ऑनलाइन योग और मेरी साँसें कोविड महामारी से दुनिया की साँसें एवरेस्ट-कन्याकुमारी हो रही हैं। वहीं मैं लॉकडाउन में अपने ही घर पर कभी… Continue reading “ऑनलाइन योग और मेरी साँसें”…
कोहबर में क्वोरंटीन बाबू साहेब का बड़ा दालान। 1 अप्रैल की तिथि और दोपहर का समय। सभा में बाबू साहेब के नेतृत्व… Continue reading “कोहबर में क्वोरंटीन”…
जय बंगला पवन पुत्र श्री हनुमान बल, बुद्धि और कौशल के भंडार थे लेकिन उन्हें उनकी क्षमताएँ याद दिलानी पड़ती थीं।… Continue reading “जय बंगला”…
किसान और लेखक की फसल अन्न व शब्द का काल आदि-अनंत रहा है। मेरा तो यह मानना है कि पहले अन्न ही आया होगा क्योंकि… Continue reading “किसान और लेखक की फसल”…
अपनी जयन्ती पर गाँधी बाबा की भारत यात्रा अपनी जयन्ती पर गाँधी जी ने भारत भूमि पर आने का निर्णय किया। कुछ सच्चे गाँधीवादियों ने उन्हें रोकने की… Continue reading “अपनी जयन्ती पर गाँधी बाबा की भारत यात्रा”…
विपक्ष में भिया का कोई तोड़ नहीं राजनीति में हमारे भिया का पक्ष-विपक्ष में कोई तोड़ नहीं है। उनके हर बयान में कूटनीति कूट-कूट कर भरी रहती… Continue reading “विपक्ष में भिया का कोई तोड़ नहीं”…
भाषा का भुरकुस बात अँग्रेजों के जमाने की है। दो लोगों में मारपीट हो गयी। मारपीट का कारण खूँटा गाड़ने पर हुआ विवाद… Continue reading “भाषा का भुरकुस”…
एक अनूठा कवि सम्मेलन हिन्दी दिवस पर बड़ा ही मनोहारी दृश्य था। दो ऐसे कवि प्रेम पूर्वक मिले थे जिन्हें कवि सिर्फ वही दोनों… Continue reading “एक अनूठा कवि सम्मेलन”…
स्मार्टफोन की शोक सभा मोहल्ले में हलचल थी और शर्मा जी के घर में शोक की लहर। शर्मा जी के स्मार्टफोन फोन चल बसे… Continue reading “स्मार्टफोन की शोक सभा”…
काँग्रेस कार्यसमिति बैठक – एक बार फिर टाँय टाँय फिस्स दल की दशा और दिशा पर चिन्ता व्यक्त करते हुए पत्र लिखना हमारे लोकतंत्र की एक स्वस्थ परम्परा है। आम… Continue reading “काँग्रेस कार्यसमिति बैठक – एक बार फिर टाँय टाँय फिस्स”…
स्वच्छता सर्वेक्षण में गया गुजरा बिहार प्रधानमंत्री के प्रिय कार्यक्रमों में से एक ‘स्वच्छ भारत’ भारत सरकार का एक बेहतरीन कार्यक्रम है। सांकेतिक श्रमदान में प्रधानमंत्री… Continue reading “स्वच्छता सर्वेक्षण में गया गुजरा बिहार”…
सनसनी समाज में है चैनल में नहीं मुझे ऐसा लगता है कि संवाद सात्विक शब्द है और बहस तामसिक। संवाद से सौहार्द उत्पन्न होता है। बहस में… Continue reading “सनसनी समाज में है चैनल में नहीं”…
मंच, माला, माईक और नेताजी का भाषण कोराना काल में सबसे अधिक क्षति या घोर कमी यदि किसी क्षेत्र में हुई है तो वह नेताओं के सबसे… Continue reading “ मंच, माला, माईक और नेताजी का भाषण”…
लोकतंत्र का हासिल सिर्फ लोकतंत्र लोकतंत्र का उद्भव भारत में हुआ। भारत ही सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भी है। लेकिन अमेरिका विश्व में लोकतंत्र का… Continue reading “लोकतंत्र का हासिल सिर्फ लोकतंत्र”…
बाउंसर विपक्ष का सजग दिखने के लिए विपक्ष का मुख्य काम सरकार पर प्रश्नों के बाउंसर दागना है। अपने पालक-बालकों से उन प्रश्नों… Continue reading “बाउंसर विपक्ष का”…
पॉलिटिक्स – पुल और पैनडेमिक की कोरोना के कोढ़ पर बाढ़ का खाज होने के कारण बिहार सरकार डबल लोड टान रही है। यहाँ डबल इंजन… Continue reading “पॉलिटिक्स – पुल और पैनडेमिक की”…
भेटनर भईया “का हुआ भेटनर भईया”, हाथ पर लगी पट्टी देखकर चेला टैप लड़के ने पूछा। उत्तर मिला; “छुरा लागल बा।” तब… Continue reading “भेटनर भईया”…
बकैती बंगले पर हमारे देश में माननीय गण, धन्ना सेठ और बड़े-बड़े साहेब-सुबा लोग बंगलों में रहते हैं। शेष लोग घर, फ्लैट, चॉल,… Continue reading “बकैती बंगले पर”…
मैं लेखक बनते बनते रह गया स्कूली परीक्षाओं में गाय व डाकिया पर निबंध लिखने के लिए मैं ‘निबंध माला’ से रट्टा मारता था। इससे यह… Continue reading “मैं लेखक बनते बनते रह गया”…
बरसात की कुछ बातें ये बरसात भी कमबख़्त किसी याद सी होती है। न आए तो बिल्कुल भी न आए और जो आए तो… Continue reading “बरसात की कुछ बातें”…
एक खुला पत्र ‘पत्रकारों’ के नाम प्रिय पत्रकार, पत्रकार शब्द से मत चौंकिये। यहाँ इस शब्द का सामान्य अर्थ नहीं है। नाटक लिखने वाला नाटककार कहलाता… Continue reading “एक खुला पत्र ‘पत्रकारों’ के नाम”…
लॉकडाउन-4 जारी है … संभवत: हम स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी त्रासदी से गुजर रहे हैं। अब यह समझना मुश्किल हो रहा है कि… Continue reading “लॉकडाउन-4 जारी है …”…
टिकटॉक: वाह वाह या छि छि टेस्ट क्रिकेट के बाद जब एक दिवसीय क्रिकेट आया तो क्रिकेट के शुद्धतावादी इतने बिफरे कि उन्होने क्रिकेट के इस… Continue reading “टिकटॉक: वाह वाह या छि छि”…
अपनी पीठ थपथपाने के नुख्खे लॉक -डाउन के दौरान निठ्ठलापन क्या-क्या नहीं कराता। अपनी पीठ थपथपाने की चेष्टा की लेकिन यह असंभव सा कार्य लगा। वर्तमान… Continue reading “अपनी पीठ थपथपाने के नुख्खे”…
लॉकडाउन-3: पहला दिन धूमगज्जर का कोरोना संकट की स्थिति देखते हुए लॉकडाउन-2 के अतिंम दिनों में यह जोक बनने लगा था कि लॉकडाउन उतना ही… Continue reading “लॉकडाउन-3: पहला दिन धूमगज्जर का”…
खुशामद की आमद आम से लेकर खास तक यह आम है कि प्रशंसा कानों में मिसरी सी प्रतीत होती है। उसकी मिठास घुलकर… Continue reading “खुशामद की आमद”…
घसेका और घकेका ज्ञानियों ने समय समय पर कहा है कि सदैव सकारात्मक सोचिए। हम अपना अज्ञान छिपाने के फेर में ज्ञानियों का… Continue reading “घसेका और घकेका”…
लॉकडाउन पर कुछ मीठा कुछ खट्टा कोरोना संकट से निबटने के लिए देश में संपूर्ण लॉकडाउन है। समूह पलायन से डाइल्यूशन की खबरें भी आयीं। मानव… Continue reading “लॉकडाउन पर कुछ मीठा कुछ खट्टा”…
लॉकडाउन में लेखन – एक प्रयोग विगत कुछ मासों से कुछ भी नहीं लिखा था – कुछ कर्म की व्यस्तता में, कुछ निठल्लेपन के कारण।व्यंगोक्ति देखिये कि… Continue reading “लॉकडाउन में लेखन – एक प्रयोग”…
शोले को लाल सलाम इतिहास किसी सटीक सहस्रकोणीय वीडियो पर आधारित नहीं होता। यह तथ्यों के अलावा इतिहासकार की कथा शैली, रूझान, आग्रह… Continue reading “शोले को लाल सलाम”…
लिट्टी-चोखा के बहाने बिहार की राजनीतिक पड़ताल हमारे देश में गझिन लोकतंत्र है। दिल्ली के मालिक का रिन्युअल हुआ नहीं कि ‘कोरबो लोड़बो जीतबो’ दस्तक दे रहा… Continue reading “लिट्टी-चोखा के बहाने बिहार की राजनीतिक पड़ताल”…
कॉमरेड केसरिया यह कहानी उस दौर की है जब लडकियाँ ‘बोल्ड और साइज़ ज़ीरो’ नहीं, शर्मीली और गदराई होती थीं। उनका जीन्स… Continue reading “कॉमरेड केसरिया”…
चुनावनामा दिल्ली का देश के आम चुनाव का या बड़े राज्यों के विधानसभा चुनावों का डंका बजता है। इस लिहाज से तो वृहतर… Continue reading “चुनावनामा दिल्ली का”…
आम बजट पर आम आदमी की आम समझ वर्षों पहले माइकल जैक्शन मुम्बई आए थे। आम जनों की छोड़िए, हमारे मुम्बईया सेलेब भी वैसे ही बावले हुए जा… Continue reading “आम बजट पर आम आदमी की आम समझ”…
असली लड़ाई खाने की है पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति पर प्रकृति को लगा होगा कि वाह क्या चीज है। हो सकता है कुछ ऐसा… Continue reading “असली लड़ाई खाने की है”…
विकास को प्रतिबद्ध स्वत: स्फूर्त मानव श्रृंखला की आस दुनिया के विकसित देशों में उनके कौशल और उनके या उनके उपनिवेशों के कच्चे माल व श्रम से औद्योगिक क्रांति… Continue reading “विकास को प्रतिबद्ध स्वत: स्फूर्त मानव श्रृंखला की आस”…
न्यू ईयर रिजॉल्यूशन आठ पहरिया चैनलों के एंकर भयंकर, अखबारों के स्थापित स्तंभकार व मूर्धन्य ट्विटकार पूरे साल के घटनाक्रम को ‘गागर में… Continue reading “न्यू ईयर रिजॉल्यूशन”…
उफ्फ, एक और आन्दोलन! देश में आन्दोलन घोटाला का पर्याय हो चुका है। अधिकांश आन्दोलनों के कारण, उनके तरीके, उनकी प्रवृत्ति, उनका कवरेज, उनसे… Continue reading “उफ्फ, एक और आन्दोलन!”…
नाम में क्या रखा है! गुलाब का नाम कुछ और होता तो भी वह सुगंधित ही होता। शायद इसी आधार पर शेक्सपीयर ने कहा कि… Continue reading “नाम में क्या रखा है!”…
महाराष्ट्र का थ्रिलर: क्लाइमेक्स या एंटी-क्लाइमेक्स जिस जिस पर ये जग हँसा है उसी ने इतिहास रचा है … शायर संजय राउत यह शेर गुनगुना रहे… Continue reading “महाराष्ट्र का थ्रिलर: क्लाइमेक्स या एंटी-क्लाइमेक्स”…
जेएनयू: बौद्धिक विमर्श केन्द्र या स्वयं बहस का विषय तीन साल पहले मैं जेएनयू गया था। पढ़ने नहीं, मैं पहले से ही पढ़ुआ हूँ – ईए-बीए पास। डिग्री बता… Continue reading “जेएनयू: बौद्धिक विमर्श केन्द्र या स्वयं बहस का विषय”…
महाराष्ट्र सरकार या वीरबल की खिंचड़ी कम ही लोग जानते हैं कि ‘वीरबल की खिंचड़ी’ पकने में देरी इसलिए हुई क्योंकि खिंचड़ी का चावल दाल की… Continue reading “महाराष्ट्र सरकार या वीरबल की खिंचड़ी”…
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का स्मॉग मत कहो आकाश में कोहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है। सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह का,… Continue reading “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का स्मॉग”…
मुस्कुराइए, आप मंडली.इन पर हैं! हँसी जिन्दादिली का प्रतीक है, मुस्कुराहट जीवन्तता का प्रमाण। हँसी लाख दवाओं की एक अचूक दवा है, मुस्कुराहट स्वयं के… Continue reading “मुस्कुराइए, आप मंडली.इन पर हैं!”…
व्यंजनों पर घमासान का समाधान अधिकतर लोग जीने के लिए खाते हैं। कुछ खाने के लिए ही जीते है। आजकल कुछ लोग सिर्फ लड़ने के… Continue reading “व्यंजनों पर घमासान का समाधान”…
मंदी है या नहीं? ‘जबरदस्त मंदी है’, ‘मंदी है’, ‘कथित रूप से मंदी है’, ‘कहाँ है मंदी’ … ‘5 ट्रिलियन इकॉनमी’ की बकैती के… Continue reading “मंदी है या नहीं?”…
जो फिट है वो हिट है कुदरती काया को कांतिमान, कमनीय, करिश्माई, और कातिल बनाए रखने के लिए कयामत की क्रेज के बीच कमाल की कॉमेडी… Continue reading “जो फिट है वो हिट है”…
150 वीं जयन्ती पर गाँधी की भारत यात्रा अपनी 150 वीं जयन्ती पर गाँधी जी ने भारत भूमि पर आने का फैसला किया। कुछ सच्चे गाँधीवादियों ने उन्हें… Continue reading “150 वीं जयन्ती पर गाँधी की भारत यात्रा”…
पर्यावरण का डमरू जलवायु परिवर्तन पर जारी बहस के बीच आदर्श स्थिति यह है कि विकास की भूख और पर्यावरण की चेतना के… Continue reading “पर्यावरण का डमरू”…
माइक महारथी बनने का संघर्ष हम अपनी ही नहीं बल्कि दूसरों की सफलता को भी सेलिब्रेट करते हैं। यहाँ यह भी जोड़ देना उचित होगा… Continue reading “माइक महारथी बनने का संघर्ष”…
चालान पर चर्चा बचपन से सुनते आ रहे हैं कि अनुशासन ही देश को महान बनाता है लेकिन अनुशासन से देश अब तक… Continue reading “चालान पर चर्चा”…
उजड़े दरबार के बेराग दरबारी रानी की कोख से राजा के पैदा होने का क्रम लोकतंत्र में रुक जाने की अपेक्षा थी लेकिन राजनीतिक एकाधिकार… Continue reading “उजड़े दरबार के बेराग दरबारी”…
वैशाखनन्दन का भाषण जिन बैलों से अपना खेत जोतकर हम खुश होते हैं, वे कहीं ये तो नहीं सोचते कि वे हमें बुड़बक… Continue reading “वैशाखनन्दन का भाषण”…
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है! मनुष्य सामाजिक प्राणी है, ऐसा मनुष्य अपने आप को कहता है। पशु-पक्षी-वृक्ष आदि इस विषय में क्या सोचते हैं, इस… Continue reading “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है!”…
कांग्रेस कार्यसमिति बैठक – टाँय-टाँय फिस्स सरकारी क्षेत्रों तक पहुँच रखने वाले पहुँचे हुए लोग अक्सर कहते हैं कि सरकारी बैठकों का सबसे बड़ा हासिल ‘फिरी’… Continue reading “कांग्रेस कार्यसमिति बैठक – टाँय-टाँय फिस्स”…
फूड ऐप पर फुटेज दो-तीन दशक पहले तक समाजवादी आर्थिक नीतियों में जकड़ा भारत मुक्त अर्थव्यवस्था की प्रगति में अकड़ने लगा है, हालांकि सरकार… Continue reading “फूड ऐप पर फुटेज”…
बाढ़ राहत की महिमा जनसंख्या में ज्यामितीय वृद्धि और संसाधनों की अंकगणितीय वृद्धि के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए प्रकृति रौद्र रुप धारण… Continue reading “बाढ़ राहत की महिमा”…