मेरी गर्लफ्रेंड
भाग-1
मेरा नाम बताना तब तक मायने नहीं रखता जब तक यह उसके होंठों से ना बताया जाए। मैं अकेला लड़का नहीं हूँ जो प्रेम के सहारे जीना चाहता है, जिसका प्रेम कहानियों पर विश्वास है और जो अपनी कहानी बनाना चाहता है। मैंने यह भी चाहा कि प्रेम में मेरा हिस्सा प्रियतमा से अधिक हो। मेरे दोस्त मुझे ट्वीलाईट सागा का Edward Cullen कहते थे। लड़कियां को मैं एडवर्ड से ज़्यादा अच्छा दिखता था। जब लड़कियों के प्रोपोज़ करने का चलन आम नहीं था, तब भी कई लड़कियों ने मुझे अपना पहला प्रेम बताया। मुझे यह सब अच्छा लगता था लेकिन कोई भी लड़की मुझे मेरी प्रेम कहानी के अनुरूप नहीं लगी।
मैंने स्कूल कानपुर से किया था और वहीं से ग्रेजुएशन (बिज़नेस मैनेजमेंट) करने का सोच लिया। माँ और पापा डॉक्टर थे और चाहते थे कि मैं भी बनूँ। 12वीं तक बायोलॉजी पढ़ा। मैंने यह कैरियर चाह कर जीवन मे पहली बार मम्मी-पापा को निराश किया। इसके साथ ही निराश करने और होने का सिलसिला शुरू हो गया।
कॉलेज के पहले दिन इंस्टिट्यूट के मेन डोर पर खड़े सीनियर्स नए स्टूडेंट्स को ऑडिटोरियम में जाने का संकेत दे रहे थे। लगभग 300 स्टूडेंट्स A, B और C सेक्शन में बँटे हुए थे। ऑडी पहुँच कर मैं सबसे पीछे बैठ गया। स्टेज पर खड़े एक सीनियर ने हमें पूछा कि सबसे पहले अपना इंट्रोडक्शन कौन देगा। कत्थई सूट पहनी एक लड़की ने हाथ उठाया और स्टेज पर गयी। दूर से उसका गोरा रंग व लंबाई ही दिख रही थी। माइक नहीं था। उसने क्या कहा, कुछ समझ नहीं आया। उसके बाद एक लड़का गया जिसने कॉन्फिडेंस में ‘आया रे’ गाना गाया और ऑडिएंस से कोरस में “तो बोलो आया रे” बुलवाना चाहा पर किसी ने प्रतिक्रिया नहीं दी। इस तरह पहला दिन इंट्रोडक्शन में ही चला गया।
कमरे पर वापस आकर मेरे रूमी कपिल ने मुझे पूछा,”बैच में सबसे सुंदर लड़की तुम्हे कौन लगी?”
“कोई नहीं, कुछ दिखने में ठीक थीं। स्टेज वाली थोड़ी स्वीट लगी। दूसरी जो मेरे पास आकर बैठी थी, क्या नाम था उसका? एक C सेक्शन में लड़की है, वो लंबी है और फिगर अच्छा है पर चेहरा खास नहीं है”, मैंने जवाब दिया।
श्रद्धा?
हाँ, वही।
वो निशा कैसी लगी?
वो आदमी सी आवाज़ वाली? अच्छी तो नहीं लगी पर उसकी बातों पर हँसी आती है।
क्लासेस शुरू हो गयीं। सारे विषय ठीक थे पर बिज़नेस इकोनॉमिक्स और मैथ्स में मुझे मौत आती थी। हमेशा से इच्छा थी कि कॉलेज में टीचर कोई ‘राज आर्यन’ हो जो प्रेम सिखाये। धरातल पर हमें इकोनॉमिक्स श्रुति मैम पढ़ाती थीं। जो बोलती क्या थी, आज तक समझ नहीं आया। मैं श्रद्धा के साथ बैठता था। धीरे-धीरे दोस्ती हुई और कुछ दिन फ़्लर्ट भी चला। उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था और मुझे करनी नहीं थी। कॉलेज जॉइन करने का प्रमुख कारण पढ़ाई था भी नहीं।
मैं श्रद्धा के साथ बैठता और कपिल कॉलेज के लफाड़ी लड़कों से दोस्ती गाँठ रहा होता था। वापस हॉस्टल दोनो साथ ही जाते थे। एक दिन क्लास में श्रद्धा और मैं बातें कर रहे थे कि कपिल अचानक से पीछे के दरवाजे से आता है। मुझसे कहता है,” तुम्हारे जात की एक लड़की को सीनियर लड़के परेशान कर रहे हैं। मैं जाकर बोल दूँ कि तुम उसके दूर के भाई हो?”
बिना सोचे मैंने हाँ बोल दिया। कुछ दिन बाद मैंने महसूस किया कि श्रद्धा की बातें अब मुझे बोर करने लगीं थी। फ़िर उसका अफ़ेयर एक सीनियर से हो गया।
कॉलेज में सीनियर्स का एक ग्रुप होता था जिसके लड़के ‘कनपुरिया स्टाइल’ में रहते थे। अधिकतर कानपुर से बाहर के लड़के थे। गुंडे नहीं थे पर गुंडा दिखने की पूरी कोशिश करते थे। उनमें से सबसे कमज़ोर योगेश था। वह मेरे कमरे पर अक्सर आता था। एक दिन वह कपिल से बात कर रहा था कि कैसे उसके ग्रुप लीडर ने उस लड़की को प्रोपोज़ कर दिया जिसे वह पसंद करता था। लड़की ने उस ग्रुप लीडर को मना कर दिया तो ग्रुप के सारे लड़के उसे एक एक करके प्रोपोज़ कर रहे हैं और योगेश बात तक नहीं कर पा रहा है। मैंने बातों में थोड़ा इंटरेस्ट लिया और उससे एक डील की जिसके तहत योगेश हमे फर्स्ट सेमेस्टर के सभी नोट्स देगा और हम उस लड़की से योगेश के लिए बात करेंगे।
अपनी नैय्या तो पर हो नहीं रही थी, दूसरे के नाव को धक्का देने जा रहे थे। लड़की A सेक्शन की थी। अगले दिन हम क्लास के बाद उस लड़की से बात करने गए। मैं पीछे के गेट पर खड़ा हुआ औऱ कपिल अंदर गया। उसने जाकर लड़की से बात की और वापस आ गया।
कपिल, “योगेश के बारे में बात नहीं कर पाया। तुम भी उससे मिल लो।“
मैं क्लास में गया। लेफ्ट कार्नर फ्रंट पर बैठी उस लड़की की झलक देखकर मैंने कपिल से कहा, “ये ऑडी वाली लड़की है ना।“ उसने हाँ कहा। मैंने कहा कि कितनी सिंपल है पर चेहरा कितना ग्लो कर रहा है, बच्चों जैसी स्किन है। कपिल ने कहा कि तुम्हारे कास्ट की है। मैं उसे देख कर बहुत खुश था। पास जाकर मैं उसके पास खड़ा हो गया। उसके साथ वाली लड़की ने मुझे देखा और देखती रही।
कपिल ने उस लड़की को आवाज़ दी और कहा, “तुम्हे याद है मैंने तुम्हें बोला था कि अगर कोई तुम्हे छेड़े तो बोल देना कि B सेक्शन में तुम्हारा दूर का भाई पढता है।“ उस लड़की ने हाँ में सर हिलाया। कपिल ने मेरी ओर इशारा कर कहा कि यह वही है। उस लड़की ने मेरी ओर देखा। मैं बहुत खुश था लेकिन कपिल की बात पर अचानक ही मेरा सर फटने को हो गया। मन किया कि कपिल का सर फोड़ दूँ।
कपिल को साइड में लाकर पूछा,” साले, तू इसे जानता था तो फिर मेरी बहन क्यों बनाया।“
मुझे लगा कि तेरा श्रद्धा के साथ चल रहा है।
यह लड़की मुझे बहुत पसंद है। इससे सोलमेट जैसी फीलिंग आ रही है।
कपिल ने कुछ सोचते हुए कहा,”योगेश बेवकूफ है। उसको किनारे करो और तुम पटा लो।“
मैंने पूछा, “ये दूर के भाई वाला झूठ कितने लोग जानते हैं।“
कपिल ने जवाब दिया, “लगभग सब।“
मैने ज़रा और हिम्मत करके पूछा, “उसे कोई इशू नही है मुझे भाई बनाने में?”
कपिल ने कहा, “जब यह बात हुई तब उसने तुम्हें देखा नहीं था। वैसे उसे सिर्फ पढ़ाई और अपने ग्रुप से मतलब है।“
मैंने पूछा, “अब क्या करें?”
कपिल बोला, “फिलहाल तो लड़की का दिल जीतो, भाई बनकर ही सही।”
भाग-2
उसे देखकर कहने मात्र को मेरे पैर ज़मीन पर थे। कल्पनाओं के सातवें आसमान से ऊपर भी यदि कुछ होता है तो मेरा मन वहाँ पर था। मैं कैसे हार मान लेता? ज़िंदगी का पहले प्यार होने जा रहा था, हालांकि हर बार प्रेम स्वप्न को कपिल के ‘भाई है’ शब्द बाधित कर रहे थे। मैं एकतरफ़ा आशिक़ होने के लिए नहीं बना था। यह जानना ज़रूरी हो गया था कि मुझे प्रेम करने में उसकी तरफ़ से कितना समय लगना है।
अगले दिन सुबह योगेश मेरे कमरे पर आया। कपिल ने उसे बहलाया कि लड़की बहुत सीधी है, थोड़ा समय लगेगा बात करने में। योगेश ने बेचैनी भरी आवाज़ से कहा कि यदि तुम दोनों से नही हो पा रहा है तो मैं खुद बात कर लूँगा। बैच के लड़कों ने इसे एक मिशन की तरह समझ लिया है। रोज़ कोई ना कोई साथ का लड़का A सेक्शन में इंट्रोडक्शन लेता दिख जाता है। वो साला अविनाश तो पिछली सीट पर कब्जा बना चुका है।
योगेश को पट्टी पढ़ाकर कपिल और मैं कॉलेज गए। क्लास में मन नहीं लग रहा था। बार-बार बाहर निकल कर वाशरूम या वाटर कूलर के पास जा खड़े हो रहे थे। खिड़की से ज़रा सी झलक में वो दिख रही थी। एक दिन की 3 क्लासेज खत्म हो गयी थीं। मैं इंस्टीट्यूट के बाहर बायीं ओर बने पार्किंग स्पेस को जा रहा था कि अचानक मुझे किसी लड़की ने पीछे से आवाज़ दी; “रोहित!”
मैंने पलटकर देखा तो वो थी।
कपिल कहाँ है? उसने मुझसे नोट्स लेकर किसी को दिए थे। वापस नहीं किये।
सकपकाहट में कुछ बोला नहीं गया, पर अपनी मधुरतम मुस्कुहाट के साथ मैं उसे देखने लगा।
मेरा नाम पूजा है। मैं A सेक्शन से हूँ जिसे तुमने बहन बनाया है।
मेरी ज़ुबान ने लड़खड़ाते हुए कहा, “अच्छा हाँ, कपिल ने बता दिया था। तुम यहीं रहती हो?”
नहीं, पास में हॉस्टल है।
मैंने दुनिया भर की चालाकी बटोर कर एक साँस में कहा, “अपना नम्बर और होस्टल का एड्रेस दे दो। मैं नोट्स कपिल से लेकर तुम्हें आज ही दे जाऊँगा।“
पूजा ने सरलता से उत्तर दिया, “कोई बात नहीं, नोट्स कल ले लूंगी। आप परेशान मत हो।“ फिर कुछ सोचते हुए उसने कहा, “आप नम्बर ले लीजिए, एक दूसरे काम लगता रहेगा। हॉस्टल पास में ही है, आहूजा हाउस के बगल वाला।
मैंने स्माइल की… और उसने भी।
कमरे पर पहुँचा तो मैंने देखा कि कपिल के साथ 7-8 सीनियर्स बैठे हैं। कोने में आकर कपिल ने मुझे बताया कि उन सबको मुझसे बात करनी है। मैं कपड़े चेंज करके रूम में आया और बात करने को बैठ गया।
ग्रुप लीडर बोला, “देख रोहित, तेरी बहन के बारे में बात करनी है।“
मैं कन्फ्यूज हो गया। कपिल ने चालाकी से पूछा कि बात क्या है।
ग्रुप लीडर के चमचे ने कहा, “आपकी बहन ने भैया के साथ बदतमीजी की है। भैया सच्चे दिल से उसे पसंद करने लगे थे। प्रोपोज़ करने पर लड़की ने भगवान को कोसा कि उसके क्या दिन आ गए हैं कि ऐसे लड़के उसे प्रोपोज़ करेंगे। इतना ही नहीं, आज ग्रुप के दूसरे दोस्त ने उससे बात करने की कोशिश की तो उसने अपने दोस्तों के सामने कहा कि 2-3 इंच और बढ़ जाओ तब मुझसे बात करने आना।“
इससे पहले वो और कुछ कहता, कपिल ने बात काट दी और लिबिर लिबिर करते हुए कहा,”अर्रे भैया, सगी थोड़ी ना है। वैसे तो सीधी ही है। चलो हम बात कर लेंगे। आप लड़कों को कह दीजिये उसे परेशान न करें।“
ग्रुप लीडर ने मेरी ओर देख कर कहा, “तुम्हारी बहन है, उसको बोलो मुझे माफ़ी मांगे। मुझे भाई मानते हो तो कम से कम दूसरे ग्रुप के अविनाश से उसे पटने ना देना।“
मैंने मरी हुई आवाज़ में बस इतना कहा, “बहन नहीं, रिश्तेदार।”
यह बात कर सारे निकल गए।
एक साथ इतने सारे दुःख मुझ मासूम पर टूट पड़े पर इन सब पर उसके नम्बर का मिलने का परम सुख भारी था। शाम को मैंने उसे फ़ोन किया।
हेलो पूजा
कौन?
मैं तुम्हारे कॉलेज से, वो क्लासेज के बाद मिले थे ना, नंबर लिया था।
रोहित?
हाँ। मुझे बताना था कि कल तुम्हें नोट्स मिल जायेंगे।
कोई बात नहीं।
फिर मैंने पूछा,”और सब ठीक है? कोई परेशानी तो नहीं है कॉलेज में, मन लग रहा है।”
उसने जवाब दिया, “हाँ सब ठीक है। रोज़ कुछ ना कुछ एंटरटेनमेंट होता रहता है। मन लग भी रहा है और नहीं भी। सीनियर्स तंग करते हैं।“
कोई पसन्द आया?
नहीं।
और वो अविनाश?
अर्रे वो तो बहुत सीधे हैं। गाना सुनाकर वापस भेज देते हैं। मुझे अच्छी लड़की समझते हैं। मुझसे मीन मीडियन मोड के सवाल पूछते हैं और कहते हैं कि मैं क्यूट हूँ।
मैंने ज़ोर दिया,”सच बताओ, तुम्हें कोई लड़का पसन्द नहीं आया?”
उसने सोचकर कहा,” सच बोलूँ तो एक सुपर सीनियर हैं। वो अच्छे लगते हैं। करन नाम है, बहुत अच्छे दिखते हैं। वो चाहते हैं मैं उनके साथ कल J K टेम्पल जाऊं।”
मैंने पूछा, “तुम क्या चाहती हो।“
उसने जवाब दिया; “टेम्पल जाने का मन है मेरा।“
मैंने सकपकाकर कहा, “ओह! ठीक है। फ़िर कभी बात करेंगे। अपना ख़याल रखना।“
मैंने फ़ोन रख दिया। खोपड़ी का भरता बन चुका था। दिमाग़ में कुछ बात आयी और मैंने योगेश को फ़ोन किया और कहा कि मैंने लड़की से बात की है और यदि कल वह उसे प्रोपोज़ कर दे तो बात बन सकती है। दूसरे कॉल से ग्रुप लीडर को बताया कि कल योगेश पूजा को प्रोपोज़ करने वाला है। कपिल से कह कर DAMS कॉलेज के लड़के बुलवाए। क्लासेज खत्म होने के बाद कपिल के साथियों को मैंने कैफेटेरिया के सामने खड़ा होने को बोला। सुपर सीनियर रोज़ उधर से ही आता था। इधर योगेश, पूजा के इंतज़ार में इंस्टिट्यूट के बाहर खड़ा था। ग्रुप लीडर और बाक़ी लड़के पार्किंग से उसे देख रहे थे।
पूजा इंस्टिट्यूट से निकलक बाहर बने बेंच पर बैठ गयी। योगेश लहराता हुआ पूजा के पास गया और उसने कुछ कहा। दूर से देखकर यह लगा जैसे पूजा ने उसे डाँट कर भगा दिया। ग्रुप लीडर और लड़के हुल्लड़ करने लगे। वे योगेश को तेज़ आवाज़ में ताने देने लगे, “ये घोड़ों की रेस में गधे कब से आने लगे।“ पूजा उन्हें देखकर वापस अंदर क्लास की तरफ़ चली गयी। योगेश ने खीझकर ग्रुप को ‘गंवार साले’ कहा और लड़कों ने उसकी धुनाई कर दी। दूसरी ओर कपिल के बुलाये लड़कों ने सुपर सीनियर को बहुत कूटा।
जैसे ही दोनों लड़को के कूटे जाने की खबर मिली, मैं A सेक्शन में दौड़ता हुआ गया। दो बातें मन में कौंध मचाये थीं। मैं एक यह जानना था कि पूजा को कुछ पता तो नहीं चला और दूसरा यह कि यदि वह फ्री हो तो JK टेम्पल चला जाए। हीरो वाली फीलिंग के साथ मैं क्लास के अंदर पहुँचा और मैने देखा कि क्लास की पिछली सीट पर अविनाश भैय्या पूजा के साथ बैठे उसे ‘तुम बिन जिया जाए कैसे’ गीत सुना रहे थे।
भाग-3
एक पल को सारी प्लानिंग और चालाकी बेवजह सी लगी। मैं क्लास में अंदर जाने की हिम्मत नहीं कर पाया। गेट पर ही खड़ा रहा। भैया का गाना खत्म हुआ। देखने से लग रहा था कि पूजा काफी इम्प्रेस हुई थी। मुझे बुरा लगा। मैं वापस होने को ही था कि अविनाश भैया ने मुझे आवाज़ दी। धीरे से उन्होने पूजा से पूछा, “ये वही है ना तुम्हारे दूर का भाई? पूजा ने कुछ जवाब दिया जो सिर्फ ‘हाँ’ से बड़ा था। मैं पास गया तो भैया ने कहा कि पूजा को हॉस्टल छोड़ता हुआ अपने रूम पर चला जाऊँ। मैंने हाँ में सर हिलाया। शायद यह लम्हा मेरे लिए स्पेशल होता पर लग नहीं रहा था। मैं यह सोचकर बहुत नर्वस था कि कहीं पूजा को किसी और से प्यार ना हो जाये। मेरा क्या होगा? ज़िंदगी में एक लड़की पसंद आयी है। इंतज़ार करूँ उसका मेरे प्यार के रंग में रंगने का या और कोशिशें करूँ।
मेरे नकारात्मक ख़यालों का तांता तब टूटता है जब पूजा दुबारा मेरा नाम लेती है। मैं चौंक कर उसकी तरफ़ देखता हूँ। अब थोड़ा बेहतर महसूस होता है। मैंने धीमी आवाज़ में कहा कि चलो हॉस्टल छोड़ देता हूँ। उसने कहा, “रोहित, क्या अविनाश सर को हम सच बता सकते हैं?” मैंने कहा कि सिर्फ उन्हीं से क्यों? उसने उत्तर दिया,” जिससे बात होती हो, उससे अनजाने में भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। लोग बुरा मान जाते हैं।“ मैं यह बात सोचता रहा और यह फार्मूला अपनी सिचुएशन पर अप्लाई करता रहा कि उसका हॉस्टल आ गया।
हॉस्टल के गेट के सामने बाइक से उतरकर मैं खड़ा हो गया। वह अंदर जा रही थी। मैंने चहरे के भावों को सहज करते हुए पूछा, “अच्छा पूजा, अविनाश सर को पता है कि तुम्हें उनके क्लास के लड़के परेशान करते हैं?” उसने हाँ में उत्तर दिया। मैंने आगे पूछा कि वो तुम्हारी मदद क्यों नहीं करते हैं। उसने कहा,”सर कहते हैं कि मुझे ऐसे लोग आगे भी मिलेंगे। मुझे उन्हें डील करना आना चाहिए। अब हमेशा कोई सुपरमैन तो मुझे ऐसे लोगों से बचाने आएगा नहीं।“
“हो सकता है कोई आ ही जाए, सुपरमैन ना सही, कोई मैडमैन। तुम्हारे लिए पागल।”, मैंने बात आगे जोड़ी। इससे पहले पूजा कोई जवाब देती उसके हॉस्टल की कोई लड़की बाहर आ गयी। पूजा ने उसे मेरा रूममेट दीदी के रूप में परिचय कराया। लड़की ने मेरे बारे में पूछा तो पूजा ने ‘दोस्त है’ कहा। मुझे यह सोचकर चैन की सांस आयी, कम से कम पूजा मुझे भाई तो नहीं बनाना चाहती है। इसके साथ ही ख्याल आया कि पूजा की रूमी दीदी से दोस्ती ठीक रहेगी।
रूम पर वापस सोच रहा था कि मैं इतनी प्लानिंग और प्लाटिंग कर रहा हूँ, यह कहाँ तक सही है। पहले की डरावनी मूवीज में दिखता था कि हीरो अगर मर गया है तो मर कर आत्मा उसकी प्रेमिका के पास यह संदेश लेकर जाती है कि अब तुम भी मर जाओ और मुझसे मिलन करो। मैं सोच रहा था इतने एफर्ट्स मुझे कैसा इंसान बनाए दे रहे हैं। दो बंदों की पिटाई का मुझे गम नहीं था क्योंकि पिटाई वो दोनों ही डिज़र्व करते हैं। मेरी नज़र में मैं कोई औसत लड़का नहीं जो लड़कियों के हॉस्टल के चक्कर लगाए। लड़की को बिना बताए लड़के पीटने के इंतज़ाम करे या उसकी रूमी से बातचीत इस कारण बढ़ाये कि कल को वह मदद कर सकती है। मेरा प्रेम तो एक दूसरे को देख कर गिटार बजने लगे, ऐसा होना चाहिए था। ख़ैर, एक दो हफ़्ते तक रूम-कॉलेज-पूजा और पूजा की रूममेट दीदी चलता रहा।
ज़िंदगी बोझिल हो ही रही थी क्योंकि बात आगे नहीं बढ़ रही थी। तभी एक दिन पूजा ने आकर मुझे कह दिया, “रोहित तुम क्लास में मत आया करो।“ मैंने उस वक़्त तो कुछ नहीं कहा पर शाम को पूजा को फ़ोन किया और पूछा कि किसी ने कुछ कहा है। उसने कहा कि जिस तरह से तुम क्लास में आते हो और मुझे देखते हो उससे गलत मेसज जाता है। लोग शक करते हैं कि भाई-बहन की आड़ में हमारे बीच कुछ चल रहा है। मन ना अम्लीय था ना क्षारीय, उदासीनता से पूछा कि क्लास में नहीं आने से क्या उनका शक खत्म हो जाएगा। उसने उत्तर दिया, “बात यह है कि मैं असहज हो जाती हूँ।” मैंने कहा कि ठीक है, अब से नहीं आऊँगा। आगे पूछा कि कल J K टेम्पल चलोगी? उसने जवाब दिया, “नहीं”। मैंने फ़ोन डिसकनेक्ट किया।
शाम को मैंने पूजा को टेक्स्ट किया कि तुम्हे परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। एक दोस्त के जैसे बात कर सकती हो। मैं आर्ट गैलरी की एक लड़की को पसंद करता हूँ। पूजा ने ‘ठीक है’ कहा। मैंने अविनाश भैया के बारे में पूछा। उसने जवाब दिया कि क्लास नहीं आए काफी दिनों से, शायद होमटाउन गए हों। मैंने पूछा कि आइसक्रीम खाओगी। उसका कॉल आया। लाइन पर उसकी रूमी दीदी थीं। उन्होंने हँसते हुए कहा,” देखो रोहित जो भी लाना, दो लाना”। मैं आइसक्रीम लेकर होस्टल के गेट पर गया। पूजा और रूमी दोनों आयी। मैंने हँसी मजाक करते करते रूमी दीदी का नंबर ले लिया। वो मुझे बहुत प्यार से देखती थीं। रॉंग नंबर ना लग जाये, इस डर से मैंने उन्हें पहली नज़र में बहन बना लिया।
अब सब ठीक था। पूजा से बात होती थी। वह दोस्त समझकर मुझसे खूब बातें करती थी। अगले हफ़्ते उसकी रूमी दीदी और उसे नवाबगंज वाला चिड़ियाघर घुमाने ले गया। और बातचीत हो रही थी तो क्लास ना जाने का दुख भी नहीं था। एक दिन क्लास से बाहर निकल ही रहा था कि अविनाश भैया सामने खड़े थे। मैंने सकपकाकर हेलो बोला। उन्होंने कहा, “रुको और कायदे से सुनो बे, आज के बाद उसके आस-पास दिखायी पड़े तो योगेश से भी बुरा कूटे जाओगे। साले, बहन बनाकर ऐसी हरकतें कौन करता है।“ मैंने हिम्मत कर कहा, “भैया, वो दोस्त है। मैंने उसकी हमेशा मदद की है और आप उन लड़कों को कुछ क्यों नहीं बोलते जो उसे तंग करते हैं? आप तो उसे खुद डील करने को छोड़ देते हैं।“ उन्होंने कहा,”क्योंकि वैसे लड़के उसको मेंटली स्ट्रांग बनाएंगे और तुम जैसे उसे कमज़ोर करेंगे। तुझे नहीं पता तू उसके सामने अच्छा होने का नाटक क्यों करता है? क्योंकि तू झूठा है।”
एक बार तो मन किया कि भैया को झापड़ मार दूँ। फिर सोचा, अब पूजा को प्रोपोज़ करना ही पड़ेगा।
भाग-4
मैं हमेशा यही सोचता था कि जब पूजा को प्रोपोज़ करूँगा तो आसपास फिल्मी माहौल रखूँगा पर आज जल्दबाजी में ऐसा कुछ इंतज़ाम नहीं हो पाया। कई ख़याल मन में घर कर रहे थे। कुछ पूजा के सामने अपनी बात रखने की हिम्मत दे रहे थे तो कुछ सदैव के लिए उसे खो देने का डर।
शाम को मैं अपने उरई के एक दोस्त के साथ उसके हॉस्टल गया। मैंने उसे फ़ोन करके बाहर आने को कहा। उसने लाल रंग का सूट पहन रखा था। कुर्ते की बाँहें और पैर गीले थे जिससे लग रहा था कि वह कपड़े धो रही थी। मैंने दोस्त को किनारे खड़ा कर पूजा से बातें शुरू की। मैं असहज हो रहा था। बातों ही बातों में मैंने उसे पास के साइबर कैफे चलने को कहा। मैंने पूजा को बिठाया पर बाइक बीच में ही रोक दी। उसने पूछा, “अगले हफ्ते से मिड सेम शुरू ही रहे हैं। तैयारी हो गयी?” मैंने कहा, “बाकी सारे विषय ठीक ही हैं। बस अकाउंटस और मैथ्स पर ध्यान देना है। अच्छा पूजा, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। उसके लिए कुछ जानना भी ज़रूरी है।“ उसने मुझसे बात पूछने को कहा। मैंने पूछ लिया कि क्या वह किसी को पसंद करती है। उसने ‘हाँ’ में जवाब दिया। मुझे बहुत बुरा लगा पर मैं इसके लिए तैयार था। मैंने कहा, “इस बात से मुझे इतना फर्क नही पड़ता कि मैं अपनी बात नहीं रखूँ।“
“पूजा मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ। तुम अच्छी लड़की हो, इसलिए हमेशा करता रहूँगा। तुम्हारी फिक्र में बस मैं यह नहीं चाहता हूँ कि किसी गलत लड़के से तुम्हारा अफ़ेयर हो और तुम परेशान रहो।“ मैंने इतनी बात कही और गाड़ी उसके हॉस्टल की ओर मोड़ ली। उसने उतरते वक़्त पूछा, “इतना ही बात थी?” मैंने कहा, “और हो सके तो कल से मैथ्स पढ़ा देना।“
दोस्त से मैंने इमेज मेंटेनेन्स के चक्कर मे कह दिया कि पॉजिटिव जवाब है। रात को सभी दोस्तों को पार्टी देकर मैं सो गया। सुबह उठा तो बहुत सारे ख़यालों ने मन को घेर लिया। प्यार क्या होता है, मुझे पता नहीं था पर कुछ बातें मालूम थीं। जैसे प्यार में कुछ भी कर जाने की क्षमता होती है। जिससे हम प्रेम करते हैं, उसके खिलाफ़ मुकदमा भी हम ही दायर करते हैं, उनसे मिली उपेक्षाओं पर उसकी वकालत भी ख़ुद ही करते हैं और उसके पक्ष में फैसला भी खुद ही देते हैं। मालूम था कि यदि कोई आपसे कहता है कि वह आपसे प्यार करता है/ करती है और किसी ऑड सिचुएशन में वह आपसे बिना बात किये चौबीस घण्टे गुज़ार ले तो उसका प्यार और भावनाएं झूठ हैं। साथ ही ‘कुछ कुछ होता है’ मूवी से काजोल का ‘मेरा पहला प्यार अधूरा रह गया’ डायलॉग भी याद आ रहा था।
अगले दिन क्लास खत्म करके मैं पूजा के पास गया। उसने कहा कि वह पढ़ रही है और आज नहीं पढ़ा सकती। मैंने ज़िद करके उसे हॉस्टल के बाहर बुलाया और गाड़ी को अपने रूम की तरफ़ मोड़ लिया। रूम पर पहुंचकर मैंने मैथ्स की कुछ किताबें उठायी और उसके पास बैठ गया। वह कंप्यूटर टेबल के पास बैठी थी। मैं भी उससे सटकर बैठ गया। वह पूरे मन से पढ़ाने का नाटक कर रही थी कि मैं रोने लगा और उसके कंधे पर अपना सर रख दिया। वह असहज होकर उठकर जाने को हुई। मैंने उसे रोका। मैं उसे गले लगाने ही वाला था कि उसे किसी का फ़ोन आ गया। उसकी बातों से लगा कि अविनाश सर थे। पूजा तुरंत घर के बाहर निकल गयी। वह मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी। मैंने उसे उसके हॉस्टल छोड़ दिया। फिर एक दो दिन ठीक से बात नहीं हुई।
सोमवार को हमारा पहला एग्जाम था। कॉलेज गया तो देखा कि एग्जाम कैंसल हो गया है। पता चला कि A सेक्शन का कोई सीनियर नहीं रहा। इसलिए अगली तारीख तक एग्जाम पोस्टपोन हो गए हैं। मेरा मन नहीं लगा और मैं वापस रूम पर आ गया। फ़ोन साइलेंट पर था, इसलिए देख नहीं पाया कि पूजा की 15-20 मिस्ड कॉल्स और मैसेजज पड़े थे। मैंने हड़बड़ाकर उसे फ़ोन किया। वह बहुत रो रही थी। उसने बस इतना कहा कि अविनाश सर ने सुसाइड कर लिया। मुझे पूजा की चिंता हो रही थी। इसलिए मैंने कपिल को भेजकर उसे रूम पर बुला लिया। पूजा बस रोये जा रही थी। मुझे जानना था कि वह ऐसे क्यों रो रही है, जैसे अविनाश सर के सुसाइड का कारण वह खुद को मान रही हो।
मैंने उसे शांत किया। उसने बताया, “सुबह मुझे अविनाश सर के किसी दोस्त का फ़ोन आया था। उसने कहा कि सर मुझे मिलना चाहते हैं पर मैंने मना कर दिया और कहा कि आज मेरा एग्जाम है और मैं रिवीजन कर रही हूँ। मैंने सुना कि उस दोस्त ने सर से टौंट कर कहा कि लड़की अभी नहीं मिल सकती क्योंकि उसका रिवीजन चल रहा है और फ़ोन डिसकनेक्ट हो गया। मैं कैसे जी पाऊँगी इस दोष के साथ। मैंने उनकी बात जानने की भी कोशिश नहीं की। मेरा मरने का मन हो रहा है।“ मुझे पूजा की बात सुनकर बहुत दुख हुआ। अविनाश भैया अच्छे इंसान थे पर मेरी नज़र में पूजा का कोई दोष नहीं था। मैंने पूजा के नज़रिए से भैया को समझना चाहा। इसलिए कुछ और सवाल किए पर वह ऐसे रोये जा रही थी कि मेरे मुँह से निकल गया,”पूजा, मै तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। तुम्हें रोता हुआ नहीं देख सकता।“ उसने सिसकते हुए कहा, “रोहित, मैं भी।“
भाग-5
उसके यह कहने की देर ही थी कि मैंने उसका हाथ थाम लिया और मन ही मन कसम खा ली कि अब ये हाथ नहीं छोडूँगा। अविनाश भैया को एक पल के लिए ज़हन से निकाल ही दिया था पर उसकी सिसकियों से लगा कि उसका दुःख कुछ ज़्यादा ही बड़ा है। थोड़ा सा पानी गिलास में लाकर उसे पीने को दिया। उसने पानी पीने को चेहरा ऊपर उठाया तो मैंने देखा उसका चेहरा लाल था, नाक और आँखें सूजी हुई थीं। मुझे उस पर बहुत तरस आ रहा था। मैंने पूछ लिया,”अविनाश भैया बहुत अच्छे इंसान थे। तुम्हें उनकी कोई बात चुभ रही है क्या?” वह बोलने की हालत में नहीं थी। मैंने उससे फ़िर कहा,”देखो, प्यार का रिश्ता बस अभी अभी शुरू हुआ है, पर हम दोस्त काफी समय से हैं। तुम मुझे अपना समझकर कुछ भी बता सकती हो।” उसने कहा,”फ़िलहाल मुझे होस्टल छोड़ दो।”
महीने बीत गए, पूजा और मैं प्यार में कम्फ़र्टेबल भी हो गए पर कभी ऐसा लगा नहीं कि पूजा अविनाश भैया के जाने के दुःख से उबर पायी है। मैंने कई बार उसके मन की बात जानने की कोशिश भी की पर उसका यह कह देना कि रोहित, तुमसे ही प्यार है और हमेशा रहेगा, मेरे मन में उठने वाले सभी सवालों को रोक देता थे।
पूजा से प्यार होने के बाद मैं यह जान पाया कि मेरा स्वभाव डोमिनेटिंग है। मैं अपनी लगभग हर बात पूजा से मनवा ही लेता था। एक दिन फ़ोन पर बात करते वक़्त मैंने पूजा से कहा,”तुम कितनी सुंदर हो एकदम गुड़िया जैसी।“ फिर मैंने पूछा ,” मैं तुम्हें कैसा लगता हूँ, तुमने कभी नहीं बताया।“ उसने कहा,”अच्छे लगते हो। बस हाँथ-पैर हाइट के कैम्परिजन में पतले हैं।“ बचपन से आज तक सिर्फ तारीफ़ सुनने वाले लड़के के लिए अपने जीवन के सबसे प्रिय इंसान से मिला यह फीडबैक थोड़ा अजीब लगने वाला था। इसलिए थोड़ा सा दिल पर लग जाना ज़रूरी था।
बात दिल पर क्या लगी कि अविनाश भैया की याद आ गयी। पूजा बात करते ही इमोशनल हो जाती थी, इसलिए एक दिन मैं अविनाश भैया के दोस्त से मिला। उन्होंने मेरे सवालों का जवाब कुछ ऐसे दिया,”देख रोहित, अविनाश घर से दुखी रहता था। माँ-बाप से ज़्यादा बात नहीं होती थी। बढिया इंसान था पर नशे की बुरी लत थी उसे। एक लड़की से बात भी करता था जिससे उसका रिश्ता शायद डिस्टेंस रिलेशनशिप जैसा था। उस दिन बस यह समझ ले कि नशे की डोज़ ज़्यादा हो गयी थी।“ मुझे यह जानकर एक पल को सुकून हुआ कि चलो पूजा और अविनाश भैया का कुछ सीन नहीं था। चलते चलते मैंने पूछ ही लिया,”अच्छा पूजा को आखिरी समय मे किसी ने कॉल किया था?“ उन्होंने जवाब दिया,” हाँ मैं ही था। अविनाश को वो पसंद करती थी और अविनाश भी आखिरी समय में उसे देखना चाहता था पर बाद में उसने मना कर दिया कि क्यों लड़की को परेशान किया जाये। अविनाश को बस फिक्र थी उस लड़की की।“
मुझे ख़याल आया कि अगर पूजा मुझे ‘हाँ’ नहीं बोलती तो शायद मुझे भी उसकी फिक्र ही रहती। वापस कमरे में आया तो देखा कपिल किसी से लेटा हुआ फ़ोन पर बात कर रहा था। मुझे ताज्जुब इस बात की थी कि लौंडे-लफाड़ियों में रहने वाला कपिल इतनी मुस्कान के साथ किससे बातें कर रहा है। मुझे देखकर भी उसने फ़ोन नहीं रखा तो मैंने उसे ज़रा सा घूर दिया। फिर भी दो मिनट तक बात ‘पहले तुम डिसकनेक्ट करो’ पर अटकी रही। शाम को खाना खाते वक़्त कपिल ने मुझे बताया कि कॉलेज में मेरी रेपो कुछ अच्छी नहीं है। आशिक लड़के मुझे गुंडा समझते हैं और गुंडा लड़के आशिक़ और जो समझदार हैं वो मुझे पहले पूजा का भाई और अब बॉयफ्रेंड समझकर इग्नोर करते हैं। यह बात बहुत परेशान करने वाली थी।
उस दिन कुछ अच्छा नहीं लग रहा था, इसलिए घर पर ही रहा। पूजा ने शाम को कॉल किया। उससे फोन पर बात करने का सुकून अलग ही होता था। बातों ही बातों में मैंने उससे पूछा कि उसके ज़िंदगी से जुड़े क्या सपने हैं। उसने जवाब दिया,”मैं अपने टैलेंट के बेसिस पर वर्ड फेमस होना चाहती हूँ।“ मैंने उसकी बात पर ज़रा भी ध्यान न देकर पूछा,”अच्छा, अब मुझसे पूछो”। उसने जैसे ही मुझे ‘बताओ’ कहा तो मैंने उत्तर दिया,”तुम्हारे साथ एक अच्छी लाइफ और उस लाइफ में मैं खुद को तुम्हें दुनिया में सबसे ज़्यादा चाहने वाला इंसान देखता हूँ।“ वह इस बात पर खुश ज़रूर हुई पर प्रतिक्रिया देने में कच्ची रही। अब फ़ोन रखने की बारी थी। उसने मुझे फ़ोन रखने को कहा तो मैंने पलटकर उसे रखने को कह दिया, यह सोचकर कि यह सिलसिला कुछ देर तक चलेगा पर मेरे कहते ही उसने लाइन डिसकनेक्ट कर दी।
पूजा को छेड़ने वाले सीनियर्स के ग्रुप से मुझे ख़तरा था इसलिए कपिल से बीच-बचाव कराकर मैंने उनसे कोम्प्रोमाईज़ कर लिया। इधर पूजा और उसकी रूमी को चिड़ियाघर, JK टेम्पल, परेड, स्वरूप नगर, बिठूर, गुमटी नंबर पाँच और कानपुर का लगभग हर कोना घुमा डाला। उधर पूजा भी भिंडी, भरवा करेला, और मसालेदार कटहल टिफ़िन में भेजकर मुझे प्यार परोसती रही। एक दिन गुरदेव पैलस पर हम तीनों बर्गर कॉर्नर पर पैटीज खा रहे थे कि सीनियर्स का ग्रुप आ गया। ग्रुप लीडर लपककर हाथ मिलाने आया और मैं ठिठक गया। पूजा और उसकी दीदी को कवर करते हुए मैं ग्रुप लीडर से बतियाने लगा। पूजा ने बुदबुदाकर उसे लफाड़ी कहा। ग्रुप लीडर ने दाएं-बाएं सर घुमाकर पूजा को देखने की कोशिश की। फ़िर थोड़ी ही देर में वहाँ से निकल गया। मैंने महसूस कर लिया था कि पूजा की त्यौरियां चढ़ गई हैं। ‘लोहे को लोहा काटता है’ की तर्ज़ पर मैंने भी मुँह बना लिया।
हॉस्टल छोड़ते वक़्त उसने पूछ ही लिया,”तुम किस बात पर मुँह बनाये हो?” मैंने जवाब दिया,”कुछ नहीं, तुम नहीं समझोगी।” उसने कहा,”रोहित, तुम मुझे बहुत पसंद हो पर यह बिना बात रूठने वाली आदत अच्छी नहीं लगती।“ मैंने उस पर दोष मढ़ने के हिसाब से जानबूझकर कहा,”अच्छा मेरी आदत छोड़ो और एक बात बताओ। अविनाश भैया तो किसी और को चाहते थे। फिर तुम उनके नाम पर इतना इमोशनल क्यों हो जाती हो? मैं कुछ पूछता हूँ तो बताती भी नहीं। अपना फ़ोन भी छिपाती हो। कुछ और चल रहा है क्या?” मेरी इस बात पर उसने मुझे ‘घटिया’ कहा। उसका यह कहना मुझे माँ की गाली से भी ज़्यादा चुभा। मैंने पलटकर कहा,”मैं घटिया क्यों? किसी और को चाहती हो ना? उसके साथ क्यों नहीं हो?”
वह रोने लगी पर उसने जवाब दिया,”ज़िंदा होता तो उसी के साथ होती।“ मुझे गुस्से में कुछ नहीं सूझा तो उसका फ़ोन छीनकर अपने रूम पर आ गया।
भाग-6
पूजा का मोबइल, सोनी वॉकमैन सिरीज़ का डब्ल्यू8 मॉडल, मेरे हाथ में था। मोबाइल पर एक कॉल आती है। नाम लिखा होता है ‘चूहा’। मैं फोन की तरफ़ देख ही रहा था कि फ़ोन ऑटो डिसकनेक्ट हो गया। फोन लॉक्ड था, कुछ देर बाद एक ‘कूल ब्वॉय’ का फ़ोन आया। नाम बड़े अजीब थे। कपिल ने सुझाया कि फोन लॉक है पर कॉल करके यह देख सकते हैं कि हमारे नम्बर किस नाम से सेव्ड है। कपिल ने राम का नाम लेकर मेरे फोन से पूजा का नम्बर डायल किया। कॉल स्क्रीन पर ‘उई माँ’ लिखा हुआ था। मेरा माथा घूम गया और मैंने चिल्लाकर कपिल को कहा कि ये लड़की मुझे समझती क्या है? क्या मैं टोपा टाइप लड़का हूँ जो मुझे यह नाम दे रही थी। कपिल ने माइंड डाइवर्ट करने को अपने नंबर से पूजा को फ़ोन मिलाया। मेरे हाथ में फोन था और इस बार स्क्रीन पर ‘टोपा’ लिखा था।
फोन में घुसकर सब डिटेल्स देखने की मुझसे अधिक अब कपिल को जल्दी थी। हमने पूजा के जान पहचान का हर नाम या पॉसिबल नंबर ट्राय कर लिया लेकिन फोन अनलॉक नहीं कर पाए। पूजा की रूमी दीदी को फोन किया और पूजा के सभी परिवार वालों और रिश्तेदारों के नाम भी पूछ लिये पर कोई फायदा नहीं हुआ। रूमी दी का नाम प्रभा था। उन्होंने हल्के लहजे में एक बात बतायी,”रोहित मुझे नहीं पता था कि पूजा तुम्हारे साथ ऐसा करेगी पर उसका नेचर ही ऐसा है। उसका चचेरा भाई मेरे पीछे पड़ा है। अक्सर पूजा के नेचर के बारे में बताता है। एक बार उसकी दीदी के देवर ने पूजा के लिए ज़हर खा लिया था और हॉस्पिटल से दीदी की सास ने पूजा को फोन करके मिलने बुलाया तो पूजा ने साफ मना कर दिया। इससे पता चलता है कि पूजा कितनी घमंडी है।“ कुछ देर सोचने के बाद मैंने प्रभा दी से पूछा,”उस लड़के नाम क्या है और क्या वह ज़िंदा है?” यह सब पता लगाने को मैंने प्रभा दी को पूजा के कजिन भाई से बात करने को कहा।
कुछ देर बाद कपिल ने कहा, “पास में एक मोबाइल रिपेयर शॉप है। हो सकता है कि वहाँ फोन का लॉक खुल जाए।“ मैंने बाइक उठायी और कपिल को बिठाकर शॉप पर चल दिया। रास्ते में पूजा किसी लड़के की बाइक पर बैठी कहीं जाती हुई दिखी। गुस्से में मैंने उस बाइक से साथ अपनी बाइक लगा दी। कोई 6 फीट का तगड़ा बन्दा बाइक चला रहा था। मैंने गुस्से में पूजा से पूछा कि ये लड़का कौन है। पूजा ने जवाब देने के बजाय मुँह दूसरी ओर घुमा लिया। उस लड़के ने जब मुझे देखा तो उसने अपनी बाइक रोक दी और उतर कर खड़ा हो गया। मैंने बाइक तो नहीं रोकी पर उसे गालियां दी और कहा कि एक बाप के हो तो शाम को यहीं चौक पर मिलना।
शॉप पर पहुँचकर मैंने प्रभा दी को कॉल किया और पूछा कि पूजा कहाँ और किसके साथ गयी है। उन्होंने कहा,”पूजा ने अपने घर बताया था कि उसका फ़ोन कहीं गिर गया है। इसलिए उसका भाई उसे फोन दिलाने आया था। वह उसी के साथ गयी है”। मैंने प्रभा दी को रास्ते के हादसे के बारे में बताया। दीदी ने कुछ सोचकर मुझे शाम को कमरे पर ना जाने की सलाह दी पर मैं रूम पर गया। कपिल लड़कों का जुगाड़ कर रहा था कि पूजा का भाई 12-13 लड़कों के साथ आ गया। मैंने कूटे जाने के आसार देखे तो बस चेहरा छुपा कर पिटने बैठ गया। काफी पिटने के बाद पूजा के भाई ने उसे स्पीकर पर कॉल किया और मुझे उसको सॉरी बोलने को कहा। मैंने कहा, “बेबी, ये लोग मुझे बहुत मार रहे हैं।“ उसने कुछ नहीं कहा और फोन डिसकनेक्ट हो कर दिया। पूजा का भाई जाते जाते भी मुझे कनपटी पर इतनी ज़ोर का झापड़ मार गया कि खोपड़ी सन्ना गयी थी पर उससे भी ज़्यादा चोट उसका मुझे साले-साले कह कर गाली देने की लगी थी।
कपिल तीन लड़कों के साथ कमरे पर आ चुका था। आते ही उसने मेरे साथ हुई मार पीट पर बवाल काटने की कोशिश की पर ध्यान में यह था कि फोन अनलॉक हो चुका था। सबसे पहले तो अटपटे नाम वाले लड़कों को कॉल करके खूब गालियां सुनाई। फिर फोन की गैलरी में सब फोटोज़ देख डाली। उसके फोन में घर, परिवार, कॉलेज दोस्त और गली मोहल्ले वालों की फोटोज़ थीं, सिवाय मेरे। एक ‘बेबी’ नाम से लॉक्ड फोल्डर भी था। कपिल ने कहा,”भाई लड़की को तुमसे कोई प्यार नहीं था। अब बदला लेना होगा और ये बेबी नाम का जो भो लड़का है, इसको पीटकर ही दम लेंगे। कल का इंतज़ाम मैंने कर दिया है। आर्ट गैलरी वाली लड़की को बोल दिया है, वह कल से तुम्हारे साथ घूमेगी।“
अगले दिन मैं उस लड़की को अपनी बाइक पर बिठाकर कॉलेज गया। जानबूझकर लड़की का हाथ पकड़कर A सेक्शन की तरफ़ से गया। पूजा सेक्शन के बाहर अपनी फ्रेंड से बातें कर रही थी। उसने मुझे इग्नोर कर दिया। आते-जाते वहाँ पर मैने लगभग चार-पांच चक्कर लगाए पर पूजा ने एक नजर भी नहीं देखा और ना ही सेक्शन के भीतर गयी। मैं परेशान होकर वहीं कुछ दूर पर उस लड़की के साथ खड़ा हो गया। कपिल कुछ लड़कों के साथ वहाँ पर आया और तेज-तेज आवाज़ में ‘किसी को नहीं छोड़ेंगे’ कहने लगा। उधर से हमारे बिज़नेस मैनेजमेंट के प्रोफेसर आ गुजरे तो सबको अपनी-अपनी क्लास के भीतर होना पड़ा।
क्लास में पहुँचा तो देखा टीचर फर्स्ट सेमस्टर के एग्जाम के एडमिट कार्ड बाँट रहे थे। मैंने अपना एडमिट कार्ड लिया और वहाँ से कपिल और कुछ लड़कों के साथ रूम पर आ गया। मेरा पूजा पर गुस्सा हर सेकंड पहले से ज़्यादा बढ़ रहा था। मैं उस इग्नोरेंस को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। इतने में प्रभा दी का फ़ोन आया और उन्होंने बताया कि पूजा की दीदी के देवर का नाम अतुल है और वह ज़िंदा है। अतुल का जिंदा होना सुकून भरा था पर मैंने उन्हें कहा,”दी, अब मैं मूव ऑन करना चाहता हूँ। बदला भी मुझसे लिया नहीं जा रहा और उसे किसी बात का फ़र्क़ तो पड़ता नहीं है।“ उन्होंने पूछा,”रोहित तुम पूजा के बॉयफ्रेंड रहे हो तुम्हें उसके भाई का ही नहीं पता था?” मैंने जवाब दिया,” नाम जनता था पर पूजा के लैपटॉप की वॉल पर उसके साथ एक लड़के की फ़ोटो थी, मैं उसी को उसका भाई समझता था।” उन्होंने कहा,”वह उसका चचेरा भाँजा है।”
मैंने एक पल को सोचा कि अब तक पूजा से मैंने सिर्फ अपनी ही बातें कहीं, उसको तो जाना ही नहीं! तभी दीदी ने कहा,”अतुल नाम सक्सेसफुल ना हो तो एक बार अपना भी नाम ट्राय कर के देखना! वैसे मत देखना! नहीं निकलने पर और दुःख होगा।”
मैंने पूजा का फोन एक बार फ़िर हाथ मे लिया। अतुल नाम टाइप किया, पासवर्ड इनकरेक्ट! अब दिल ज़ोर का धड़कने लगा। मैं इतना सब बवाल करने के बाद नहीं चाहता था कि मेरा नाम ही पासवर्ड निकले। कांपते हुए हाथों से मैंने अपना नाम टाइप किया। पासवर्ड इनकरेक्ट! एक सेकंड को लगा जल्दी में स्पेल्लिंग गलत कर दी है। दुबारा अपना नाम टाइप किया। पासवर्ड करेक्ट! फोल्डर खुल गया।
भाग-7
मैं एकदम पगलाकर आसपास बैठे सभी लड़कों को फ़ोन के उस फोल्डर में मेरी फोटोज़ दिखाने लगा। कपिल इस पागलपन का कारण समझ रहा था। उसकी सुई अभी भी मुझे पड़ी मार और उसे टोपा कहे जाने पर अटकी थी। उसने मुझे याद दिलाते हुए कहा,”अब क्या उस लड़की के पैर पकड़ लोगे? और ऐसा जताओगे जैसे सारी गलती तुम्हारी ही थी। ऊपर से तुमने जो हरकतें की हैं, वो उन बातों को भूलेगी भला।”
मुझे समझ आ गया था कि मैंने बहुत छीछालेदर मचा दिया था, अब उसे समेटना भी था और मुहब्बत में आगे बढ़ना भी था। मैंने माफ़ी माँगने के सिलसिले में प्रभा दी से पूजा के भाई का नंबर अरेंज किया और उन्हें कॉल लगायी। इससे पहले कि मैं उन्हें अपने साथ हुई गलतफहमी के बारे में बताता, उन्होंने गालियाँ बककर फ़ोन काट दिया। मैंने टेक्सट कर के उन्हें लिख दिया “सम्मान में गाली सुन लिए हैं, मार खा लिए हैं वरना हमारे खून की गर्मी पूरे कानपुर में फेमस है।“ यह मैसेज करके मैंने पूजा के भैया का नंम्बर ब्लॉक कर दिया और दूसरी सिम का भी इंतजाम कर लिया।
कपिल ने हौसला दिलाया कि समझदारी से सब निपटाना होगा पर अभी पढ़ाई पर ध्यान दिया जाए। मैंने प्रभा दी को कॉल करके कहा,”पूजा से बोल दीजिये मुझे उसे फ़ोन वापस करना है।” नया नंम्बर भी माँगा पर दीदी ने मना कर दिया। मैं पूजा पर बीच-बीच में गुस्सा हो रहा था पर उससे ज़्यादा मुझे खुद पर गुस्सा था। उसने मेरे मन में शक पैदा किया कि वो मुझे प्यार नहीं करती पर मैंने वैसी हरकतें कर दी जिससे मेरा प्यार कहीं से साबित नहीं होता दिखा। जब कभी लो फ़ील होता था, पूजा का फ़ोन उठाकर उस फोल्डर को देख लेता था जिसमें नब्बे प्रतिशत मेरी और दस प्रतिशत उसकी और मेरी फोटोज़ थीं।
एग्जाम शुरू हो चुके थे। पहला पेपर इकोनॉमिक्स का था। विचार यह था कि ताक-झांक कर कैसे भी पासिंग मार्क्स तक का इंतज़ाम कर लिया जाएगा। तीनों सेक्शन के बच्चे अलग अलग बैठाए जाने थे पर साइकोलॉजी वाली मैम ने हर सेक्शन से एक से बीस तक रोल नंम्बर वाले बच्चों को ऑडी में बिठा दिया। मैंने क्लास के लगभग हर कोने में नज़र घुमायी पर पूजा नहीं थी। मुझे अजीब लग रहा था क्योंकि उसका रॉल नम्बर तो सात था। ख़ैर, पेपर बंट गए और सबने लिखना शुरू किया। मैंने देखा कि पूजा की दोस्त मेरे बगल में बैठी थी। वह मुझे देखकर कुछ ज़्यादा ही ख़ुश होती थी, इसलिए मैंने उसे एग्जाम में हेल्प करने के लिए बोला। उसने मेरे पाँचों मेंडटेरी सवालों के जवाब लिखवा दिए।
मैं आखिरी सवाल का जवाब लिख ही रहा था कि मैंने देखा पूजा पेपर सॉल्व करके अपनी कॉपी टीचर को जमा कर रही थी। उसने व्हाइट टॉप और ब्लू जीन्स पहनी हुई थी और ऊँची पोनी किये बालों को बाँध रखा था। मैं उसे देख ही रहा था कि उसकी दोस्त ने मुझसे कहा कि ‘उई माँ’, ये कितनी जल्दी सब लिख लेती है। मैंने शब्दों पर ध्यान दिया तो मुझे इस बार चिढ़ नहीं हुई, ज़रा सी मुस्कुहाट आयी। ख़ैर, मैं समझ गया कि पूजा अभी तक मेरे पीछे बैठी थी और अगले सारे पेपर्स में ऐसे ही होने वाला है।
रूम पर आया तो अगले एग्जाम मैथ्स की बात होने लगी जो हम में से किसी को नहीं आती थी। मैथ्स के नाम पर हमने सोचा था कि दसवीं तक की मैथ कोर्स में होगी पर यह बारहवीं तक की थी। एक बार किताब खोलकर प्रोबेबिलिटी, डिफ्फरेंसिअशन और इंटेग्रेशन पढ़ने की कोशिश की लेकिन पढ़ते ही ऐसा लगा जैसे आँखें पथरायी जा रही हैं। हम सब फ़ेल होने वाले थे। कोई रास्ता भी नहीं था। पूजा मैथ्स टॉपर थी पर उससे बातचीत भी नहीं हो पायी थी। उसकी दोस्त भी कॉमर्स स्टूडेंट रही थी। इस मामले में वह भी मदद नहीं कर सकती थी। कपिल ने मुझे कहा,”अगर पूजा मुझे मैथ्स में हेल्प कर दे तो मैं उसे माफ करने की सोच सकता हूँ।” मैंने मन ही मन कपिल को लप्पड़ मारने का सोचा, फ़िर जाने दिया। शाम को खाना खाया और पूजा के फ़ोन से अपने कुछ फोटोज़ अपने फोन में ले लिए। फिर कुछ मन में आया तो बाइक उठायी और कपिल को पीछे बिठाकर पूजा के हॉस्टल चल दिया। प्रभा दी को होस्टल के नीचे बुलाया और उन्हें पूजा का फ़ोन थमा कर वापस आ गया। उन्होंने जाते-जाते मुझे कहा, “तुम बेवज़ह खुश हो रहे हो। तुम्हें पता भी है कि वो तुम्हें प्यार करती है या नहीं।” मैंने बाइक मोड़ते हुए जवाब दिया, “कल पता चल जाएगा।“
अगले दिन कपिल और मैं ऑडी को जा रहे थे। उसने मुझे पूछा कि आज कैसे पता चलेगा कि वो तुम्हें चाहती है? मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और जाकर ऑडी में बैठ गया। जवाब मेरे पास था भी नहीं। ख़ैर, मैंने चोर नज़र से देख लिया कि पूजा मेरे पीछे चुपचाप बैठ गयी है। पेपर बँटने खत्म ही हुए कि अनाउंसमेंट हुआ कि सब अब अपने अपने क्लास में बैठकर परीक्षा देंगे। साठ-सत्तर बच्चे ऑडी में बैठे थे, कॉपी पर इनविजीलेटर के साइन होने थे और पूरे प्रोसेस में बीस मिनट लगने थे। मात्र बीस मिनट ही थे मेरे पास आसपास किसी से नकल करने के। मैं खुद को फेल होता देख ही रहा था कि पीछे से एक धक्का आया और धक्के के साथ मेरी कॉपी किसी और कॉपी से बदल गयी। मेरी दिल की धड़कन तीन कारण से बढ़कर चार गुनी हो चुकी थी एक, अगर पकड़े जाते हैं तो ईयर बैक लगेगी। दूसरी, अगर फेल हो गया तो बैक पेपर में भी हेल्प करने वाला कोई नहीं मिलेगा। और तीसरी, यह पूजा थी!
मेरे आँसू रुक नहीं रहे थे कि आज उसने इतनी हिम्मत के साथ साबित किया कि वो मुझे सच में प्यार करती है। पूजा ने मेरा मैथ्स का वो पेपर अठ्ठारह मिनट में पूरा कर दिया और झटके से आगे बढ़कर कॉपी बदल गयी। इससे पहले मैं उससे आंखे भी मिला पाता, वह उठकर टीचर के पास गयी, कॉपी पर साइन कराए और आगे वाले गेट से मुझे पीठ दिखाकर चली गयी। मैं उसको जाते हुए देख ही रहा था कि कपिल ने मेरी कॉपी मुझसे छीन ली। मैं इतना बेबस महसूस कर रहा था कि मुझे रोने के लिए भी अब पूजा के ही कंधे चाहिए थे। सोंचकर यकीन नहीं हो रहा था कि मैंने यह सब क्या गड़बड़ कर दिया। दोस्तों के साथ पेपर ओवर होते ही मैं बाहर निकला। मुझे लग रहा था कि पूजा जा चुकी होगी। पूजा को मनाने के जतन सोच रहा था कि कपिल ने कहा, “अबे रोहित, कहीं हम लोग टॉप कर लिए तो?”
भाग-8
मैथ्स के एग्जाम से यह पता चल गया था कि पूजा मेरा भला ही चाहती है। मुझे अजीब लग रहा था, जैसे मैथ्स की ही किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए सही फॉर्मूला नहीं मिल रहा हो। लड़कों के साथ कमरे पर जाकर मैं किचन के पास पड़े दीवान पर लेट गया। कपिल और साथी अपनी बातों में व्यस्त थे। कपिल के गांव से आए हुए लड़कों में से एक शरीफ़ मेरे पास आकर बैठ गया। कपिल ने उसे थोड़ा-बहुत मेरे हालात के बारे में बताया था। वह बातों से थोड़ी हमदर्दी जताने लगा। मैंने भी पूजा और अपनी हर अच्छी-बुरी बातों का ज़िक्र किया। उसने मेरी बातें सुनकर कहा,” भाई प्यार की बातें बेशक तुमने की हैं पर लगता है कि निभाया उसने है।”
मैंने उससे पूछा कि पूजा को कैसे मनाया जाए। उसने मुझे दो बातें कहीं,”एक तो उसे ढ़ेर सारी चॉकलेट्स, गिफ्ट्स, सॉरी का कार्ड और एक टेड्डी बीयर भेजो और दूसरा उसकी लाइफ की पुरानी बातें या कमियां पता करो।” मुझे उसकी दूसरी बात समझ नहीं आयी। उसने आगे कहा, “भाई लड़की बहुत स्ट्रांग है, उसे कमज़ोर करना पड़ेगा, तभी तुमको माफ भी करेगी और प्यार भी।” उसने समझाया,”पूजा को मैं नए नंबर से फ़ोन किया करूँगा और उसके पास्ट के बारे में बातें कर के उसे कमज़ोर करूँगा और इसी बीच तुम अच्छे बनकर उसे मना लेना।” मैंने उससे इस मदद का कारण पूछा तो उसने बदले में अपनी गर्लफ्रैंड कभी कभी रूम पर लाने की बात रखी।
मैंने बहुत गड़बड़ मचा दी थी। पूजा की नज़र में मेरी इमेज की धज्जियां उड़ चुकी थीं। शरीफ़ का आईडिया अच्छा नहीं लग रहा था पर मैंने मन मारकर शरीफ़ को पूजा का नम्बर दे दिया। उससे वादा लिया कि पूजा को फ़ोन सिर्फ मेरे साथ ही करेगा और हिदायत भी दे दी कि मेरी मदद से अलग कुछ इरादे बने तो दो टांगों पर खड़ा रहने के लिए टांगे नहीं बचेंगी।
मेरे एग्जाम्स अच्छे जा रहे थे। कपिल के साथ मिलकर कभी कॉलेज की कैंटीन तो कभी गेट पर अक्सर लड़कों से मारकूट करके मैं सोशल भी हो रहा था और आशिक़ वाली इमेज भी सुधार रही थी। हर रोज़ पूजा को मनाने के लिए मैं उसे गिफ्ट्स और चॉकलेटस भेजता था। पूजा ने इस बीच मुझसे कभी बात नहीं की। प्रभा दी से पूजा के बारे में काफी बातें मिल चुकी थीं। उन्होंने कभी मुझे पूजा के प्यार में एनकरेज नहीं किया, इसलिए मुझे प्रभा दी से भी चिढ़ होती थी।
एक दिन शाम को मेरे सामने शरीफ़ ने स्पीकर पर पूजा को फ़ोन किया। पूजा के फ़ोन उठाने पर शरीफ़ ने इस लहजे में बात करनी शुरू की, जैसे पुराना जानने और चाहने वाला हो। नाम और पहचान ना बताने पर पूजा ने फ़ोन रखने को कहा। शरीफ़ ने कहा,”मैं तुम्हारे बारे में एक एक बात जानता हूँ। इसलिए जब बात करूँ, कर लिया करना। मैं तुम्हारा आशिक़ नहीं हूँ और ना ही तुम्हें धमका रहा हूँ।” पूजा ने कुछ गालियां सुनाकर फ़ोन डिसकनेक्ट कर दिया। शरीफ़ की बातों और गाली खाकर हुई झुंझलाहट से लगा वह खुद को स्टड समझता था। कुछ देर बाद माँ का फ़ोन आया कि वह एक हफ़्ते में मुझसे मिलने आ रही हैं। अगले दिन एग्जाम था, इसलिए मैं जल्दी सो गया।
पेपर जल्दी फिनिश करके पूजा के इंतज़ार में मैं पार्किंग के सामने वाले पार्क में बैठ गया। जैसे ही उसे आते देखा मैंने थोड़ी हिम्मत की और उसके पास गया। मैंने बिना यह सोचे कि आसपास कौन देख रहा है, हाथ जोड़कर माफी माँग ली। उसकी दोस्त नेहा पास ही खड़ी थी। पूजा ने ‘इट्स ओके’ कहा और वहाँ से जाने लगी। मैंने उसे होस्टल छोड़ने को पूछा। उसने इधर-उधर देखा और हाँ कर दी। उसे बाइक पर बिठाकर मैं उसे पास के एक रेस्टोरेंट में ले गया। उसने आनाकानी नहीं की। उसने बातें शुरू कीं,”मैंने गुस्से में जो भी कहा था, उसके लिए मुझे भी माफ कर देना रोहित।” मैंने कुछ सेकण्ड्स का बड़प्पन दिखाया और उसे पिछली बातें भूल जाने को कहा। उसने आगे कहा,”लेकिन अब हम गर्लफ़्रेंड-बॉयफ्रेंड जैसे नहीं रहेंगे।” मैंने कहा,”मुझे तुमसे प्यार है और हमेशा रहेगा, मैंने हज़ार कोशिशें कर ली तुमसे नफ़रत करने की पर नहीं हुई। तुम बहुत अच्छी लड़की हो, थोड़ी अलग हो। मुझे कहीं न कहीं पता था कि तुम्हे अविनाश भैया से प्यार है पर मैं सेल्फिश बना रहा। ये सब बातें कहते कहते मेरा गाला रुंध गया।”
उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा,”तुम सारी बातें अपने मन मे ही सोचकर मुझ पर शक करते रहे, मुझे अविनाश सर् अच्छे लगते थे पर मैने उन्हें कभी भी यह नहीं बोला कि मैं उनसे प्यार करती हूँ।” मैंने कहा,”तुम मुझे कुछ बताती भी तो नहीं थी। आई लव यू कहने से प्यार नहीं हो जाता।” उसने जवाब दिया,”गुस्से में सवाल करोगे तो जवाब भी गुस्से में मिलेगा ना और प्यार ऐसे ही तो होता है। मूवीज या रियल में कहीं भी देखो सबका प्यार ‘आई लव यू’ कहने से शुरू होता है और कहने के बाद ऐसा मान लिया जाता है कि प्यार हो गया।” मैंने मन ही मन सोचा यह लड़की अच्छी है पर थोड़ी ट्यूबलाइट भी है। मुझे डर था कि पूजा उस दिन लड़की घुमाने वाली बात पर कुछ कहेगी पर ऐसा नहीं हुआ। कुछ देर बाद मैं उसे उसके होस्टल छोड़कर वापस अपने रूम पर आ गया।
वापस आकर मैंने शरीफ़ को कहा कि पूजा को फ़ोन या मैसेज करके तंग करना छोड़ दे। शरीफ़ ने हामी भर ली। दो-तीन दिन यूँ ही बीत गए। अब एग्जाम्स खत्म होने वाले थे। मैं आखिरी पेपर के लिए पढ़ाई कर रहा था कि पूजा का फ़ोन आया और उसने मुझे मिलने को बुलाया। मैं बाइक उठाकर तुरंत उसके होस्टल के बाहर पहुंच गया। तभी शरीफ़ का फोन आ गया कि उसकी गर्लफ्रैंड उससे मिलने रूम पर आयी है और रूम लॉक है। चाभी लेने के लिए मैंने उसे पूजा के हॉस्टल के बाहर बुलाया। इसी बीच पूजा आ चुकी थी। पूजा ने मुझे बताया कि एक लड़का उसे कॉल और मैसेज करके परेशान कर रहा है। मेरे नॉलेज में शरीफ़ ने एक दो कॉल किये थे और उसके बाद मैंने उसे मना कर दिया था। मैंने उससे लड़के का नंबर माँगा। पूजा ने अपने फ़ोन में उसके कुछ बेहूदा से मैसेज दिखाए जिनमे लिखा था,”मैं जानता हूँ तुम कैसी लड़की हो, तुम्हारी वजह से एक लड़के ने सुसाइड कर लिया और तुम जैसी लड़की घर पर रहती तो अब तक भाग चुकी होती।“
मेरी खोपड़ी सन्न हो गयी। मन कर रहा था कि शरीफ का खून कर दूँ। पूजा मेरे पास ही खड़ी थी। इतने में मुंह पर कपड़ा बांधे शरीफ़ आ गया। मैंने शरीफ़ को कोने में ले जाकर उसे धमकाया। उसने वापस जवाब दिया, “तुम्हारे कहने पर ही तो कर रहा था।” वह चाभी लेकर चला गया। मेरे मन का गिल्ट मुझे सांस नहीं लेने दे रहा था। 10-15 मिनट्स सोचने में वेस्ट किये फिर मैंने पूजा को अपने प्लान और शरीफ़ के बारे में बता दिया। इससे पहले मैं पूजा का लप्पड़ खाता, मेरी मेरी माँ का फ़ोन आ गया। उन्होंने मुझे तुरंत रूम पर आने को कहा साथ ही यह भी कि रूम अंदर से लॉक्ड है और दरवाजा कोई खोल नहीं रहा है।
भाग-9
शरीफ़ ने मैसेज करके मुझे कहा कि मैं माँ को लेकर कहीं जाऊँ ताकि वो दोनों बाहर निकल सकें। रूम के बाहर माँ को देख कर मेरे कानों में साँय-साँय होने लगा था। मुझे हर साँस से आने वाली आह साफ सुनायी दे रही थी। मेरी नसों में बह रहा खून भी साफ सुनने लायक आवाज़ दे रहा था पर माँ चिल्लायी जा रही थीं और मुझे कुछ भी सुनायी नहीं दे रहा था। माँ ने मुझे एक बार फ़िर कहा, “बहरे हो गए हो क्या दरवाजा खुलवाओ।“ मैंने दुबारा हाथ से दरवाजा थपथपाया। अंदर से शरीफ़ ने कहा, “रोहित तुम अकेले हो क्या”? माँ ने मुझे घूर कर इशारे में “हाँ” कहने को कहा। मैने वैसा ही किया। दरवाजा खुल गया।
कमरे में अकेला शरीफ ही दिखा तो मुझे सुकून मिला पर माँ को देखकर लगा जैसे उन्हें कुछ अजीब महसूस हो चुका था। हम तीनों लोगों ने एक ही कमरे में बैठ कर एक दूसरे की ओर ना देखने की कसम खा ली थी। इतने में माँ ने चुप्पी तोड़ी और सर दर्द की गोली माँगी। शरीफ़ ने जोर देकर कहा कि वो ले आएगा और बाहर चला गया। उसके जाते ही माँ अब मेरी ओर देख रही थीं। मैंने टोन सहज करते हुए कहा. “माँ ये दोस्त है और इसका नाम शरीफ़ है”। माँ ने कहा,”हाँ पता है कितना शरीफ़ है। बेड के नीचे लड़की के सैंडल छुपाए हैं, बड़ा आया शरीफ़।“ माँ ने आगे कहा, “पढ़ाई-लिखाई की उम्र में यह सब कर रहे हो। तुम सबकी अब शादी कर देनी चाहिए। यहाँ जो लड़की बेड के नीचे छुपी है वो तुम्हारी वाली है या उसकी?” मैंने जुबान का लड़खड़ाना रोकते हुए कहा “अर्रे मम्मी मैं कहाँ, उसी की है।” माँ ने कहा “तो ऐसा हो नहीं सकता तुम्हारी कोई हो नहीं, इसलिए उससे भी मिलवाओ।” मुझे एक पल को कुछ नहीं सूझा और कमरे में छुपी शरीफ़ की गर्लफ्रैंड को ज़ोर से आवाज़ देकर बाहर निकलने को कह दिया।
शाम को मैंने पूजा को फ़ोन करके मिलने को पूछा। वह गुस्सा तो थी पर शायद निराश ज़्यादा थी। उसने मिलने के लिए हाँ कर दी। माँ को राधा कृष्ण मंदिर छोड़ता हुआ मैं पूजा से मिलने चला गया। मुझे उम्मीद थी कि वह मुझसे शरीफ़ वाले एपिसोड के बारे में पूछेगी। ऐसा नहीं हुआ। मैंने अपने मन से जितने कोड़े खुद को मारने थे, मार लिए। मैंने पूजा से पूछा, “मैं अनजाने में इतनी गलतियां करता हूँ पर तुम मुझसे कोई शिकायत नहीं करती और ना ही डाँट लगाती हो।” उसने जवाब दिया “मैं गुस्सा करना चाहती तो हूँ पर तुम्हारी शक्ल देखकर मुझसे होता नहीं है पर शरीफ़ को एक झापड़ ज़रूर मारना है।” मैंने कहा, “इसके लिये तुम बेफिक्र रहो 50 लात घूंसों में एक झापड़ तुम्हारा भी पड़ जाएगा।”
रात को लड़कों के साथ बाहर खाना खाने गए। वहाँ बातें हुईं और माँ के जाते ही शरीफ़ को पीटने का प्लान भी बन गया। लड़कों के ग्रुप में अब मुझे लीडर वाली फीलिंग आने लगी थी। आशिक़ इमेज को काफी हद तक कवर कर लिया गया था। खाना खा कर बाहर निकलते वक्त हमने देखा कि एक लड़का मोबाइल पर बात करते करते हमारी बाइक पर थूक रहा था। मैं अपने साथ आये लड़कों को किनारे करते हुए वहाँ गया और उस लड़के दो थप्पड़ जड़ दिए। बाकी लड़को ने गरियाना शुरू कर दिया तो वह लड़का वहां से चिल्लाते हुए भागने लगा। हम थोड़ी देर वहीं खड़े हुए बकर कर ही रहे थे कि उस लड़के के साथ 10-12 और लड़के आ गए। मेरे साथ 5-6 लड़के थे, हम सारे अलग दिशा में भागने लगे। मुझे रास्ते की तरफ़ एक स्कूटर वाला दिखा तो उसे हाथ देकर उसके पीछे बैठ गया। घर पहुँचकर नॉर्मल होने के लिए माँ से बातें की। पूजा को फ़ोन किया और कहा कि माँ तुमसे मिलना चाहती हैं। उसने कहा मिल लूँगी लेकिन ‘एज़ अ फ्रेंड’।
अगले दिन मैं माँ को लेकर पूजा के हॉस्टल गया। पहली बार गेट क्रॉस करके सामने के हॉल में गया। पूजा मरून सूट पहने कटहल के पकौड़े और चाय लेकर आयी। मेरा यह मन था कि पूजा मेरी माँ के पैर छू ले पर उसने हाथ जोड़कर नमस्ते किया। माँ ने कुछ देर पूजा से बात की और मुझे कहा कि लड़की मुझे बड़ी पसंद है, सेकंड ईयर में तुम दोनों की इंगेजमेंट कर देंगे और थर्ड ईयर में शादी और एमबीए दोनों शादी के बाद साथ साथ करना।
सेकंड ईयर का इंतजार मुझे कई कारणों से था पर अब प्रमुख कारण मिल गया था। सोच रहा था कि सेकंड ईयर में मेरे जूनियर्स आ जाएँगे। उनको पीट-पीटकर कॉलेज में अच्छा रुतबा बन जायेगा, उसमें से कुछ भाई भाई भी करेंगे जिससे सीनियर्स पर भी प्रेसर बना लेंगे। इस सब के बीच हम इंगेज भी हो जाएंगे। राजा वाली फीलिंग आ रही थी कि एक मिनट में पूजा के भाई की याद आ गयी। उस आदमी को कैसे मनाया जाएगा। उसके भाई को याद करके लगा कि पूजा स्ट्रांग लड़की है और वह अपने घर को वह खुद संभाल लेगी। पर पूजा? उसको भी तो मनाना होगा। वह मुझसे शादी का सोचती भी हो या नहीं इस ख़याल ने तो मुझे बेचैन ही कर दिया। इतने में कपिल का फ़ोन आया कि गुमटी नम्बर 5 में शरीफ को अकेले देखा गया है। माँ को मैंने घर चलने को कहा। जाते वक्त माँ ने पूजा को एक हज़ार रुपये दिए। पूजा ने मना किया पर माँ की ज़िद की चली। पूजा माँ को छोड़ने आयी और बाइक पर बिठाते वक़्त उसने माँ के पैर भी छू लिए।
हवा में बाइक लहराता हुआ मैं झट से माँ को रूम पर छोड़कर शरीफ़ को पीटने निकल पड़ा। मेरे गुमटी नंबर 5 पहुंचने तक शरीफ़ को बहुत लाते पड़ चुकी थीं। मुझे देखकर उसने कहा, “भाई मैंने तो मदद करनी चाही थी।” मैंने उसे देखा और कहा,” मैंने आज तक हज़ार गलतियां की हैं पर पूजा मुझे माफ़ कर देती है क्योंकि मेरे इरादे बुरे नहीं होते।” अब तुम कूटे जाओगे क्योंकि तुम डिज़र्व करते हो और तुम जिससे बदतमीज़ी कर रहे थे, वह तुम सब सालों की ‘भाभी’ है।
भाग-10
मैं फर्स्ट ईयर पूरा करने के सपने खुली आँखों से देख रहा था। सेकेंड ईयर शुरू होते ही मैंने पूजा को शादी के लिए प्रोपोज़ करने का मन बना लिया था। पूजा अक्सर अपने सेक्शन के ग्रुप के साथ ही रहती थी। मुझसे प्रेम संबंधित बातें नहीं होती थीं पर किसी और से भी उसका चक्कर नहीं था। मेरी इमेज कॉलेज में काफी हद तक प्रोग्रेस कर चुकी थी। अब लड़ाई-झगड़े सिर्फ सेक्शन के लडकों से नहीं बल्कि उसके बाहर भी शुरू हो गयी थी जिसमें हमारा पलड़ा हमेशा भारी रहता था। टोपा टाइप लड़के अपने छोटे मोटे प्रॉब्लम्स को लेकर हम तक आने लगे थे। ग्रुप में सबसे ज़्यादा दिमाग़ मेरा चलने के कारण मुझे लीडर था जबकि सच यह था कि लडकों पर खर्चा मैं ही करता था, इसलिए सब सुनते भी मेरी ही थे।
पूजा के एलीट ग्रुप का एक लड़का था निशांत। उसकी आँखों में हमारे लिए कुछ खास इज़्ज़त नहीं दिखती थी। एक बार मज़े-मज़े में कपिल ने उसका कॉलर पकड़ लिया और समझा दिया कि लड़की वाले हो तो मोहब्बत से देखा करो। उसने ताव में आकर हम सब के सामने कपिल को धक्का दे दिया। बाकी लड़कों ने कपिल को खींचकर साथ में बिठा लिया। यह भी समझा दिया कि मार पीट का असर भाई यानी मेरी लाइफ पर पड़ सकता है। कुछ महीने बीते और सेकंड सेमेस्टर के एग्जाम खत्म होने के साथ ही सेकंड ईयर आ गया। पूजा को हर रोज़ में कॉलेज में देखता था और हफ्ते में दो दिन उसके साथ घूमने भी जाता था। एक बार पिक्चर हॉल में मूवी देखते वक़्त मैंने उसे किस करने की इच्छा जतायी और उसने ‘यह सही नहीं है’ कह कर मना कर दिया। उसको एकदम स्क्रीन पर आँखे टिका कर पिक्चर देखते हुए देखने का सुकून भी कुछ कम नहीं था।
थर्ड सेमेस्टर शुरू होते ही पूजा ने CAT की तैयारी के लिए काकादेव में एक कोचिंग सेंटर ज्वाइन कर लिया। उसको दिखाने के चक्कर में एक दो क्लासेज मैंने भी ली पर एक दिन अंग्रेजी के टीचर ने मुझे ‘A Man’ टॉपिक देकर उस पर स्पीच देने के लिए मुझे धर लिया। मेरे दिमाग़ को सिवाय इस बात के कि पूजा के सामने मेरी बेइज़्ज़ती हो रही है, कुछ समझ ही नहीं आया। उसके अगले दिन से मैंने क्लासेज जाना बंद कर दिया। पूजा को कोचिंग ले जाने और वापस लाने की जिम्मेदारी मेरी ही थी। मेरे ग्रुप के बंदों ने कोचिंग के सभी लड़कों को ‘हम पूजा के हैं कौन’ समझा दिया था।
अब मै पूजा से इंगेज होने के लिए तैयार था। माँ ने वादे के मुताबिक रक्षाबन्धन पर पूजा के घर जाने की बात कही कह जब वह वहाँ होगू। मैं बहुत खुश था कि अपने पसंद की लड़की से सही समय पर शादी हो जाएगी। यह सोचकर कि आजतक पूजा ने हमेशा मेरा भला चला है, मुझे इस बात का पूरा यकीन था कि उसको कोई आपत्ति नहीं होगी। एक रोज़ पूजा को फ़ोन करके मैंने माँ और पापा का उसके घर जाने की इच्छा वाली बात भी बता दी। यह भी बता दिया कि माँ आसाराम बापू की भक्त है, इसलिए खाना भी उन्हीं के प्रीफेरेन्स से बनाया जाए। पूजा इतनी आसान या जटिल थी कि वह मेरी ऐसी बातों पर भी मुझसे कोई सवाल नहीं करती थी। ‘क्यों’ शब्द भी होता है, शायद उसे पता ही नहीं था।
15 अगस्त के कुछ दिन पहले ही पापा और माँ पूजा के घर गये और फ़ोन पर मुझे बताया गया कि सब बातें हो गयी हैं। माँ ने सोने की एक अंगूठी और कपड़ों के पैसे देकर छोटा-मोटा रोका भी कर दिया था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब इतनी आसानी से कैसे हो रहा था। समय मिलते ही मैंने पूजा को फ़ोन किया और पूछा कि उसके घर वाले कैसे मान गए। पूजा ने जवाब दिया कि उसके घरवालों ने सोचा कि शायद मैं भी यही चाहती हूँ। एक ही कास्ट में लव-मैरिज की बात सोचकर उन्होंने हाँ कर दी। इसके साथ ही वो लोग शादी के बाद एमबीए वाली बात से बहुत प्रभावित हुए। मैंने पूजा से पूछना ज़रूरी भी नहीं समझा कि उसने कुछ आना-कानी क्यों नहीं की।
पूजा के वापस आते ही हम कॉफी शॉप में साथ बैठने लगे। रिश्ते की बात पूरे कॉलेज में आग की तरह फैल चुकी थी। कहीं ना कहीं पूजा को इम्प्रेस करने की तलब आज भी मन में थी। एक दिन हम कैंटीन में साथ बैठकर छोला-समोसा खा ही रहे थे। तभी एक जूनियर जो हमारे ग्रूप उठा-बैठा करता था, उसके क्लास के लड़के को पीटने की रिक्वेस्ट लेकर आ धमका। अब पूजा के सामने मुझे न्याय करके राजा बनना था। इस इरादे से मैंने दूसरे लड़के को भी पकड़वा कर सामने बुला लिया। दूसरे लड़के ने आते ही रोना शुरू का दिया,”भैया यह मेरी बंदी को तंग करता है, सबको बोलता है कि वह इसकी गर्लफ्रैंड है और आज इसके उकसाने पर मैंने इसको झापड़ मार दिया तो आपको बताने आ गया। मैं गलत हूँ तो आप बेशक मुझे मारो।” न्याय तो मैं दो सेकण्ड्स में कर देता पर मैं समझ नही पा रहा था कि पूजा का इस बात पर क्या जजमेंट होगा। वह हमेशा कहती थी कि अपने साथ के लोगों का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। कुछ सोचकर मैं उठा और मेरे ग्रुप में उठने-बैठने वाले लड़के को मैंने ज़ोरदार झापड़ मारकर भगा दिया। साथ के लड़कों में मेरी जय जयकार होने लगी। पूजा को मैंने पलटकर देखा तो पहली बार वह गर्व से मुस्कुरा रही थी।
ऐसे ही मोहब्बत में धीरे-धीरे सेकण्ड ईयर खत्म हुआ और फ़िर थर्ड ईयर। पूजा का सेलेक्शन इंडिया के टॉप 10 बिज़नेस कॉलेज में हो गया था। मैंने CAT का एग्जाम ही नही दिया था, इसलिए यूनिवर्सिटी से ही एमबीए करने की सोची। पूजा ने दिल्ली NCR के दो कॉलेज चुने थे। वह सीट रेजिस्ट्रेशन के लिए दिल्ली चली गयी। इधर मैं कॉलेज कैटीन में लड़कों के साथ बैठा उसके साथ ना होने की कमी को भूलने की कोशिश करता था।
एक दिन पूजा की क्लास का लड़का निशांत बड़ी अकड़ में सामने से गुजर रहा था। मैंने ताव में उसे पकड़ लिया और धमका कर कहा,”हमको 365 दिन यहीं रहना है इसलिए तमीज़ से रहा करो।” उसने अकड़ कर मुझसे बात की तो मुझे और गुस्सा आया। पास ही एक बैट रखा था और उसी से मैंने विक्रांत को पीटना शुरू कर दिया। वह मार खाता हुआ भी मुझे गाली बक रहा था। मैंने उसे जानवरों की तरह पीटते हुए गुस्से में देख ही नहीं पाया कि उसका सर फट गया है। आसपास कोई बचाने भी नहीं आया। हॉस्पिटल ले जाकर मालूम हुआ कि पैर भी टूट गया है और कई जगह फ्रैक्चर्स आये हुए है। सर से खून बह रहा था और डॉक्टर ने 45 हज़ार कहा खर्चा बताया था। पैसे का कोई इंतज़ाम नहीं था और जेल जाने की इच्छा भी नहीं थी। पूजा को बातें बतायी तो उसने कहा कि रेजिस्ट्रेशन के लिए दो दिन बाद डिमांड ड्राफ्ट देना होगा। इसलिए वह सिर्फ दो दिन के लिए मुझे पैसे दे देगी।
लड़के का ईलाज हो गया। घर पर अपनी चोट का बहाना बनाकर मैंने 50 हज़ार रुपये माँगे। पैसे एकाउंट में भेजने के बजाय घरवाले कैश लेकर मुझसे मिलने कानपुर आ गए। अयोध्या मामले पर तत्कालीन इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय आने की बात हो रही थी। उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लग गया और बैंक अगले दो दिन तक बंद रहे।
भाग-11
मेरी वजह से पूजा का करियर ख़राब हो जाएगा, ऐसा सोचकर मैं मन ही मन शर्म के गड्ढे में ख़ुद को घुसाकर पूजा की नफ़रत की मिट्टी से दफ़न होने के इंतजार में था। ज़ाहिर था इस बार वह बहुत नाराज़ होगी पर मेरे अजीब बिहेवियर से वह इस कन्फ्यूजन में थी कि मैं उसे क्यों इग्नोर कर रहा हूँ। पर मैं किस मुंह से बात करता? मन में यही लग रहा था कि पूजा अभी तक मुझे गुंडा, निकम्मा तो सोचती ही थी, अब ‘पैसा खा गया’ भी उन बुराइयों में जुड़ गयी। कभी-कभी मुझे लगता था कि प्यार के नाम पर मैं किसी बोझ की तरह उस पर बैठ गया हूँ। ताज्जुब था कि मेरे लाख कुकर्मों को देखकर भी पूजा अनदेखा कर देती थी। कभी खुल कर अपने मन की बातें भी नहीं करती थी या शायद मैं ही सुनने के मूड में नहीं होता था। मुझे आइडियल पार्टनर होना समझ नहीं आता था और कई बार मैं अच्छा करने के इरादे से बुरा कर देता था। मैं यह भी चाहता था कि पूजा इस बार भी मुझे माफ़ कर दे। कुछ भी हो मैंने अपनी लव स्टोरी में पूजा जैसी लड़की चाही थी पर ऐसी कहानी नहीं जिसमें मैं हीरो कम और नल्ला ज़्यादा लगूँ।
एक दिन शाम को राजेश बेकरी पर खड़ा साथ के लड़कों से बातें कर रहा था। दो लड़कियाँ पास की टेबल पर बैठी मुझे घूर रही थीं। उनमे से एक ने मुझे स्माइल भी दी। मैं मुँह घुमाकर खड़ा हो गया। फ़ोन की घंटी बजी, पूजा का फ़ोन था। मेरे हांथ कांप रहे थे और फ़ोन स्क्रीन पर पूजा का नाम पढ़कर चेहरा एकदम लाल हो चुका था। पूजा ने मुझे राधा कृष्ण मंदिर में मिलने को कहा। मैं मंदिर जा पहुंचा और हम मंदिर के बगल बने पार्क में बैठ गए। उसने पूछा,” बात क्यों नहीं कर रहे हो? मेरा कॉलेज में सीट रजिस्ट्रेशन हुआ या नहीं यह तक नहीं पूछा?” मैंने कहा,”हिम्मत नहीं हुई मुझे, मन कर रहा है कि मर जाऊँ।” उसने कहा,” ऐसे मत बोलो और परेशान भी मत हो। घर पर मैंने यह बता दिया था और मेरा भाई पैसे लेकर आ गया था।” अब मेरा दिमाग़ यह सोच कर खराब हो रहा था कि बैंक बन्द थी तो मुझे दिल्ली जाने की बात दिमाग मे क्यों नहीं आयी। मैं सर झुकाए बैठा ही था कि उसने आगे कहा, “तुम मेरे मामलों में कितनी जल्दी हार मान लेते हो ना।” मुझे यह बात गोली जैसी चुभ गयी। मन में आया कि कह दूँ कि बस तुम्हारे मामले में ही हार नहीं मानता पर जाने दिया। मैंने उससे एडमिशन और क्लासेज की डेट्स के बारे में पूछा। उसने बताया कि अभी थोड़ा सा टाइम है।
मैंने देर रात माँ को फ़ोन करके जल्द से जल्द शादी कराने की बात कही। इस बात से यह भी जानना था कि कहीं पूजा या उसकी फैमिली का विचार तो नहीं बदल गया। अगली सुबह मैं रिचार्ज शॉप पर गया वहाँ बेकरी वाली लड़की दिखी। उसने फ़िर से स्माइल की और मेरे पास आकर खड़ी हो गयी। मेरे पास चेंज रुपए नहीं थे तो उसने अपने पास से कुछ रुपए मुझे चेंज कर दिए और एक दस की नोट अलग से पकड़ायी। मैं जोड़ घटाव नहीं कर पाया और झटपट वापस रूम पर आ गया। कपिल कुछ खटर-पटर वाला काम कर रहा था, ऊपर से मुझे सर दर्द था। कुछ देर बाद मैंने उसे 10 रुपये देकर डिस्प्रिन लाने को कहा। वह मेडिसिन लेने गया और वापस आया। उसने मुझे नोट पर लिखा एक नंबर दिखाया। मैं समझ तो गया पर उस वक़्त मैंने वह नोट अपनी जेब मे रख लिया। दवा लेकर सोने की कोशिश की, नींद नहीं आयी तो पूजा को एक लंबा टेक्स्ट किया जिसमें मैंने उसका मेरी लाइफ में होने के मायने लिखे। कुछ शिकायतें भी लिखी। यह भी लिखा कि पैसे वापस ले ले और तुरंत शादी करने की तैयारियां शुरू कर दे क्योंकि अब मुझे उसे खोने का डर लगने लगा था। उसने कुछ देर बाद टेक्स्ट किया,”स्ट्रेस मत लो।” मुझे हर बार की तरह इस बार भी उसकी कही बात में ना खुशी दिखी और ना ही नाराज़गी।
मैं बेड पर लेटा लेटा यह सोचने लगा कि उस अनजान लड़की ने मुझे अपना नम्बर क्यों दिया। और क्या मैं उसे फ़ोन करके समझा दूँ कि मुझे किसी से सच्चा प्यार है। फिर लगा जाने देते हैं, अनजान लड़की से भला क्या बातचीत करूँ। कुछ सोचकर माँ को फ़ोन लगाया। उन्होंने बताया कि इसी संडे पूजा के घर जाने का प्लान है, बात हो गयी है छोटा मोटा फंक्शन रख लिया जाएगा और बाकी तिलक और शादी डेट्स भी निकलवा देंगे।
संडे को हम पूजा के घर गए और उसके पूरे परिवार से मिले। सब बहुत खुश थे। पूजा का भाई मिला और उसने सबके सामने मुझे पीटने का अफ़सोस जताया। मेरी माँ को यह पीटने वाली बात अच्छी नहीं लगी। यह पहली बार था जब उन्होंने पूजा से मुँह बना लिया था। पूजा के माँ और पिता जी बहुत अच्छे इंसान लगे। वहाँ पर सभी बातों में सिर्फ पूजा की तारीफ होती रही। मेरी माँ ने एक दो बार मेरा और मेरी खूबसूरती का ज़िक्र किया पर किसी ने इंटरेस्ट नहीं लिया। मुझे इन सब बातों में मन नहीं लग रहा था तो मैं उसके भाई के साथ घर के बाहर आ गया। फ़ोन में कुछ न होकर भी कुछ देखने की कोशिश कर रहा था। अचानक उस अनजान लड़की का नंम्बर दिखा। मैंने बिना दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर दिए हुए लिख दिया,”मेरे नोट पर आपका नंम्बर रह गया था।” कुछ सेकेंड्स बीते ही थे कि वापस टेक्स्ट आ गया,”नंम्बर की गलती नहीं, आप है ही इतने अच्छे।” मैंने स्माइल की और वापस घर के अंदर चला गया। अब मूड ठीक था। पूजा को आज एक अलग इंसान की नज़र से ऑब्ज़र्व कर रहा था। उसकी हँसी, लोगों को ग्रीट करने का तरीका और बीच बीच मे मुझे देखने का भी, सब बढ़िया लग रहा था। डेट्स फाइनल हुई और छोटे मोटे गिफ्ट्स एक्सचेंज करके हम वापस आ गए। रास्ते में रह रह कर उस लड़की से भी बातें हुईं। पूजा को दो दिन बाद वापस कानपुर आकर हॉस्टल छोड़ना था।
रूम पर पहुँचकर मैंने कपिल को अनजान लड़की वाली बात बता दी। यह भी बताया कि मैं उसे कितना अच्छा लगता हूँ ऐसी बातें मैंने पूजा से अपने लिए हमेशा एक्सपेक्ट कीं, ख़ैर…। अभी सोचता हूँ तो लगता है कि मुझे उस लड़की की बाते सिर्फ़ इसलिए अच्छी लगती थी क्योंकि हर दूसरे सेन्टेंस में मेरी तारीफ़ होती थी। मुझमें इतनी अच्छाइयाँ हैं या नहीं, यह मैं भूल चुका था। कपिल ने पूजा को कभी बहुत पसंद नहीं किया पर उसको मेरा उस लड़की से बात करना पसंद नहीं आ रहा था। एक बार तो उसने चिढ़कर मुझे कह दिया कि ‘भाई ये लड़की तारीफ करके आपको बेवकूफ बना रही है। इसके बाद मुझे उसकी बातें कपिल से करना ठीक नहीं लगा। बातों ही बातों में उसने बताया कि वह खाना अच्छा बनाती है। ज़ाहिर जवाब सोचकर मैंने भी लिखा, “खिलाओ कभी। जहाँ मैं रहता हूँ दो कमरे हैं, किचन है। जब चाहे आकर खाना बना सकती हो। उसने ठिठकते हुए कहा,”अपने घर से बना लाऊँगी, बस मान लेना कि मैंने ही बनाया है।” मैंने उसे सफाई देते हुए कहा कि उसे शर्मिंदा करने का इरादा नहीं था। सच बताऊँ तो मेरे मन मे कोई चोर नहीं था मैं बस देखना चाहता था कि सामने से वो मेरी तारीफ भरी बातें करती हुई कैसी लगती है। यह भी देखना चाहता था कि बातें करते वक़्त उसकी आंखों में सच्चाई होती है या नहीं। क्यों? यह पता नहीं।
अगले दिन दोपहर को उसके रूम पर आने का प्लान बना। कपिल को अजीब ना लगे इसलिए मैंने उसे बोल दिया कि दोपहर को पूजा कमरे पर आएगी। वह कुछ काम से स्वरूप नगर निकल गया। दोपहर को वो लड़की कमरे पर आयी। हमने साथ मे खाना खाया और खूब बातें की। मुझे ज़रा सा भी ऑड नहीं लगा। चार साढ़े चार बजे तो मैंने चाय पीने की इच्छा जतायी। ‘रुचि’ किचन में चाय बनाने चली गयी। एकदम से बाइक की आवाज़ आयी तो मुझे लगा कपिल वापस आ गया है। कदमों की आवाज़ पास आते सुनकर मैंने भीतर से ही बोल दिया कि पीछे वाले कमरे में आ जाओ, इधर पूजा है। बाहर से आवाज़ आयी,”अबे पूजा हमको झकरकटी बस अड्डे पर मिली, दरवाज़ा खोलो।” मैंने सकपकाकर दरवाज़ा खोल दिया। सामने देखा तो पूजा थी और कपिल साइड में बाइक खड़ी कर रहा था। पूजा ने अंदर आते ही बैग बेड पर फेंका और पानी लेने किचन की ओर चल दी जहां ‘रुचि’ चाय बना रही थी। पूजा के पीछे-पीछे मैं भी चला, सोचा कि उसे रोक दूँ पर अंदर से कँपकपी चढ़ी थी सर घूम रहा था और उल्टी होने को थी। पूजा वहाँ रुचि को देखकर साइड में खड़ी हो गयी। उसने मेरे चेहरे की घबराहट पढ़ी। जाने क्या सोचकर उसने रुचि से कहा,”मेरा नाम पूजा है और मैं कपिल की गर्लफ़्रेंड हूँ”। वह किचन से बिना पानी पिये वापस हुई और झट से कपिल को लेकर हॉस्टल चली गयी।
भाग-12
पूजा के जाते ही रुचि ने मुझे कहा, “वह लड़की कपिल की नहीं तुम्हारी गर्लफ्रैंड थी ना? मैंने आते ही कंप्यूटर वाल पर तुम दोनों की फ़ोटो देख ली थी। मुझे नहीं पता था तुम्हारे मन में क्या है, इसलिए मैंने उसे नहीं रोका। एक बात बताओ, क्या वह तुम्हें नहीं चाहती? वरना मुझसे लड़ने के बजाए झूठ बोलकर क्यों जाती?”
पता नहीं! ऐसे मामलों में उसे अनएक्सपेक्टेड हरकतें करने की आदत है। ख़ैर, तुम जाओ। मैं अपना मूड ठीक करता हूँ।
क्यों? एक्सेप्ट नहीं कर पा रहे हो कि अपनी रिलेशनशिप में तुम खुश नहीं हो और उसे प्यार नहीं करते?
देखो रुचि, हमारा प्यार आजकल के टाइम वाला नहीं है। कुछ भी हो जाए पर वह मुझे छोड़ नहीं सकती। मैंने उससे हमेशा प्यार किया है और हमेशा करूँगा और मैं चाहूँ भी उसे छोड़ना तो यह मेरे बस में नहीं है।
तो मुझे खाने पर बुलाकर कौन सी रिसर्च करनी थी?
देखा? यह फर्क है उसमें और तुम नॉर्मल लड़कियों में। छोटी-मोटी बातों पर वह कभी गुस्सा भी नहीं होती है। मैं उसे मना लूँगा और वह मान जाएगी।
‘साले पागल’ कहकर रुचि कमरे के साथ-साथ मेरी ज़िंदगी के पन्नों से भी चली गयी। पूजा को छोड़कर कपिल वापस कमरे पर आ गया। उसकी आँखें मुझे ‘यह क्या था बे’ पूछ रहीं थीं। मैंने पूजा के बारे में पूछा तो उसने बताया, “पूजा थोड़ी देर रोयी, मैंने उसे पूछा कि उसने रुचि के सामने झूठ क्यों बोला तो उसने कहा कि मैं कुछ टाइम के लिए रोहित के पास नहीं थी, यह हो सकता है कि उसे कोई और पसंद आ गया हो।
मुझे यह सुनकर बहुत बुरा लगा और मैंने बड़बड़ाना शुरू किया, “उसको पता ही नहीं है कि मैं उसे कितना प्यार करता हूँ। वह ऐसा कैसे बोल सकती है।” कपिल ने कहा “भाई मैं तुम दोनों को अच्छे से जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि तुम दोनों प्यार में है पर तुम्हारा प्यार उसके प्यार से बहुत अलग है।’
कुछ देर बार मैंने माँ को फ़ोन कर अपनी कुंडली माँगी। पूजा की तरफ़ के पंडित जी ने हमारे नाम के पहले अक्षर से हमारे साढ़े सत्ताईस गुण मिलाए थे, कुंडली-मिलान बाकी था। मेरी माँ मेरी पिटाई वाली बात से अब तक बहुत नाराज़ थीं। उनका कहना था कि साले से पिट कर उस घर में मुझे सच मे कभी इज़्ज़त नहीं मिलेगी। माँ की इन बातों को इग्नोर करते हुए मैंने कुंडली माँगकर पूजा के घर भिजवा दी।
मैंने पूजा को मैसेज करके मिलने के लिए बोला। उसने अपने होस्टल के बाहर बुला लिया। मैं पूजा का सामना करने के लिए माफ़ी के साथ तैयार था। मेरे सामने आते ही पूजा ने एक-दो बातें कहीं जिन पर मैंने ध्यान ही नहीं दिया, चेहरे पर अटका था। उसकी आँखें औऱ नाक सूजी हुई थीं। शायद कई दिनों तक वह बहुत रोयी थी। मेरे कानों ने उसकी जिस बात पर गौर किया वह थी – मैं तुमसे अलग होना चाहती हूँ। मेरे कानों में सनसनाहट सी हो गयी। मैंने उसे अपनी गलती एक्सप्लेन करने की कोशिश की और फिर टौंट किया कि क्या दिल्ली में उसे कोई और मिल गया है। इन बातों पर भी जब वह नहीं पिघली तो मैं उसके पैरों पर बैठ गया। उसने मुझे समझाने की कोशिश की पर मेरे मुँह से बस इतना निकला, “पूजा तुम्हारे बग़ैर मुझसे मेरी ज़िंदगी इमैजिन नहीं हो रही है।”
वह हिम्मत करके मुझे हमारे रिलेशनशिप के बारे में बता रही थी पर मुझे यह बात परेशान कर रही थी कि मुझे रोता देखकर उसको बातें कैसे आ रही हैं। उसने अविनाश भैया का नाम भी लिया। एक पल में मुझे लगा कि मेरे पास प्यार, पूजा का फ्यूचर में साथ और बिताया गया अतीत, कुछ भी नहीं था मेरे पास। मैंने अविनाश भैया के नाम पर गौर करते हुए पूछा, “अब मुझे छोड़कर जा ही रही हो तो एक बात दो कि अविनाश भैया से प्यार करती थी क्या?” उसने इस बात पर बस मुझे थप्पड़ मारने से ही छोड़ा होगा और शांत होते हुए कहा, “तब मुझे तुमसे भी प्यार नहीं था पर सर के जाने से मुझे एक बात समझ आ गयी थी कि जो भी इंसान ज़िंदगी में हो उसे बहुत प्यार करो और उसका खूब साथ दो क्योंकि लोग ज़िंदगी में और दुनिया में हमेशा के लिए नहीं होते हैं। तुम अच्छे इंसान लगे और समय के साथ मुझे तुमसे प्यार भी हुआ। इसलिए मैंने तुम्हारी बहुत सारी गलतियाँ भी इग्नोर कीं, पर तुम इससे ज़्यादा प्यार और साथ डिज़र्व नहीं करते हो। हम चाहे दो दिन साथ और दस साल अलग रहें, प्यार मन में ही रहता है कहीं चला नहीं जाता। इसलिए दुबारा तुम्हें मेरे प्यार और मुझपे शक करने का मौका नहीं दूंगी।”
वापस कमरे पर आया तो सोचने लगा कि उसे कैसी लाइफ चाहिए और मैं उसे कैसी लाइफ दूँगा। दिल्ली में पढ़ाई के बाद पूजा वहीं जॉब चाहेगी और वहाँ मैं उसके साथ रहकर क्या करूँगा? और उसके साथ रहकर छोटा-मोटा काम धंधा करता भी तो माँ-बाप को मेरे साथ रहने को कैसे तैयार करूँगा। बहुत सारी बातें सोचकर खुद को नीचा दिखाने की कोशिश की पर एक बार भी उससे अलग होने का मन नहीं माना। काफी सोचने के बाद मैंने पूजा को टेक्स्ट किया कि घरवालों को भी वह ही मैसेज करके हमारे अलग होने की बात बता दे। साथ ही मैंने अपनी माँ और उसकी फैमिली को मैंने कानपुर बुला लिया।
घरवालों के सामने हम दोनों ने कोई बात नहीं की। मैंने मेरी माँ को आने से पहले ज़रूर बता दिया था कि पूजा अलग होना चाहती है। मेरी माँ पूजा से चिढ़ी हुई थीं। सबके साथ बैठने पर माँ ने बातों ही बातों में कह दिया, “रोहित को तो बहुत अच्छे-अच्छे रिश्ते आ रहे हैं। बहुत पैसे वालों के घरों से और लड़कियाँ भी बहुत सुंदर पर इसका मन पूजा में लगा है। लोग चौहान खानदान की बहुत इज़्ज़त करते हैं।” इतना कहना ही था कि पूजा के पिता जी ने बताया कि उनकी सबकास्ट भी चौहान ही है। नाम के साथ हम दोनों ने कभी टाइटल नहीं लिखा। तुरन्त मेरी माँ ने कहा कि फिर ये शादी तो नहीं हो सकती। मैंने माँ से कारण पूछा और उन्होंने सबके सामने चिल्लाकर कहा, “अपनी बहन से शादी कर लेगा?”
एक जात और गोत्र के लड़का-लड़की भाई बहन होते हैं। हमारे यहाँ ऐसी शादी नहीं होती। पूजा ने तेज़ आवाज़ में माँ की बात दबाते हुए कहा, “गोत्र क्या है आपका?” माँ ने जवाब नहीं दिया। पूजा ने कहा कि अगर भाई बहन ही हैं तो हम दोनो कभी किसी और से शादी नहीं करेंगे। माँ ने पलटकर पूजा को डाँटने की कोशिश की, “अब तक मेरे बेटे से तुम खुद अलग होना चाहती थी। फिर ये नाटक क्यों कर रही हो?” पूजा ने जवाब दिया, “क्योंकि शादी करना या नहीं करना रोहित का और मेरा फैसला होगा, किसी के नहीं चाहने से शादी नहीं रुक जाएगी। आप अपना गोत्र बताओ? हम मैनपुरी चौहान हैं, आप तो नहीं हैं?
अट्ठाइसा हैं क्या?”
माँ ने उस वक़्त कुछ नहीं बोला और पूजा का परिवार वापस चला गया। मैं माँ को समझा रहा था कि पूजा गुस्सैल नहीं है बल्कि बहुत समझदार लड़की है। मैंने बताया कि मेरी ही गलती के कारण ही वह मुझे छोड़ कर जाने वाली थी। माँ के चेहरे से मैंने पढ़ किया कि गोत्र एक नहीं है। वह बहुत गुस्से में थीं, इसलिए मैंने मामा से अपना गोत्र पूछकर पूजा की फैमिली को बता दिया।
आगे क्या हुआ? तब का छोड़कर अभी का बता देता हूँ। घर के पिछले कमरे में बैठकर इस कहानी का अंतिम हिस्सा लिख रहा हूँ। मेरी बेटी बीच-बीच में पायल छनकाती हुई मेरा माइंड डाइवर्ट करती है। कुछ देर उसके साथ खेलता हूँ। फिर अपनी कहानी लिखने आ जाता हूँ। माँ और बीवी की कुछ खास नहीं बनती। एक बार रिश्तेदारों के सामने माँ ने कहा, “मेरी बहु के हाथ का खाना बहुत अच्छा होता है। मैं तो उसी से खाना बनवाती हूँ, चाहे वह ऑफिस जैसे भी मैनेज करे।” “हाँ! और माँ के हाथ से मँजे बर्तन बहुत चमकते हैं।”, बीवी ने हाज़िरजवाबी में कह दिया। बीवी कभी-कभी जब सो रही होती है तो माँ बिना चिमनी ऑन किये मिर्च छौंक देती हैं। मैंने दोनों के बीच अपना कोई स्टैंड नहीं रखा है क्योंकि दोनों मुझे बहुत प्यारे हैं।
समय के साथ बहुत समझदार भी हो गया हूँ, ऐसा मेरी बीवी मानती है। पूजा जैसा बॉयफ्रेंड मुझमें चाहती थी, वैसा पति बन गया हूँ। पुरानी बातें याद करता हूँ तो हँसी आती है। एफएमसीजी कंपनी में काम करता हूँ। दिल्ली के प्रदूषण में जी रहा हूँ। कानपुर रहकर गुंडा बनकर भी क्या कर लेता। कपिल से अभी भी कनेक्ट है पर यह लाइफ बेस्ट है। ख़ैर, अपनी कहानी लिखना मेरे लिए बहुत ज़रूरी था। इस समझदारी में अपना बचकानापन, पूजा का प्यार और अपनापन भूलना नहीं चाहता था। बीवी बहुत अच्छी है पर गर्लफ़्रेंड को भूल नहीं सकता, बीवी बनाकर भी नहीं।
समाप्त