मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-1

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मेरा नाम बताना तब तक मायने नहीं रखता जब तक यह उसके होंठों से ना बताया जाए। मैं अकेला लड़का नहीं हूँ जो प्रेम के सहारे जीना चाहता है, जिसका प्रेम कहानियों पर विश्वास है और जो अपनी कहानी बनाना चाहता है। मैंने यह भी चाहा कि प्रेम में मेरा हिस्सा प्रियतमा से अधिक हो। मेरे दोस्त मुझे ट्वीलाईट सागा का Edward Cullen कहते थे। लड़कियां को मैं एडवर्ड से ज़्यादा अच्छा दिखता था। जब लड़कियों के प्रोपोज़ करने का चलन आम नहीं था, तब भी कई लड़कियों ने मुझे अपना पहला प्रेम बताया। मुझे यह सब अच्छा लगता था लेकिन कोई भी लड़की मुझे मेरी प्रेम कहानी के अनुरूप नहीं लगी।

मैंने स्कूल कानपुर से किया था और वहीं से ग्रेजुएशन (बिज़नेस मैनेजमेंट) करने का सोच लिया। माँ और पापा डॉक्टर थे और चाहते थे कि मैं भी बनूँ। 12वीं तक बायोलॉजी पढ़ा। मैंने यह कैरियर चाह कर जीवन मे पहली बार मम्मी-पापा को निराश किया। इसके साथ ही निराश करने और होने का सिलसिला शुरू हो गया।

कॉलेज के पहले दिन इंस्टिट्यूट के मेन डोर पर खड़े सीनियर्स नए स्टूडेंट्स को ऑडिटोरियम में जाने का संकेत दे रहे थे। लगभग 300 स्टूडेंट्स A, B और C सेक्शन में बँटे हुए थे। ऑडी पहुँच कर मैं सबसे पीछे बैठ गया। स्टेज पर खड़े एक सीनियर ने हमें पूछा कि सबसे पहले अपना इंट्रोडक्शन कौन देगा। कत्थई सूट पहनी एक लड़की ने हाथ उठाया और स्टेज पर गयी। दूर से उसका गोरा रंग व लंबाई ही दिख रही थी। माइक नहीं था। उसने क्या कहा, कुछ समझ नहीं आया। उसके बाद एक लड़का गया जिसने कॉन्फिडेंस में ‘आया रे’ गाना गाया और ऑडिएंस से कोरस में “तो बोलो आया रे” बुलवाना चाहा पर किसी ने प्रतिक्रिया नहीं दी। इस तरह पहला दिन इंट्रोडक्शन में ही चला गया।

कमरे पर वापस आकर मेरे रूमी कपिल ने मुझे पूछा,”बैच में सबसे सुंदर लड़की तुम्हे कौन लगी?”

“कोई नहीं, कुछ दिखने में ठीक थीं। स्टेज वाली थोड़ी स्वीट लगी। दूसरी जो मेरे पास आकर बैठी थी, क्या नाम था उसका? एक C सेक्शन में लड़की है, वो लंबी है और फिगर अच्छा है पर चेहरा खास नहीं है”, मैंने जवाब दिया।

श्रद्धा?

हाँ, वही।

वो निशा कैसी लगी?

वो आदमी सी आवाज़ वाली? अच्छी तो नहीं लगी पर उसकी बातों पर हँसी आती है।

क्लासेस शुरू हो गयीं। सारे विषय ठीक थे पर बिज़नेस इकोनॉमिक्स और मैथ्स में मुझे मौत आती थी। हमेशा से इच्छा थी कि कॉलेज में टीचर कोई ‘राज आर्यन’ हो जो प्रेम सिखाये। धरातल पर हमें इकोनॉमिक्स श्रुति मैम पढ़ाती थीं। जो बोलती क्या थी, आज तक समझ नहीं आया। मैं श्रद्धा के साथ बैठता था। धीरे-धीरे दोस्ती हुई और कुछ दिन फ़्लर्ट भी चला। उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था और मुझे करनी नहीं थी। कॉलेज जॉइन करने का प्रमुख कारण पढ़ाई था भी नहीं।

मैं श्रद्धा के साथ बैठता और कपिल कॉलेज के लफाड़ी लड़कों से दोस्ती गाँठ रहा होता था। वापस हॉस्टल दोनो साथ ही जाते थे। एक दिन क्लास में श्रद्धा और मैं बातें कर रहे थे कि कपिल अचानक से पीछे के दरवाजे से आता है। मुझसे कहता है,” तुम्हारे जात की एक लड़की को सीनियर लड़के परेशान कर रहे हैं। मैं जाकर बोल दूँ कि तुम उसके दूर के भाई हो?”

बिना सोचे मैंने हाँ बोल दिया। कुछ दिन बाद मैंने महसूस किया कि श्रद्धा की बातें अब मुझे बोर करने लगीं थी। फ़िर उसका अफ़ेयर एक सीनियर से हो गया।

कॉलेज में सीनियर्स का एक ग्रुप होता था जिसके लड़के ‘कनपुरिया स्टाइल’ में रहते थे। अधिकतर कानपुर से बाहर के लड़के थे। गुंडे नहीं थे पर गुंडा दिखने की पूरी कोशिश करते थे। उनमें से सबसे कमज़ोर योगेश था। वह मेरे कमरे पर अक्सर आता था। एक दिन वह कपिल से बात कर रहा था कि कैसे उसके ग्रुप लीडर ने उस लड़की को प्रोपोज़ कर दिया जिसे वह पसंद करता था। लड़की ने उस ग्रुप लीडर को मना कर दिया तो ग्रुप के सारे लड़के उसे एक एक करके प्रोपोज़ कर रहे हैं और योगेश बात तक नहीं कर पा रहा है। मैंने बातों में थोड़ा इंटरेस्ट लिया और उससे एक डील की जिसके तहत योगेश हमे फर्स्ट सेमेस्टर के सभी नोट्स देगा और हम उस लड़की से योगेश के लिए बात करेंगे।

अपनी नैय्या तो पर हो नहीं रही थी, दूसरे के नाव को धक्का देने जा रहे थे। लड़की A सेक्शन की थी। अगले दिन हम क्लास के बाद उस लड़की से बात करने गए। मैं पीछे के गेट पर खड़ा हुआ औऱ कपिल अंदर गया। उसने जाकर लड़की से बात की और वापस आ गया।

कपिल, “योगेश के बारे में बात नहीं कर पाया। तुम भी उससे मिल लो।“

मैं क्लास में गया। लेफ्ट कार्नर फ्रंट पर बैठी उस लड़की की झलक देखकर मैंने कपिल से कहा, “ये ऑडी वाली लड़की है ना।“ उसने हाँ कहा। मैंने कहा कि कितनी सिंपल है पर चेहरा कितना ग्लो कर रहा है, बच्चों जैसी स्किन है। कपिल ने कहा कि तुम्हारे कास्ट की है। मैं उसे देख कर बहुत खुश था। पास जाकर मैं उसके पास खड़ा हो गया। उसके साथ वाली लड़की ने मुझे देखा और देखती रही।

कपिल ने उस लड़की को आवाज़ दी और कहा, “तुम्हे याद है मैंने तुम्हें बोला था कि अगर कोई तुम्हे छेड़े तो बोल देना कि B सेक्शन में तुम्हारा दूर का भाई पढता है।“ उस लड़की ने हाँ में सर हिलाया। कपिल ने मेरी ओर इशारा कर कहा कि यह वही है। उस लड़की ने मेरी ओर देखा। मैं बहुत खुश था लेकिन कपिल की बात पर अचानक ही मेरा सर फटने को हो गया। मन किया कि कपिल का सर फोड़ दूँ।

कपिल को साइड में लाकर पूछा,” साले, तू इसे जानता था तो फिर मेरी बहन क्यों बनाया।“

मुझे लगा कि तेरा श्रद्धा के साथ चल रहा है।

यह लड़की मुझे बहुत पसंद है। इससे सोलमेट जैसी फीलिंग आ रही है।

कपिल ने कुछ सोचते हुए कहा,”योगेश बेवकूफ है। उसको किनारे करो और तुम पटा लो।“

मैंने पूछा, “ये दूर के भाई वाला झूठ कितने लोग जानते हैं।“

कपिल ने जवाब दिया, “लगभग सब।“

मैने ज़रा और हिम्मत करके पूछा, “उसे कोई इशू नही है मुझे भाई बनाने में?”

कपिल ने कहा, “जब यह बात हुई तब उसने तुम्हें देखा नहीं था। वैसे उसे सिर्फ पढ़ाई और अपने ग्रुप से मतलब है।“

मैंने पूछा, “अब क्या करें?”

कपिल बोला, “फिलहाल तो लड़की का दिल जीतो, भाई बनकर ही सही।”

क्रमश: …

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-2

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-3

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-4

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-5

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-6

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-7

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-8

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-9

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-10

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-11

मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-12

लेखिका कहानियाँ और मुक्त छन्द कविताएँ लिखती हैं। कथा चरित्रों की सजीव कल्पना से उनकी कहानियाँ जीवन्त और मार्मिक बनती है। कहानियों और कविताओं के अतिरिक्त वह जीवन शैली, फैशन और मनोरंजन आदि विषयों पर लिखना पसंद करती हैं। फेमिनिस्ट मुद्दों पर उनके आलेख बिना किसी पूर्वाग्रह के होते हैं। लेखिका ने लोपक.इन के लिए कई कहानियां और अन्य आलेख लिखे हैं। वह एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत हैं।

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