तबही ए बबुआ समाजवाद आई …
पिछड़ा दिल्ली जाके करी ठकुराई
अगड़ा लोगन के जब लस्सा कुटाई
पिछड़ा अकलियत के शरबत घोराई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
आरक्षण से आई भोट भक्षण में जाई
नाड़ा खोल नारा जब लिही जम्हाई
मेरिट आ लॉजिक के होई कुहाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
घटल घरे आई तरक्की से जाई
यूनियन से उद्योगन के होई ओझाई
झंडा से इकोनॉमी के गरदा झराई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
धोती से आई आ टोपी में जाई
खादी के दे देके बहुते दोहाई
गाँधी बाबा के नाम झंडा गराई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
प्रस्तावना में आई योजना में भहराई
नेहरु से इन्दिरा हो जइहें सवाई
राजीव के टाइम तनी सकपकाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
लोहिया जेपी से आई चेलन में जाई
बाबा साहेब के नाम होई लड़ाई
गोलका टोपी सबका मुरी चढ़ जाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
संपूर्ण क्रांति से आई भ्रांति में ओराई
जल्दिये जब क्रांति मुहकुरिये ढ़िमलाई
इमजरजेन्सी के सब अति जनता भुलाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
वीपी शेखर से आई आ राव से जाई
अटल मनमोहन जब करिहन चढ़ाई
देश में रोजगार पैदा कइल जाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
मंडल से आई कमंडल में अझुराई
भवंडल से सब लोग जाई मताई
दिल्ली के तेला बेला ना सहाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
सौ में साठ से आई उनचास भेंटाई
आरक्षित बबुआ लोग चाँपी मलाई
मेरिट के लाल जिन्दा जरि जाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
बीपीएल से आई एपीएल में समाई
मनमोहनी मनरेगा में माटी कटाई
घोटालन से देश किचाईन हो जाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
अन्ना से आई गन्ना भेंटाई
क्रांति के होई जब खूबे पेराई
दिल्ली पर जब मालिक थोपाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
नोटबंदी से आई जनधन में जाई
गरीबन के गैस के चूल्हा बँटाई
फेंका-फेंकी में तनी महंगी कसाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
सीएए से आई एनआरसी में बिलाई
घोटायी ना मठ्ठा पिठ्ठा पेलाई
मठ्ठा पिठ्ठा पर जब होई बलवाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
लोन माफी से आई सब्सिडी में जाई किसानन के नाम जब होई ढ़िठाई मार्च अनशन से जब सरकार डेराई तबही ए बबुआ समाजवाद आई
जनेऊ तुड़ाई जात पात ना जाई यूरेशी विदेशी नया जात आई लिंगायत अलग धरम बन जाई तबही ए बबुआ समाजवाद आई
लिबरलई से आई लबरधोंधी में जाई
लालपंथी लोग जब हद लबलबाई
चारों ओरी जब झंडा झंडी गराई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
सर्वहारा से आई अल्पहारा में जाई
बुजुर्आ सामंतन के कोल्हू पेराई
पैदलिया नेता जब घोड़ा चढ़ जाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
वाद से आई दाद खाज में जाई
भोलेन्टियर आ भोटर खूबे हगुआयी
जालिम लोशन कौनो कामे न आई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
कनफूँकी से आई शिक्षा से बिलाई
नारा के हिसाब जब होई पाई पाई
जनता के जब लउकी पूरा भलाई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
होली से आई बनके फगुआ गवाई
जोगीरा के थाप पर ढ़ोल पिटाई
आदमी आदमी से बैर बिसराई
तबही ए बबुआ समाजवाद आई
(स्व. गोरख पाण्डेय को भावभीनी श्रद्धांजलि)