मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-10

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गतांक से आगे

मैं फर्स्ट ईयर पूरा करने के सपने खुली आँखों से देख रहा था। सेकेंड ईयर शुरू होते ही मैंने पूजा को शादी के लिए प्रोपोज़ करने का मन बना लिया था। पूजा अक्सर अपने सेक्शन के ग्रुप के साथ ही रहती थी। मुझसे प्रेम संबंधित बातें नहीं होती थीं पर किसी और से भी उसका चक्कर नहीं था। मेरी इमेज कॉलेज में काफी हद तक प्रोग्रेस कर चुकी थी। अब लड़ाई-झगड़े सिर्फ सेक्शन के लडकों से नहीं बल्कि उसके बाहर भी शुरू हो गयी थी जिसमें हमारा पलड़ा हमेशा भारी रहता था। टोपा टाइप लड़के अपने छोटे मोटे प्रॉब्लम्स को लेकर हम तक आने लगे थे। ग्रुप में सबसे ज़्यादा दिमाग़ मेरा चलने के कारण मुझे लीडर था जबकि सच यह था कि लडकों पर खर्चा मैं ही करता था, इसलिए सब सुनते भी मेरी ही थे।

पूजा के एलीट ग्रुप का एक लड़का था निशांत। उसकी आँखों में हमारे लिए कुछ खास इज़्ज़त नहीं दिखती थी। एक बार मज़े-मज़े में कपिल ने उसका कॉलर पकड़ लिया और समझा दिया कि लड़की वाले हो तो मोहब्बत से देखा करो। उसने ताव में आकर हम सब के सामने कपिल को धक्का दे दिया। बाकी लड़कों ने कपिल को खींचकर साथ में बिठा लिया। यह भी समझा दिया कि मार पीट का असर भाई यानी मेरी लाइफ पर पड़ सकता है। कुछ महीने बीते और सेकंड सेमेस्टर के एग्जाम खत्म होने के साथ ही सेकंड ईयर आ गया। पूजा को हर रोज़ में कॉलेज में देखता था और हफ्ते में दो दिन उसके साथ घूमने भी जाता था। एक बार पिक्चर हॉल में मूवी देखते वक़्त मैंने उसे किस करने की इच्छा जतायी और उसने ‘यह सही नहीं है’ कह कर मना कर दिया। उसको एकदम स्क्रीन पर आँखे टिका कर पिक्चर देखते हुए देखने का सुकून भी कुछ कम नहीं था।

थर्ड सेमेस्टर शुरू होते ही पूजा ने CAT की तैयारी के लिए काकादेव में एक कोचिंग सेंटर ज्वाइन कर लिया। उसको दिखाने के चक्कर में एक दो क्लासेज मैंने भी ली पर एक दिन अंग्रेजी के टीचर ने मुझे ‘A Man’ टॉपिक देकर उस पर स्पीच देने के लिए मुझे धर लिया। मेरे दिमाग़ को सिवाय इस बात के कि पूजा के सामने मेरी बेइज़्ज़ती हो रही है, कुछ समझ ही नहीं आया। उसके अगले दिन से मैंने क्लासेज जाना बंद कर दिया। पूजा को कोचिंग ले जाने और वापस लाने की जिम्मेदारी मेरी ही थी। मेरे ग्रुप के बंदों ने कोचिंग के सभी लड़कों को ‘हम पूजा के हैं कौन’ समझा दिया था।

अब मै पूजा से इंगेज होने के लिए तैयार था। माँ ने वादे के मुताबिक रक्षाबन्धन पर पूजा के घर जाने की बात कही कह जब वह वहाँ होगू। मैं बहुत खुश था कि अपने पसंद की लड़की से सही समय पर शादी हो जाएगी। यह सोचकर कि आजतक पूजा ने हमेशा मेरा भला चला है, मुझे इस बात का पूरा यकीन था कि उसको कोई आपत्ति नहीं होगी। एक रोज़ पूजा को फ़ोन करके मैंने माँ और पापा का उसके घर जाने की इच्छा वाली बात भी बता दी। यह भी बता दिया कि माँ आसाराम बापू की भक्त है, इसलिए खाना भी उन्हीं के प्रीफेरेन्स से बनाया जाए। पूजा इतनी आसान या जटिल थी कि वह मेरी ऐसी बातों पर भी मुझसे कोई सवाल नहीं करती थी। ‘क्यों’ शब्द भी होता है, शायद उसे पता ही नहीं था।

15 अगस्त के कुछ दिन पहले ही पापा और माँ पूजा के घर गये और फ़ोन पर मुझे बताया गया कि सब बातें हो गयी हैं। माँ ने सोने की एक अंगूठी और कपड़ों के पैसे देकर छोटा-मोटा रोका भी कर दिया था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब इतनी आसानी से कैसे हो रहा था। समय मिलते ही मैंने पूजा को फ़ोन किया और पूछा कि उसके घर वाले कैसे मान गए। पूजा ने जवाब दिया कि उसके घरवालों ने सोचा कि शायद मैं भी यही चाहती हूँ। एक ही कास्ट में लव-मैरिज की बात सोचकर उन्होंने हाँ कर दी। इसके साथ ही वो लोग शादी के बाद एमबीए वाली बात से बहुत प्रभावित हुए। मैंने पूजा से पूछना ज़रूरी भी नहीं समझा कि उसने कुछ आना-कानी क्यों नहीं की।

पूजा के वापस आते ही हम कॉफी शॉप में साथ बैठने लगे। रिश्ते की बात पूरे कॉलेज में आग की तरह फैल चुकी थी। कहीं ना कहीं पूजा को इम्प्रेस करने की तलब आज भी मन में थी। एक दिन हम कैंटीन में साथ बैठकर छोला-समोसा खा ही रहे थे। तभी एक जूनियर जो हमारे ग्रूप उठा-बैठा करता था, उसके क्लास के लड़के को पीटने की रिक्वेस्ट लेकर आ धमका। अब पूजा के सामने मुझे न्याय करके राजा बनना था। इस इरादे से मैंने दूसरे लड़के को भी पकड़वा कर सामने बुला लिया। दूसरे लड़के ने आते ही रोना शुरू का दिया,”भैया यह मेरी बंदी को तंग करता है, सबको बोलता है कि वह इसकी गर्लफ्रैंड है और आज इसके उकसाने पर मैंने इसको झापड़ मार दिया तो आपको बताने आ गया। मैं गलत हूँ तो आप बेशक मुझे मारो।” न्याय तो मैं दो सेकण्ड्स में कर देता पर मैं समझ नही पा रहा था कि पूजा का इस बात पर क्या जजमेंट होगा। वह हमेशा कहती थी कि अपने साथ के लोगों का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। कुछ सोचकर मैं उठा और मेरे ग्रुप में उठने-बैठने वाले लड़के को मैंने ज़ोरदार झापड़ मारकर भगा दिया। साथ के लड़कों में मेरी जय जयकार होने लगी। पूजा को मैंने पलटकर देखा तो पहली बार वह गर्व से मुस्कुरा रही थी।

ऐसे ही मोहब्बत में धीरे-धीरे सेकण्ड ईयर खत्म हुआ और फ़िर थर्ड ईयर। पूजा का सेलेक्शन इंडिया के टॉप 10 बिज़नेस कॉलेज में हो गया था। मैंने CAT का एग्जाम ही नही दिया था, इसलिए यूनिवर्सिटी से ही एमबीए करने की सोची। पूजा ने दिल्ली NCR के दो कॉलेज चुने थे। वह सीट रेजिस्ट्रेशन के लिए दिल्ली चली गयी। इधर मैं कॉलेज कैटीन में लड़कों के साथ बैठा उसके साथ ना होने की कमी को भूलने की कोशिश करता था।

एक दिन पूजा की क्लास का लड़का निशांत बड़ी अकड़ में सामने से गुजर रहा था। मैंने ताव में उसे पकड़ लिया और धमका कर कहा,”हमको 365 दिन यहीं रहना है इसलिए तमीज़ से रहा करो।” उसने अकड़ कर मुझसे बात की तो मुझे और गुस्सा आया। पास ही एक बैट रखा था और उसी से मैंने विक्रांत को पीटना शुरू कर दिया। वह मार खाता हुआ भी मुझे गाली बक रहा था। मैंने उसे जानवरों की तरह पीटते हुए गुस्से में देख ही नहीं पाया कि उसका सर फट गया है। आसपास कोई बचाने भी नहीं आया। हॉस्पिटल ले जाकर मालूम हुआ कि पैर भी टूट गया है और कई जगह फ्रैक्चर्स आये हुए है। सर से खून बह रहा था और डॉक्टर ने 45 हज़ार कहा खर्चा बताया था। पैसे का कोई इंतज़ाम नहीं था और जेल जाने की इच्छा भी नहीं थी। पूजा को बातें बतायी तो उसने कहा कि रेजिस्ट्रेशन के लिए दो दिन बाद डिमांड ड्राफ्ट देना होगा। इसलिए वह सिर्फ दो दिन के लिए मुझे पैसे दे देगी।

लड़के का ईलाज हो गया। घर पर अपनी चोट का बहाना बनाकर मैंने 50 हज़ार रुपये माँगे। पैसे एकाउंट में भेजने के बजाय घरवाले कैश लेकर मुझसे मिलने कानपुर आ गए। अयोध्या मामले पर तत्कालीन इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय आने की बात हो रही थी। उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लग गया और बैंक अगले दो दिन तक बंद रहे।

क्रमश: …

मेरी गर्लफ्रेंड भाग-1

मेरी गर्लफ्रेंड भाग-2

मेरी गर्लफ्रेंड भाग-3

मेरी गर्लफ्रेंड भाग-4

मेरी गर्लफ्रेंड भाग-5

मेरी गर्लफ्रेंड भाग-6

मेरी गर्लफ्रेंड भाग-7

मेरी गर्लफ्रेंड भाग-8

मेरी गर्लफ्रेंड भाग-9

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-11

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-12

लेखिका कहानियाँ और मुक्त छन्द कविताएँ लिखती हैं। कथा चरित्रों की सजीव कल्पना से उनकी कहानियाँ जीवन्त और मार्मिक बनती है। कहानियों और कविताओं के अतिरिक्त वह जीवन शैली, फैशन और मनोरंजन आदि विषयों पर लिखना पसंद करती हैं। फेमिनिस्ट मुद्दों पर उनके आलेख बिना किसी पूर्वाग्रह के होते हैं। लेखिका ने लोपक.इन के लिए कई कहानियां और अन्य आलेख लिखे हैं। वह एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत हैं।

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