तबही ए बबुआ समाजवाद आई …

तबही ए बबुआ समाजवाद आई …

पिछड़ा दिल्ली जाके करी ठकुराई अगड़ा लोगन के जब लस्सा कुटाई पिछड़ा अकलियत के शरबत घोराई तबही ए बबुआ समाजवाद…
तेरी याद आ रही है, तू कब आ रही है

तेरी याद आ रही है, तू कब आ रही है

    खिड़की से छनती धूप अब बिस्तर तक आ रही है सिरहाने रखी चाय कब से धुआँ उठा रही…