
बाट जोहते अनगिनत ‘बाबा का ढाबा’ अशोक से खरीदा गया वो आखिरी पेन आज हाथ में है, लेकिन उससे कुछ लिखने का मन नहीं है। अशोक… Continue reading “बाट जोहते अनगिनत ‘बाबा का ढाबा’”…
किसान और लेखक की फसल अन्न व शब्द का काल आदि-अनंत रहा है। मेरा तो यह मानना है कि पहले अन्न ही आया होगा क्योंकि… Continue reading “किसान और लेखक की फसल”…
बिहार चुनावों की पड़ताल-2-लोजपा फैक्टर 1969 मे मेरा DSP मे और MLA दोनो मे एक साथ चयन हुआ।तब मेरे एक मित्र ने पूछा कि बताओ… Continue reading “बिहार चुनावों की पड़ताल-2-लोजपा फैक्टर”…
बिहार चुनावों की पड़ताल-1-गठबंधन गठबंधनों की स्थिति, मुद्दे और संभावनाएँ चुनाव आयोग द्वारा बिहार विधानसभा चुनावों की अधिसूचना जारी कर दिए जाने के बाद… Continue reading “बिहार चुनावों की पड़ताल-1-गठबंधन”…
अपनी जयन्ती पर गाँधी बाबा की भारत यात्रा अपनी जयन्ती पर गाँधी जी ने भारत भूमि पर आने का निर्णय किया। कुछ सच्चे गाँधीवादियों ने उन्हें रोकने की… Continue reading “अपनी जयन्ती पर गाँधी बाबा की भारत यात्रा”…
विपक्ष में भिया का कोई तोड़ नहीं राजनीति में हमारे भिया का पक्ष-विपक्ष में कोई तोड़ नहीं है। उनके हर बयान में कूटनीति कूट-कूट कर भरी रहती… Continue reading “विपक्ष में भिया का कोई तोड़ नहीं”…
भाषा का भुरकुस बात अँग्रेजों के जमाने की है। दो लोगों में मारपीट हो गयी। मारपीट का कारण खूँटा गाड़ने पर हुआ विवाद… Continue reading “भाषा का भुरकुस”…
शुद्ध हिन्दी की सजा निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।। हिन्दी दिवस पर… Continue reading “शुद्ध हिन्दी की सजा”…
आनंद कुमारस्वामी “आनंद कुमारस्वामी!” एक दिन ट्विटर पर एक दोस्त ने कहा, “तुमने उनके बारे में नहीं सुना? उन्हें अवश्य और तत्काल… Continue reading “आनंद कुमारस्वामी”…
एक अनूठा कवि सम्मेलन हिन्दी दिवस पर बड़ा ही मनोहारी दृश्य था। दो ऐसे कवि प्रेम पूर्वक मिले थे जिन्हें कवि सिर्फ वही दोनों… Continue reading “एक अनूठा कवि सम्मेलन”…
हिन्दी का स्वप्नलोक मन की उदासी कचोट रही थी। ऐलन मेरे पास बैठा था। मैंने उससे कहा, “तुम सबके लिए आसान है, मेरे लिए नहीं।… Continue reading “हिन्दी का स्वप्नलोक”…
हिन्दी पखवाड़े में माड़साब जैसे जैसे हिन्दी पखवाड़ा के दिन आते हैं माड़साब को लगता है कि हिन्दी के ‛अच्छे दिन’ आने ही वाले… Continue reading “हिन्दी पखवाड़े में माड़साब”…
जन्मदिन सन २०१४, मई का महीना। शहर के अस्पताल के आठ बेड वाले आईसीयू वार्ड में मध्य रात्रि का काल। एक… Continue reading “जन्मदिन”…
पंडित नरेन्द्र नाथ मिश्र – वर्तमान के साँचे में भविष्य को ढालते कर्मयोगी मैं शिक्षक परिवार में जन्मा और पला-बढ़ा हूँ। यूँ समझिए कि मेरी पूरी पिछली पीढ़ी शिक्षक ही थी। मेरे संयुक्त… Continue reading “पंडित नरेन्द्र नाथ मिश्र – वर्तमान के साँचे में भविष्य को ढालते कर्मयोगी”…
स्मार्टफोन की शोक सभा मोहल्ले में हलचल थी और शर्मा जी के घर में शोक की लहर। शर्मा जी के स्मार्टफोन फोन चल बसे… Continue reading “स्मार्टफोन की शोक सभा”…
काँग्रेस कार्यसमिति बैठक – एक बार फिर टाँय टाँय फिस्स दल की दशा और दिशा पर चिन्ता व्यक्त करते हुए पत्र लिखना हमारे लोकतंत्र की एक स्वस्थ परम्परा है। आम… Continue reading “काँग्रेस कार्यसमिति बैठक – एक बार फिर टाँय टाँय फिस्स”…
स्वच्छता सर्वेक्षण में गया गुजरा बिहार प्रधानमंत्री के प्रिय कार्यक्रमों में से एक ‘स्वच्छ भारत’ भारत सरकार का एक बेहतरीन कार्यक्रम है। सांकेतिक श्रमदान में प्रधानमंत्री… Continue reading “स्वच्छता सर्वेक्षण में गया गुजरा बिहार”…
संगीत के एक युग का पटाक्षेप “मैं भगवान के लिए गाता हूं”, पंडित जसराज ने एक साक्षात्कार में कहा था। वह अपने संगीत के माध्यम से… Continue reading “संगीत के एक युग का पटाक्षेप”…
सनसनी समाज में है चैनल में नहीं मुझे ऐसा लगता है कि संवाद सात्विक शब्द है और बहस तामसिक। संवाद से सौहार्द उत्पन्न होता है। बहस में… Continue reading “सनसनी समाज में है चैनल में नहीं”…
मंच, माला, माईक और नेताजी का भाषण कोराना काल में सबसे अधिक क्षति या घोर कमी यदि किसी क्षेत्र में हुई है तो वह नेताओं के सबसे… Continue reading “ मंच, माला, माईक और नेताजी का भाषण”…
स्मृति शब्द-चित्र – स्व. नगनारायण दुबे रविवार की एक दोपहर अचानक पंडित जी याद आ गये और उनकी स्मृति में मैं एक शब्द चित्र बनाने लगा।… Continue reading “स्मृति शब्द-चित्र – स्व. नगनारायण दुबे”…
अप्रत्याशित प्रबोधक अगस्त की बारिश का जादू नैराश्य से भरे मन को भी प्रफुल्लित कर देने की क्षमता रखता है। शहर के… Continue reading “अप्रत्याशित प्रबोधक”…
तुम जो मिल गये हो वो मुझे याहू चैट रूम में मिली थी। किशोर कुमार के गाने का ग्रुप था, या लता मंगेशकर का, यह… Continue reading “तुम जो मिल गये हो”…
रॉकिंग चेयर घर के बरामदे में पड़ा रॉकिंग चेयर मेरे बेटे लक्ष्य के चुहल से कभी कभी हिल जाता था। बाहर लॉन… Continue reading “रॉकिंग चेयर”…
लोकतंत्र का हासिल सिर्फ लोकतंत्र लोकतंत्र का उद्भव भारत में हुआ। भारत ही सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भी है। लेकिन अमेरिका विश्व में लोकतंत्र का… Continue reading “लोकतंत्र का हासिल सिर्फ लोकतंत्र”…
रूप तेरा मस्ताना … आज की पीढ़ी रीमिक्स को ही असल गीत समझने लगी है। ये कोई अचरज की बात भी नहीं क्योंकि गीतों… Continue reading “रूप तेरा मस्ताना …”…
अंतिम विदाई मालाऽ पानी देना … आधी रात, दोपहर या फिर सुबह सबेरे … शंकर चाचा बिना माला चाची के हाथ का… Continue reading “अंतिम विदाई”…
बाउंसर विपक्ष का सजग दिखने के लिए विपक्ष का मुख्य काम सरकार पर प्रश्नों के बाउंसर दागना है। अपने पालक-बालकों से उन प्रश्नों… Continue reading “बाउंसर विपक्ष का”…
मिंटो ब्रिज दुर्घटना से सीख दिल्ली के जिस ब्रिज पर कभी खड़े होकर हिंदी साहित्य के दो दिग्गज कथाकार विष्णु प्रभाकर और भीष्म साहनी देश… Continue reading “मिंटो ब्रिज दुर्घटना से सीख”…
एक शीर्षकहीन कथा जन्म के पश्चात जब से मेरी आँखें खुलीं तब से केसरी नभमण्डल में अस्ताचल के पीछे ढलता हल्का सा रक्तवर्णी… Continue reading “एक शीर्षकहीन कथा”…
पॉलिटिक्स – पुल और पैनडेमिक की कोरोना के कोढ़ पर बाढ़ का खाज होने के कारण बिहार सरकार डबल लोड टान रही है। यहाँ डबल इंजन… Continue reading “पॉलिटिक्स – पुल और पैनडेमिक की”…
मंडली की पहली वर्षगाँठ आज मंडली का एक वर्ष पूरा हो गया। इंटरनेट पर हिन्दी में पठनीय सामग्री उपलब्ध कराने की यह यात्रा… Continue reading “मंडली की पहली वर्षगाँठ”…
पंच फिर बने परमेश्वर गाँव के बीचोबीच बरगद के पेड़ तले आज बड़ी हलचल थी। इतवार की सुबह आज पूरा गाँव धीमे धीमे जमा… Continue reading “पंच फिर बने परमेश्वर”…
भेटनर भईया “का हुआ भेटनर भईया”, हाथ पर लगी पट्टी देखकर चेला टैप लड़के ने पूछा। उत्तर मिला; “छुरा लागल बा।” तब… Continue reading “भेटनर भईया”…
हमार बरखू कनेर के पीले फूल रात में चमक नहीं रहे थे पर दूर से आते हरई की लालटेन से फूल चौंधिया… Continue reading “हमार बरखू”…
दर्पण शरद, “हाँ तो प्रेम, तुम्हारी शादी का क्या हुआ?” प्रेम, “यार, फिक्स हो गयी। इसी अप्रैल में है।” शरद, “अर्रे, तुम फ़ोन पर… Continue reading “दर्पण”…
बकैती बंगले पर हमारे देश में माननीय गण, धन्ना सेठ और बड़े-बड़े साहेब-सुबा लोग बंगलों में रहते हैं। शेष लोग घर, फ्लैट, चॉल,… Continue reading “बकैती बंगले पर”…
अरावली की बरसात का एक दिन ग्रीष्म ऋतु के गर्म और शुष्क वातावरण ने वृक्षों से हरित-कणों का लोप कर दिया था। अरावली के पर्वत किसी… Continue reading “अरावली की बरसात का एक दिन”…
अप्रतिम पंचम दा कहा जाता है कि किसी भी शोर को आवाज़ बनाते हुए उसे धुन में बदल देने वाले जादूगर थे पंचम… Continue reading “अप्रतिम पंचम दा”…
मैं चला जाऊँगा “तेरे को पता है, रोहित ने लास्ट एग्जाम के दिन पायल को प्रपोज कर दिया और वो भी मान गई।”… Continue reading “मैं चला जाऊँगा”…
हमेशा के लिए अवरूद्ध चारों ओर अंधकार था। इस घुप्प अंधकार में वह पुच्छल तारे जैसा जीव अपने निर्धारित मार्ग पर चलता हुआ अपने… Continue reading “हमेशा के लिए अवरूद्ध”…
आस के चार बूँद हवाई जहाज में पंकज कभी उड़ान से भी ऊँचा उड़ने लगता तो कभी पाताल में गोता लगा बैठता। अपनी खुशी… Continue reading “आस के चार बूँद”…
भूत की व्यथा दृश्य 1:- अरे … अरे … मैं अचानक से आसमान में क्यों आ गया? अरे, मैं तो नीचे गिर रहा… Continue reading “भूत की व्यथा”…
ईटीज सर गाँव में कुछ लोग उनको आज भी ईटीज सर ही बुलाते हैं। उनका असल नाम प्रमोद है – प्रमोद कुमार… Continue reading “ईटीज सर”…
मैं लेखक बनते बनते रह गया स्कूली परीक्षाओं में गाय व डाकिया पर निबंध लिखने के लिए मैं ‘निबंध माला’ से रट्टा मारता था। इससे यह… Continue reading “मैं लेखक बनते बनते रह गया”…
बरसात की कुछ बातें ये बरसात भी कमबख़्त किसी याद सी होती है। न आए तो बिल्कुल भी न आए और जो आए तो… Continue reading “बरसात की कुछ बातें”…
वो जा चुकी थी … बहुत रात बीत गई थी। सुधा की आँखों में नींद नहीं थी। जाग तो रमेश भी रहा था पर आँखें… Continue reading “वो जा चुकी थी …”…
दूसरी शहादत राजस्थान के पश्चिमी इलाकों में गाँव प्रायः शांत स्वभाव के होते हैं। मुझ जैसे शहरी जीव शांति की खोज में… Continue reading “दूसरी शहादत”…
ढकलेट जिला स्कूल, छपरा के प्रांगण में ही स्थित छपरा शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के बीएड प्रशिक्षु अध्यापन अनुभव के लिए विद्यालय… Continue reading “ढकलेट”…
दुर्गेश्वर रायगड़ सूर्य मध्याह्न पर था, तपती धूप अपने चरम पर। पता नहीं कितनी सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद आखिरकार मेरी आँखों के… Continue reading “दुर्गेश्वर रायगड़”…
40 साल पहले का नया-नवेला और अलबेला मेडले ये उन दिनों की बात है जब ‘हम किसी से कम नहीं’ की शूटिंग चल रही थी। एक गाने की… Continue reading “40 साल पहले का नया-नवेला और अलबेला मेडले”…
अनूठे गीतकार योगेश उस दुबले पतले नवयुवक ने आँसू भरे आँखों से मुड़ कर देखा तो रिश्तेदारों की भीड़ में एक साहब उस… Continue reading “अनूठे गीतकार योगेश”…
अयोध्या की पाती प्रिय भारतवासियों, जम्बूद्वीप भरतखण्डे आर्यावर्ते भारतवर्ष की नगरी… Continue reading “अयोध्या की पाती”…
बे-कार: भाग-3 … गतांक से आगे “चालीस हज़ार किस बात के”, माड़साब अचंभित होकर उसे देख रहे थे। माड़साब से भी ज्यादा… Continue reading “बे-कार: भाग-3”…
एक तीर्थ जिसे हम भूल गये! भीड़-भाड़ वाले रास्ते से ऑटोरिक्शा आगे बढ़ रहा था। रिक्शा में बैठे मेरे मन में बस एक ही बात चल… Continue reading “एक तीर्थ जिसे हम भूल गये!”…
बे-कार- भाग: 2 … गतांक से आगे “अच्छा तो आप ही है शैलेश जी “, उस व्यक्ति ने खड़े होकर बड़ी ही गर्मजोशी… Continue reading “बे-कार- भाग: 2”…
एक खुला पत्र ‘पत्रकारों’ के नाम प्रिय पत्रकार, पत्रकार शब्द से मत चौंकिये। यहाँ इस शब्द का सामान्य अर्थ नहीं है। नाटक लिखने वाला नाटककार कहलाता… Continue reading “एक खुला पत्र ‘पत्रकारों’ के नाम”…
बे-कार – भाग:1 बाहर से पोस्टमैन की आवाज़ आते ही शैलेश जी बाहर की तरफ लपके और पोस्टमैन से लिफाफा लि उस लिफ़ाफ़े… Continue reading “बे-कार – भाग:1”…
‘साहिब बीबी और गुलाम’ के गुलाम विमल मित्रा के एक क्लासिक उपन्यास पर आधारित ‘साहिब बीबी और गुलाम’ पिछली सदी की कुछ बेहतरीन हिंदी फिल्मो में… Continue reading “‘साहिब बीबी और गुलाम’ के गुलाम”…
लॉकडाउन-4 जारी है … संभवत: हम स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी त्रासदी से गुजर रहे हैं। अब यह समझना मुश्किल हो रहा है कि… Continue reading “लॉकडाउन-4 जारी है …”…
मोंढ़ेरा में सूर्योदय कहते हैं कि वर्षों पूर्व इस क्षेत्र को धर्मारण्य कहा जाता था। रावण वध के पश्चात श्री राम ने… Continue reading “मोंढ़ेरा में सूर्योदय”…
भोजपुरी सिनेमा के तीन अध्याय अध्याय – एक भोजपुरी सिनेमा की दशा और दिशा के पड़ताल पर यह श्रृंखलाबद्ध लेख लिखते हुए एक दावात्याग… Continue reading “भोजपुरी सिनेमा के तीन अध्याय”…
प्रेम प्रतिशोध कई बार ऐसा होता है कि हम कुछ काम कर रहे होते हैं और कानों में हैंड्सफ्री म्यूजिक ऑन होता… Continue reading “प्रेम प्रतिशोध”…
हेलो इंडिया! मैं एक डॉक्टर बोल रहा हूँ … हम डॉक्टर्स संभवत: समाज में सबसे कम संवाद करने वालों में से हैं। शायद हम अपने पेशे की आवश्यकताओं के… Continue reading “हेलो इंडिया! मैं एक डॉक्टर बोल रहा हूँ …”…
माँ संसार के सबसे कोमल रिश्तों और उनके भावों को व्यक्त करना बड़ा मुश्किल लगता है। लिखते-लिखते गला रुँध जाता है… Continue reading “माँ”…
टिकटॉक: वाह वाह या छि छि टेस्ट क्रिकेट के बाद जब एक दिवसीय क्रिकेट आया तो क्रिकेट के शुद्धतावादी इतने बिफरे कि उन्होने क्रिकेट के इस… Continue reading “टिकटॉक: वाह वाह या छि छि”…
अपनी पीठ थपथपाने के नुख्खे लॉक -डाउन के दौरान निठ्ठलापन क्या-क्या नहीं कराता। अपनी पीठ थपथपाने की चेष्टा की लेकिन यह असंभव सा कार्य लगा। वर्तमान… Continue reading “अपनी पीठ थपथपाने के नुख्खे”…
पलायन “सर पर धूप निकल आई थी। बारह बज रहे होंगे”, थकी रचना ने पति सुदामा से कहा। सुदामा बोला, “अभी… Continue reading “पलायन”…
लॉकडाउन-3: पहला दिन धूमगज्जर का कोरोना संकट की स्थिति देखते हुए लॉकडाउन-2 के अतिंम दिनों में यह जोक बनने लगा था कि लॉकडाउन उतना ही… Continue reading “लॉकडाउन-3: पहला दिन धूमगज्जर का”…
शास्त्रार्थ स्थल – एक यात्रा वृत्तांत श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, उज्जैन से होते हुए मैं अपने पिताजी के साथ महेश्वर बस अड्डे पर पहुँचा। तब शाम के… Continue reading “शास्त्रार्थ स्थल – एक यात्रा वृत्तांत”…
फिर एक क्रांति दौर ऐसा था कि लाइसेंस परमिट राज पूरा गया नहीं था, उदारवाद उमड़कर आया नहीं था। साम्यवाद अभी सरका नहीं… Continue reading “फिर एक क्रांति”…
मुझे इंसान रहने दो दुःख व क्षोभ से विचलित होकर यह देह ऐसे घूमती है जैसे मेरे जीवन की टेढ़ी-मेढ़ी राह में पड़ने वाले… Continue reading “मुझे इंसान रहने दो”…
मनोमंथन प्रो-टैक सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन्स, शहर की सैंकड़ों साफ्टवेयर कंपनियों में से एक मध्यम आकार की आईटी कंपनी का ऑफिस। बाहर मई… Continue reading “मनोमंथन”…
खुशामद की आमद आम से लेकर खास तक यह आम है कि प्रशंसा कानों में मिसरी सी प्रतीत होती है। उसकी मिठास घुलकर… Continue reading “खुशामद की आमद”…
आहुति – भाग:2 लाठी का जोर दिन का पहला पहर ही था। मँझिले के घर में किशोर दयाराम के द्वारा घसीटकर लाया गया,… Continue reading “आहुति – भाग:2”…
आहुति – भाग: एक साठा की शादी दशकों बाद गाँव की यह पहली कुबेरिया होगी जब नीम के पेड़ के नीचे चौपाल नहीं लगी… Continue reading “आहुति – भाग: एक”…
राजा मेरे पिता जी चतुर्थ वर्गीय सरकारी कर्मचारी थे। बड़ी बहन और भाई के बाद मैं तीसरे नम्बर की संतान थी।… Continue reading “राजा”…
छटाक भर क्रिकेट दिन भर आकाशवाणी से क्रिेकेट का आँखों देखा हाल सुनते मेरे पापा ने ही मेरे मन में क्रिकेट के प्रति… Continue reading “छटाक भर क्रिकेट”…
चेन रिएक्शन: भाग-2 … गतांक से आगे “हे वाओ! बड़ा खिलाड़ी है तू यार। बता ना अपनी अनयुज़ुअल सी लस्ट स्टोरी, आय मीन… Continue reading “चेन रिएक्शन: भाग-2”…
घसेका और घकेका ज्ञानियों ने समय समय पर कहा है कि सदैव सकारात्मक सोचिए। हम अपना अज्ञान छिपाने के फेर में ज्ञानियों का… Continue reading “घसेका और घकेका”…
एक अनोखा संवाद रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे। शहर के दक्षिणी हिस्से में लोगों की आवाजाही कम थी। तीन सौ वर्ष… Continue reading “एक अनोखा संवाद”…
लॉकडाउन पर कुछ मीठा कुछ खट्टा कोरोना संकट से निबटने के लिए देश में संपूर्ण लॉकडाउन है। समूह पलायन से डाइल्यूशन की खबरें भी आयीं। मानव… Continue reading “लॉकडाउन पर कुछ मीठा कुछ खट्टा”…
दो घर साँझ ढ़लते ही जैसे ही समय रात्रि की चादर ओढ़ता है, दो घर कभी बेचैन तो कभी प्रसन्न हो जाते… Continue reading “दो घर”…
चेन रिएक्शन: भाग-1 दिसम्बर का आखिरी हफ्ता शुरू हो चुका था। समय एक साल और बूढ़ा हो गया … पर मौसम का मिज़ाज़… Continue reading “चेन रिएक्शन: भाग-1”…
सीता राम चरित अति पावन दूरदर्शन पर कालजयी टेलीविजन धारावाहिक ‘रामायण’ का पुर्नप्रसारण हो रहा है। टेलिविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) की गला काट प्रतियोगिता से… Continue reading “सीता राम चरित अति पावन”…
लॉकडाउन में लेखन – एक प्रयोग विगत कुछ मासों से कुछ भी नहीं लिखा था – कुछ कर्म की व्यस्तता में, कुछ निठल्लेपन के कारण।व्यंगोक्ति देखिये कि… Continue reading “लॉकडाउन में लेखन – एक प्रयोग”…
शोले को लाल सलाम इतिहास किसी सटीक सहस्रकोणीय वीडियो पर आधारित नहीं होता। यह तथ्यों के अलावा इतिहासकार की कथा शैली, रूझान, आग्रह… Continue reading “शोले को लाल सलाम”…
युद्ध का अंतिम दिन रणभूमि के क्षितिज पर सूर्य अस्त हो रहा था। रक्त से सनी हुई धरती ढ़लते सूर्य की केसरी किरणों से… Continue reading “युद्ध का अंतिम दिन”…
संपूर्ण लॉकडाउन – स्पष्ट संकल्प साफ संदेश देश में पिछले तीन दिनों में कोरोना पॉजिटव मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है और अब यह 500 के… Continue reading “संपूर्ण लॉकडाउन – स्पष्ट संकल्प साफ संदेश”…
जनता कर्फ्यू – न भूतो न भविष्यति 22 मार्च 2020। संकट से निबटने के एक अनूठे तरीके का अभूतपूर्व दिन। दौड़ती सड़कें रुक गयीं, बाजार बंद रहे।… Continue reading “जनता कर्फ्यू – न भूतो न भविष्यति”…
परलौकिक होमवर्क आज 22 मार्च, 2020 कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जनता कर्फ़्यू का दिन। सन्नाटा पसरा है, कोई चहल-पहल नहीं।… Continue reading “परलौकिक होमवर्क”…
एक सकारात्मक आह्वान – जनता कर्फ्यू चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब वैश्विक महामारी बन चुका है। अब तक इसके 2.5 लाख… Continue reading “एक सकारात्मक आह्वान – जनता कर्फ्यू”…
जीवट और जिजीविषा के परीक्षा की घड़ी विश्व के अनेक देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है। इरान, इटली और स्पेन जैसों देशों में हाहाकार… Continue reading “जीवट और जिजीविषा के परीक्षा की घड़ी”…
भोजपुरी सिनेमा के तीन अध्याय – भाग: तीन … गतांक से आगे 1990 के दशक में आ रहे तथाकथित लोकगीतों के भोजपुरी कसेट्स और वीडियो एलबम में अधिकांश… Continue reading “भोजपुरी सिनेमा के तीन अध्याय – भाग: तीन”…
14 मार्च 1931: जब मूक फिल्मों को आवाज मिली भारतीय फिल्मो के बारे में थोड़ी जानकरी रखने वालों से भी यदि पूछा जाए कि पहली फिल्म कौन सी थी… Continue reading “14 मार्च 1931: जब मूक फिल्मों को आवाज मिली”…
होली पर दो शब्द … लगभग हर होली और छठ पूजा में मैं अपने गाँव में ही होता हूँ। इस होली तो गाँव कैसे भी… Continue reading “होली पर दो शब्द …”…
मेरी करियट्ठी माँ रोटी बनाना बंद कर फ़ोन कान से लगाए काफ़ी देर सुनती रहीं। पल-पल बदलते चेहरे के रंग और बेचैनी… Continue reading “मेरी करियट्ठी”…
कॉरपोरेट वुमनिया की दुनिया ऑफिस के वाशरूम में शीशे के सामने खड़ी प्राउड मुस्कुराहट के साथ झुर्रियों वाले गाल ब्लश से चमकाती हुई सीईओ… Continue reading “कॉरपोरेट वुमनिया की दुनिया”…
तबही ए बबुआ समाजवाद आई … पिछड़ा दिल्ली जाके करी ठकुराई अगड़ा लोगन के जब लस्सा कुटाई पिछड़ा अकलियत के शरबत घोराई तबही ए बबुआ समाजवाद… Continue reading “तबही ए बबुआ समाजवाद आई …”…
जब संतूर के शहंशाह ने तबले पर छोड़ी छाप … बात उन दिनों की है जब पंडित हरि प्रसाद और विश्व विख्यात मशहूर संतूर वादक पंडित शिव कुमार शर्मा सचिन… Continue reading “जब संतूर के शहंशाह ने तबले पर छोड़ी छाप …”…
भोजपुरी सिनेमा के तीन अध्याय – भाग: दो … गतांक से आगे 1967-77 के दस साल भोजपुरी सिनेमा एक अदद फिल्म के लिए हहरता रहा, छछनता रहा। पत्थल… Continue reading “भोजपुरी सिनेमा के तीन अध्याय – भाग: दो”…
तेरी याद आ रही है, तू कब आ रही है खिड़की से छनती धूप अब बिस्तर तक आ रही है सिरहाने रखी चाय कब से धुआँ उठा रही… Continue reading “तेरी याद आ रही है, तू कब आ रही है”…
जमींदारी बचपन का गया आज मैं शहर से वापस गाँव लौटा था। पूरे पसियाने में चहल-पहल थी। आस-पड़ोस की औरतें मेरे… Continue reading “जमींदारी”…
लिट्टी-चोखा के बहाने बिहार की राजनीतिक पड़ताल हमारे देश में गझिन लोकतंत्र है। दिल्ली के मालिक का रिन्युअल हुआ नहीं कि ‘कोरबो लोड़बो जीतबो’ दस्तक दे रहा… Continue reading “लिट्टी-चोखा के बहाने बिहार की राजनीतिक पड़ताल”…
जय शिव शंकर सनातन में त्रिदेव के अन्य देवों से देवों के देव महादेव को भिन्न माना गया है। भगवान शिव को संहार का… Continue reading “जय शिव शंकर”…
भोजपुरी सिनेमा के तीन अध्याय – भाग: एक भोजपुरी सिनेमा की दशा और दिशा के पड़ताल पर यह श्रृंखलाबद्ध लेख लिखते हुए एक दावात्याग देना आवश्यक है, वरना… Continue reading “भोजपुरी सिनेमा के तीन अध्याय – भाग: एक”…
कौन कहता है कि जीवन सुन्दर नहीं! हर दूसरा व्यक्ति यह कहते हुए मिल जाएगा कि आजकल लोग पहले की अपेक्षा प्रसन्न नहीं रहते। कुछ लोगों ने… Continue reading “कौन कहता है कि जीवन सुन्दर नहीं!”…
फ्लाइट में एक फ्लैशबैक नौकरी का ख्वाब आया था। उस रात जब झटके से उठ कर बैठा था और बाजू में सो रहे बंटी… Continue reading “फ्लाइट में एक फ्लैशबैक”…
कॉमरेड केसरिया यह कहानी उस दौर की है जब लडकियाँ ‘बोल्ड और साइज़ ज़ीरो’ नहीं, शर्मीली और गदराई होती थीं। उनका जीन्स… Continue reading “कॉमरेड केसरिया”…
दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम: एक विवेचना दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम आ चुके हैं। आम आदमी पार्टी की सीटें 67 से घटकर 62 हो गयी हैं, जिसका… Continue reading “दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम: एक विवेचना”…
मैं सेफोलॉजिस्ट बनूँगा कई लोग तो ज्योतिष को भी विद्या मानने को तैयार नहीं, कुछ तो विज्ञान की वैज्ञानिकता पर ही सवाल उठा… Continue reading “मैं सेफोलॉजिस्ट बनूँगा”…
चुनावनामा दिल्ली का देश के आम चुनाव का या बड़े राज्यों के विधानसभा चुनावों का डंका बजता है। इस लिहाज से तो वृहतर… Continue reading “चुनावनामा दिल्ली का”…
आम बजट पर आम आदमी की आम समझ वर्षों पहले माइकल जैक्शन मुम्बई आए थे। आम जनों की छोड़िए, हमारे मुम्बईया सेलेब भी वैसे ही बावले हुए जा… Continue reading “आम बजट पर आम आदमी की आम समझ”…
असली लड़ाई खाने की है पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति पर प्रकृति को लगा होगा कि वाह क्या चीज है। हो सकता है कुछ ऐसा… Continue reading “असली लड़ाई खाने की है”…
जय हिन्द! भारत एक त्योहार प्रधान देश है। भारत के अनन्य त्योहारों में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस राष्ट्रीय अवकाश के साथ… Continue reading “जय हिन्द!”…
बेटी: पिता का अभिमान गैर धर्म के व्यक्ति के साथ भागी हुई एक सवर्ण लड़की के बारे में बात हो रही थी। परिवार के… Continue reading “बेटी: पिता का अभिमान”…
हम वापस आएंगे! 80 के दशक के अन्त में कश्मीर से हुए पलायन की 30वीं बरसी पर बहस छिड़ी है। इस वाद-विवाद ने… Continue reading “हम वापस आएंगे!”…
विकास को प्रतिबद्ध स्वत: स्फूर्त मानव श्रृंखला की आस दुनिया के विकसित देशों में उनके कौशल और उनके या उनके उपनिवेशों के कच्चे माल व श्रम से औद्योगिक क्रांति… Continue reading “विकास को प्रतिबद्ध स्वत: स्फूर्त मानव श्रृंखला की आस”…
शाहीन बाग: नागरिक सुविधाएं कब तक बंधक बनी रहेंगी शाहीन बाग में महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों प्रदर्शनकारी पिछले लगभग 35 दिनों से आठों पहर धरना दिए बैठे हैं।… Continue reading “शाहीन बाग: नागरिक सुविधाएं कब तक बंधक बनी रहेंगी”…
साहुन (भाग 1) सुरेश: साहुन भउजी आज कहाँ बिजली गिराते हुए चली जा रही हो? साहुन: साथ चलो, बताती हूँ। सुरेश:… Continue reading “साहुन”…
आई लव यू घोस्ट, बट … तुम जानती हो कि कभी-कभी मेरी इच्छा ना होने पर भी तुम मुझे अपनी ओर इस डरावने जंगल में खींचती… Continue reading “आई लव यू घोस्ट, बट …”…
गौरवान्वित करती वीरगाथा: तानाजी, द अनसंग वॉरियर दीपिका पादुकोण जेएनयू गईं। वहां काफी ‘क्रांतिकारी’ बातें हुईं। देश में क्रांति तो नहीं आई लेकिन ट्विटर पर हाहाकार… Continue reading “गौरवान्वित करती वीरगाथा: तानाजी, द अनसंग वॉरियर”…
दिल्ली से आइजॉल: भाग-3 … गतांक से आगे रास्ते में जेफरी ने अपने बारे में बताना आरम्भ कर दिया। उसके पिता ने मिजोरम पुलिस… Continue reading “दिल्ली से आइजॉल: भाग-3”…
अच्छा हो या बुरा, पर ‘बिग बॉस’ तो है … आवाज़ में एक अलग जादू होता है। किसी की आवाज़ दिन बना देती है तो किसी की आवाज़ दिन खराब… Continue reading “अच्छा हो या बुरा, पर ‘बिग बॉस’ तो है …”…
दिल्ली से आइजॉल: भाग-2 … गतांक से आगे सुबह साढ़े चार बजे ही नींद खुल गयी। कमरे की खिड़की खोली तो सामने स्थित गर्वमेंट… Continue reading “दिल्ली से आइजॉल: भाग-2”…
हैप्पी न्यू ईयर 2020 नयी चीज़ों में एक प्रभावी ऊर्जा होती है। नयापन अक्सर मन को ख़ुश करता है। प्रायः नयी वस्तुओं और लोगों… Continue reading “हैप्पी न्यू ईयर 2020”…
इन्हें चिंदियों में हिंदुस्तान चाहिए! अरुंधती राय को कौन नहीं जानता? चिंदियों का देवता (गॉड आफ स्माल थिंग्स) नामक उपन्यास के लिए इन्हें बुकर पुरस्कार… Continue reading “इन्हें चिंदियों में हिंदुस्तान चाहिए!”…
अनकही मैं कब डरी थी बारिश की उन बूँदों से, जो आकाश से मेरे घर के आंगन को भिगोने आती हैं।… Continue reading “अनकही”…
न्यू ईयर रिजॉल्यूशन आठ पहरिया चैनलों के एंकर भयंकर, अखबारों के स्थापित स्तंभकार व मूर्धन्य ट्विटकार पूरे साल के घटनाक्रम को ‘गागर में… Continue reading “न्यू ईयर रिजॉल्यूशन”…
दिल्ली से आइजॉल: भाग-1 सुबह सात बजे की फ्लाइट लेनी थी, इसलिए रात नींद में भी जगते हुए ही कटी। सुबह तीन बजे उठना… Continue reading “दिल्ली से आइजॉल: भाग-1”…
मेरी गर्लफ्रेंड भाग-1 मेरा नाम बताना तब तक मायने नहीं रखता जब तक यह उसके होंठों से ना बताया जाए। मैं अकेला… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड”…
उफ्फ, एक और आन्दोलन! देश में आन्दोलन घोटाला का पर्याय हो चुका है। अधिकांश आन्दोलनों के कारण, उनके तरीके, उनकी प्रवृत्ति, उनका कवरेज, उनसे… Continue reading “उफ्फ, एक और आन्दोलन!”…