My घोस्ट तुम जानते हो मैं तुम्हें घोस्ट क्यों कहती हूँ। क्योंकि मैं तुम्हें देख नहीं सकती और ना ही छू सकती… Continue reading “My घोस्ट”…
ऑनलाइन योग और मेरी साँसें कोविड महामारी से दुनिया की साँसें एवरेस्ट-कन्याकुमारी हो रही हैं। वहीं मैं लॉकडाउन में अपने ही घर पर कभी… Continue reading “ऑनलाइन योग और मेरी साँसें”…
कोहबर में क्वोरंटीन बाबू साहेब का बड़ा दालान। 1 अप्रैल की तिथि और दोपहर का समय। सभा में बाबू साहेब के नेतृत्व… Continue reading “कोहबर में क्वोरंटीन”…
घोड़वहिया कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जिनसे जुड़ी कोई छोटी धटना मुख्य घटना बनकर स्मृति पटल पर अंकित हो जाती है।… Continue reading “घोड़वहिया”…
जय बंगला पवन पुत्र श्री हनुमान बल, बुद्धि और कौशल के भंडार थे लेकिन उन्हें उनकी क्षमताएँ याद दिलानी पड़ती थीं।… Continue reading “जय बंगला”…
अनन्त प्रेम पथ – 2 तुम्हारे सोने के बाद कल रात, मन और मेरी बातें हो रही थी कि आजकल की दुनिया में वास्तविक कष्ट… Continue reading “अनन्त प्रेम पथ – 2”…
भादो की मूसलाधार बारिश दोपहर से ही बादल मानो एक ही दिन में सारी प्यास बुझाने को आतुर हो रहे हों। अमर को… Continue reading “भादो की मूसलाधार बारिश”…
बाट जोहते अनगिनत ‘बाबा का ढाबा’ अशोक से खरीदा गया वो आखिरी पेन आज हाथ में है, लेकिन उससे कुछ लिखने का मन नहीं है। अशोक… Continue reading “बाट जोहते अनगिनत ‘बाबा का ढाबा’”…
किसान और लेखक की फसल अन्न व शब्द का काल आदि-अनंत रहा है। मेरा तो यह मानना है कि पहले अन्न ही आया होगा क्योंकि… Continue reading “किसान और लेखक की फसल”…
अपनी जयन्ती पर गाँधी बाबा की भारत यात्रा अपनी जयन्ती पर गाँधी जी ने भारत भूमि पर आने का निर्णय किया। कुछ सच्चे गाँधीवादियों ने उन्हें रोकने की… Continue reading “अपनी जयन्ती पर गाँधी बाबा की भारत यात्रा”…
विपक्ष में भिया का कोई तोड़ नहीं राजनीति में हमारे भिया का पक्ष-विपक्ष में कोई तोड़ नहीं है। उनके हर बयान में कूटनीति कूट-कूट कर भरी रहती… Continue reading “विपक्ष में भिया का कोई तोड़ नहीं”…
भाषा का भुरकुस बात अँग्रेजों के जमाने की है। दो लोगों में मारपीट हो गयी। मारपीट का कारण खूँटा गाड़ने पर हुआ विवाद… Continue reading “भाषा का भुरकुस”…
शुद्ध हिन्दी की सजा निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।। हिन्दी दिवस पर… Continue reading “शुद्ध हिन्दी की सजा”…
आनंद कुमारस्वामी “आनंद कुमारस्वामी!” एक दिन ट्विटर पर एक दोस्त ने कहा, “तुमने उनके बारे में नहीं सुना? उन्हें अवश्य और तत्काल… Continue reading “आनंद कुमारस्वामी”…
एक अनूठा कवि सम्मेलन हिन्दी दिवस पर बड़ा ही मनोहारी दृश्य था। दो ऐसे कवि प्रेम पूर्वक मिले थे जिन्हें कवि सिर्फ वही दोनों… Continue reading “एक अनूठा कवि सम्मेलन”…
हिन्दी का स्वप्नलोक मन की उदासी कचोट रही थी। ऐलन मेरे पास बैठा था। मैंने उससे कहा, “तुम सबके लिए आसान है, मेरे लिए नहीं।… Continue reading “हिन्दी का स्वप्नलोक”…
जन्मदिन सन २०१४, मई का महीना। शहर के अस्पताल के आठ बेड वाले आईसीयू वार्ड में मध्य रात्रि का काल। एक… Continue reading “जन्मदिन”…
पंडित नरेन्द्र नाथ मिश्र – वर्तमान के साँचे में भविष्य को ढालते कर्मयोगी मैं शिक्षक परिवार में जन्मा और पला-बढ़ा हूँ। यूँ समझिए कि मेरी पूरी पिछली पीढ़ी शिक्षक ही थी। मेरे संयुक्त… Continue reading “पंडित नरेन्द्र नाथ मिश्र – वर्तमान के साँचे में भविष्य को ढालते कर्मयोगी”…
स्मार्टफोन की शोक सभा मोहल्ले में हलचल थी और शर्मा जी के घर में शोक की लहर। शर्मा जी के स्मार्टफोन फोन चल बसे… Continue reading “स्मार्टफोन की शोक सभा”…
काँग्रेस कार्यसमिति बैठक – एक बार फिर टाँय टाँय फिस्स दल की दशा और दिशा पर चिन्ता व्यक्त करते हुए पत्र लिखना हमारे लोकतंत्र की एक स्वस्थ परम्परा है। आम… Continue reading “काँग्रेस कार्यसमिति बैठक – एक बार फिर टाँय टाँय फिस्स”…
स्वच्छता सर्वेक्षण में गया गुजरा बिहार प्रधानमंत्री के प्रिय कार्यक्रमों में से एक ‘स्वच्छ भारत’ भारत सरकार का एक बेहतरीन कार्यक्रम है। सांकेतिक श्रमदान में प्रधानमंत्री… Continue reading “स्वच्छता सर्वेक्षण में गया गुजरा बिहार”…
सनसनी समाज में है चैनल में नहीं मुझे ऐसा लगता है कि संवाद सात्विक शब्द है और बहस तामसिक। संवाद से सौहार्द उत्पन्न होता है। बहस में… Continue reading “सनसनी समाज में है चैनल में नहीं”…
मंच, माला, माईक और नेताजी का भाषण कोराना काल में सबसे अधिक क्षति या घोर कमी यदि किसी क्षेत्र में हुई है तो वह नेताओं के सबसे… Continue reading “ मंच, माला, माईक और नेताजी का भाषण”…
स्मृति शब्द-चित्र – स्व. नगनारायण दुबे रविवार की एक दोपहर अचानक पंडित जी याद आ गये और उनकी स्मृति में मैं एक शब्द चित्र बनाने लगा।… Continue reading “स्मृति शब्द-चित्र – स्व. नगनारायण दुबे”…
अप्रत्याशित प्रबोधक अगस्त की बारिश का जादू नैराश्य से भरे मन को भी प्रफुल्लित कर देने की क्षमता रखता है। शहर के… Continue reading “अप्रत्याशित प्रबोधक”…
तुम जो मिल गये हो वो मुझे याहू चैट रूम में मिली थी। किशोर कुमार के गाने का ग्रुप था, या लता मंगेशकर का, यह… Continue reading “तुम जो मिल गये हो”…
रॉकिंग चेयर घर के बरामदे में पड़ा रॉकिंग चेयर मेरे बेटे लक्ष्य के चुहल से कभी कभी हिल जाता था। बाहर लॉन… Continue reading “रॉकिंग चेयर”…
लोकतंत्र का हासिल सिर्फ लोकतंत्र लोकतंत्र का उद्भव भारत में हुआ। भारत ही सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भी है। लेकिन अमेरिका विश्व में लोकतंत्र का… Continue reading “लोकतंत्र का हासिल सिर्फ लोकतंत्र”…
अंतिम विदाई मालाऽ पानी देना … आधी रात, दोपहर या फिर सुबह सबेरे … शंकर चाचा बिना माला चाची के हाथ का… Continue reading “अंतिम विदाई”…
बाउंसर विपक्ष का सजग दिखने के लिए विपक्ष का मुख्य काम सरकार पर प्रश्नों के बाउंसर दागना है। अपने पालक-बालकों से उन प्रश्नों… Continue reading “बाउंसर विपक्ष का”…
एक शीर्षकहीन कथा जन्म के पश्चात जब से मेरी आँखें खुलीं तब से केसरी नभमण्डल में अस्ताचल के पीछे ढलता हल्का सा रक्तवर्णी… Continue reading “एक शीर्षकहीन कथा”…
पॉलिटिक्स – पुल और पैनडेमिक की कोरोना के कोढ़ पर बाढ़ का खाज होने के कारण बिहार सरकार डबल लोड टान रही है। यहाँ डबल इंजन… Continue reading “पॉलिटिक्स – पुल और पैनडेमिक की”…
पंच फिर बने परमेश्वर गाँव के बीचोबीच बरगद के पेड़ तले आज बड़ी हलचल थी। इतवार की सुबह आज पूरा गाँव धीमे धीमे जमा… Continue reading “पंच फिर बने परमेश्वर”…
भेटनर भईया “का हुआ भेटनर भईया”, हाथ पर लगी पट्टी देखकर चेला टैप लड़के ने पूछा। उत्तर मिला; “छुरा लागल बा।” तब… Continue reading “भेटनर भईया”…
हमार बरखू कनेर के पीले फूल रात में चमक नहीं रहे थे पर दूर से आते हरई की लालटेन से फूल चौंधिया… Continue reading “हमार बरखू”…
दर्पण शरद, “हाँ तो प्रेम, तुम्हारी शादी का क्या हुआ?” प्रेम, “यार, फिक्स हो गयी। इसी अप्रैल में है।” शरद, “अर्रे, तुम फ़ोन पर… Continue reading “दर्पण”…
बकैती बंगले पर हमारे देश में माननीय गण, धन्ना सेठ और बड़े-बड़े साहेब-सुबा लोग बंगलों में रहते हैं। शेष लोग घर, फ्लैट, चॉल,… Continue reading “बकैती बंगले पर”…
मैं चला जाऊँगा “तेरे को पता है, रोहित ने लास्ट एग्जाम के दिन पायल को प्रपोज कर दिया और वो भी मान गई।”… Continue reading “मैं चला जाऊँगा”…
हमेशा के लिए अवरूद्ध चारों ओर अंधकार था। इस घुप्प अंधकार में वह पुच्छल तारे जैसा जीव अपने निर्धारित मार्ग पर चलता हुआ अपने… Continue reading “हमेशा के लिए अवरूद्ध”…
आस के चार बूँद हवाई जहाज में पंकज कभी उड़ान से भी उँचा उड़ने लगता तो कभी पाताल में गोता लगा बैठता। अपनी खुशी… Continue reading “आस के चार बूँद”…
भूत की व्यथा दृश्य 1:- अरे … अरे … मैं अचानक से आसमान में क्यों आ गया? अरे, मैं तो नीचे गिर रहा… Continue reading “भूत की व्यथा”…
ईटीज सर गाँव में कुछ लोग उनको आज भी ईटीज सर ही बुलाते हैं। उनका असल नाम प्रमोद है – प्रमोद कुमार… Continue reading “ईटीज सर”…
मैं लेखक बनते बनते रह गया स्कूली परीक्षाओं में गाय व डाकिया पर निबंध लिखने के लिए मैं ‘निबंध माला’ से रट्टा मारता था। इससे यह… Continue reading “मैं लेखक बनते बनते रह गया”…
बरसात की कुछ बातें ये बरसात भी कमबख़्त किसी याद सी होती है। न आए तो बिल्कुल भी न आए और जो आए तो… Continue reading “बरसात की कुछ बातें”…
वो जा चुकी थी … बहुत रात बीत गई थी। सुधा की आँखों में नींद नहीं थी। जाग तो रमेश भी रहा था पर आँखें… Continue reading “वो जा चुकी थी …”…
दूसरी शहादत राजस्थान के पश्चिमी इलाकों में गाँव प्रायः शांत स्वभाव के होते हैं। मुझ जैसे शहरी जीव शांति की खोज में… Continue reading “दूसरी शहादत”…
ढकलेट जिला स्कूल, छपरा के प्रांगण में ही स्थित छपरा शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के बीएड प्रशिक्षु अध्यापन अनुभव के लिए विद्यालय… Continue reading “ढकलेट”…
बे-कार: भाग-3 … गतांक से आगे “चालीस हज़ार किस बात के”, माड़साब अचंभित होकर उसे देख रहे थे। माड़साब से भी ज्यादा… Continue reading “बे-कार: भाग-3”…
बे-कार- भाग: 2 … गतांक से आगे “अच्छा तो आप ही है शैलेश जी “, उस व्यक्ति ने खड़े होकर बड़ी ही गर्मजोशी… Continue reading “बे-कार- भाग: 2”…
एक खुला पत्र ‘पत्रकारों’ के नाम प्रिय पत्रकार, पत्रकार शब्द से मत चौंकिये। यहाँ इस शब्द का सामान्य अर्थ नहीं है। नाटक लिखने वाला नाटककार कहलाता… Continue reading “एक खुला पत्र ‘पत्रकारों’ के नाम”…
बे-कार – भाग:1 बाहर से पोस्टमैन की आवाज़ आते ही शैलेश जी बाहर की तरफ लपके और पोस्टमैन से लिफाफा लि उस लिफ़ाफ़े… Continue reading “बे-कार – भाग:1”…
लॉकडाउन-4 जारी है … संभवत: हम स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी त्रासदी से गुजर रहे हैं। अब यह समझना मुश्किल हो रहा है कि… Continue reading “लॉकडाउन-4 जारी है …”…
मोंढ़ेरा में सूर्योदय कहते हैं कि वर्षों पूर्व इस क्षेत्र को धर्मारण्य कहा जाता था। रावण वध के पश्चात श्री राम ने… Continue reading “मोंढ़ेरा में सूर्योदय”…
प्रेम प्रतिशोध कई बार ऐसा होता है कि हम कुछ काम कर रहे होते हैं और कानों में हैंड्सफ्री म्यूजिक ऑन होता… Continue reading “प्रेम प्रतिशोध”…
टिकटॉक: वाह वाह या छि छि टेस्ट क्रिकेट के बाद जब एक दिवसीय क्रिकेट आया तो क्रिकेट के शुद्धतावादी इतने बिफरे कि उन्होने क्रिकेट के इस… Continue reading “टिकटॉक: वाह वाह या छि छि”…
रूही – एक पहेली: भाग-38 मोहित एयरपोर्ट पहुँचा तो देखा कोचीन की फ्लाइट कैंसिल हो गयी थी। सामने चंडीगढ़ की फ्लाइट थी, टिकट लिया और… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-38”…
अपनी पीठ थपथपाने के नुख्खे लॉक -डाउन के दौरान निठ्ठलापन क्या-क्या नहीं कराता। अपनी पीठ थपथपाने की चेष्टा की लेकिन यह असंभव सा कार्य लगा। वर्तमान… Continue reading “अपनी पीठ थपथपाने के नुख्खे”…
रुही – एक पहेली: भाग-37 कुछ और जो रह गया था मोहित की दास्ताँ के साथ कुछ और भी दास्ताँ थी जो अधूरी रह गयी… Continue reading “रुही – एक पहेली: भाग-37”…
रुही – एक पहेली: भाग-36 सुबह सब उठे तो मोहित बाहर बैठा सब का इंतज़ार कर रहा था। कॉफ़ी पीते-पीते मोहित ने कहा, “नहा धो… Continue reading “रुही – एक पहेली: भाग-36”…
पलायन “सर पर धूप निकल आई थी। बारह बज रहे होंगे”, थकी रचना ने पति सुदामा से कहा। सुदामा बोला, “अभी… Continue reading “पलायन”…
लॉकडाउन-3: पहला दिन धूमगज्जर का कोरोना संकट की स्थिति देखते हुए लॉकडाउन-2 के अतिंम दिनों में यह जोक बनने लगा था कि लॉकडाउन उतना ही… Continue reading “लॉकडाउन-3: पहला दिन धूमगज्जर का”…
रुही – एक पहेली: भाग-35 “तुम तो नहीं आने वाले थे”, दीपाली गुस्से में बोली “तुम्हे अकेला कैसा छोड़ देता डार्लिंग” बैग रामसिंह ने उठाया… Continue reading “रुही – एक पहेली: भाग-35”…
रूही – एक पहेली: भाग-34 राधा मोहित को उसके कमरे तक छोड़ कर आयी। जाते हुए, लड़खड़ाती आवाज़ में मोहित ने राधा के दोनों हाथ… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-34”…
फिर एक क्रांति दौर ऐसा था कि लाइसेंस परमिट राज पूरा गया नहीं था, उदारवाद उमड़कर आया नहीं था। साम्यवाद अभी सरका नहीं… Continue reading “फिर एक क्रांति”…
रूही – एक पहेली: भाग-33 सत्रह फरवरी की रात को हम सब ने पार्टी की थी भानु के घर पर। मैं दुबई से मुंबई आया… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-33”…
रूही – एक पहेली: भाग-32 “साहब मेमसाब ने पूछा है कि आप कहाँ हो? दवाई और खाने को भी पूछा, मैंने कहा कि ब्रेड खायी… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-32”…
रूही – एक पहेली: भाग-31 रूही ने साड़ी बदल ली थी, मोहित के शॉर्ट्स और उसकी टीशर्ट पहन ली थी। गर्दन झुका कर, रूही ने,… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-31”…
रूही – एक पहेली: भाग-30 25th June पूरा दिन काफी तेज़ी से गुज़रा, ऑफिस गए, कुछ कागज़ साइन करवाये रूही से, लंच किया। शॉपिंग… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-30”…
रूही – एक पहेली: भाग-29 “आप को अपनी फिर से तबियत ख़राब करनी है न?” राधा बहुत गुस्से में थी। “मैं कसम से किसी दिन… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-29”…
मनोमंथन प्रो-टैक सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन्स, शहर की सैंकड़ों साफ्टवेयर कंपनियों में से एक मध्यम आकार की आईटी कंपनी का ऑफिस। बाहर मई… Continue reading “मनोमंथन”…
रूही – एक पहेली: भाग-28 मोहित एअरपोर्ट पर इंतज़ार कर रहा था। रूही बाहर आयी तो सीधे दौड़ कर मोहित के गले लग गयी। मोहित… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-28”…
खुशामद की आमद आम से लेकर खास तक यह आम है कि प्रशंसा कानों में मिसरी सी प्रतीत होती है। उसकी मिठास घुलकर… Continue reading “खुशामद की आमद”…
रूही – एक पहेली: भाग-27 1 जून 2017 “बताओ भाई कैसे मैंनेज करोगे” “आप ही सजेस्ट करो कुछ” “ह्म्म्म….” “मुझे भी नहीं समझ आ रहा”… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-27”…
आहुति – भाग:2 लाठी का जोर दिन का पहला पहर ही था। मँझिले के घर में किशोर दयाराम के द्वारा घसीटकर लाया गया,… Continue reading “आहुति – भाग:2”…
रूही – एक पहेली: भाग-26 डायरी बंद की मोहित ने, रात के बारह बजने को थे। सुबह उसे राधा से कुछ बात करनी थी साफ़-साफ़।… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-26”…
रूही – एक पहेली: भाग-25 जलेबी जंक्शन से आधा किलो जलेबी के साथ दही भी पैक कराया मोहित ने। गरम-गरम इमरती भी उतर रही थी… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-25”…
रूही – एक पहेली: भाग-24 “उठिए भी अब, बस बहुत हुआ, ये क्या बात हुई?” राधा पीछे खड़ी हुई थी। रात घिरने लगी थी, मोहित… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-24”…
आहुति – भाग: एक साठा की शादी दशकों बाद गाँव की यह पहली कुबेरिया होगी जब नीम के पेड़ के नीचे चौपाल नहीं लगी… Continue reading “आहुति – भाग: एक”…
रूही – एक पहेली: भाग-23 आज क्या होने वाला था ? रात क्या साथ रुकने वाली थी रूही? घर क्या कह कर आई थी। सोचते-सोचते… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-23”…
रूही – एक पहेली: भाग-22 रूही एक्सपर्ट थी आग भड़काने में और बुझती हुई आग को फिर से हवा देने में। रूही तो ऐसी शै… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-22”…
राजा मेरे पिता जी चतुर्थ वर्गीय सरकारी कर्मचारी थे। बड़ी बहन और भाई के बाद मैं तीसरे नम्बर की संतान थी।… Continue reading “राजा”…
रूही – एक पहेली: भाग-21 मोहित को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसके साथ हो क्या रहा है। रूही उठी और वाशरूम की… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-21”…
छटाक भर क्रिकेट दिन भर आकाशवाणी से क्रिेकेट का आँखों देखा हाल सुनते मेरे पापा ने ही मेरे मन में क्रिकेट के प्रति… Continue reading “छटाक भर क्रिकेट”…
रूही – एक पहेली: भाग-20 शाम हो रही थी,हलकी सी कुनमुनी सी ठण्ड की चादर घेरने लगी थी शाम को। यहाँ-वहाँ देखा, कोई नहीं दिखा,… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-20”…
रुही – एक पहेली: भाग-19 “ओके.. ओके… मैं देखता हूँ” रोशन फोन पर था और रूही बच्चों को तैयार कर रही थी। जब कहीं पार्टी… Continue reading “रुही – एक पहेली: भाग-19”…
रुही – एक पहेली: भाग-18 13 फरवरी 2017 शबाना का बुके …रूही का टेक्स्ट.. “तू आएगा ना स्वीटी” आप जानते हैं ना कि कुछ चीजों… Continue reading “रुही – एक पहेली: भाग-18”…
चेन रिएक्शन: भाग-2 … गतांक से आगे “हे वाओ! बड़ा खिलाड़ी है तू यार। बता ना अपनी अनयुज़ुअल सी लस्ट स्टोरी, आय मीन… Continue reading “चेन रिएक्शन: भाग-2”…
रूही – एक पहेली: भाग-17 सुबह मोहित सो ही रहा था जब भानु आकर बोल गया कि वो निकल रहा है। “मुंबई आ जा जल्दी… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-17”…
रूही – एक पहेली: भाग-16 … गतांक से आगे शाम को जब मोहित की आँख खुली तो कमरे में अकेला था ।नज़र पड़ी तो राधा… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-16”…
घसेका और घकेका ज्ञानियों ने समय समय पर कहा है कि सदैव सकारात्मक सोचिए। हम अपना अज्ञान छिपाने के फेर में ज्ञानियों का… Continue reading “घसेका और घकेका”…
रूही – एक पहेली: भाग-15 रास्ते कैसे भी हों टेड़े-मेंढे, उलटे-सीधे, लंबे। अगर आपका हमसफ़र आपका हमनशीं भी है तो तो मंज़िल तक कौन जाना… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-15”…
एक अनोखा संवाद रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे। शहर के दक्षिणी हिस्से में लोगों की आवाजाही कम थी। तीन सौ वर्ष… Continue reading “एक अनोखा संवाद”…
लॉकडाउन पर कुछ मीठा कुछ खट्टा कोरोना संकट से निबटने के लिए देश में संपूर्ण लॉकडाउन है। समूह पलायन से डाइल्यूशन की खबरें भी आयीं। मानव… Continue reading “लॉकडाउन पर कुछ मीठा कुछ खट्टा”…
रूही – एक पहेली: भाग-14 मोहित की आँख सुबह घण्टियों की आवाज़ से खुली, खिड़की से झाँक कर देखा कुछ दिखाई नहीं दिया, सुबह हुई… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-14”…
दो घर साँझ ढ़लते ही जैसे ही समय रात्रि की चादर ओढ़ता है, दो घर कभी बेचैन तो कभी प्रसन्न हो जाते… Continue reading “दो घर”…
रूही – एक पहेली: भाग-13 “दारु कौन सी पिएगा बे कमीने?” ये तो भानु की आवाज़ थी, मोहित ने एकदम से आँखे खोली। सामने उसकी… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-13”…
रूही – एक पहेली: भाग-12 रौशन यानी रूही का पति। पर नाम का, काम घर के सारे रूही के ही जिम्मे थे। बैंक से… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-12”…
रूही – एक पहेली: भाग-11 सन 2008, महीना सितम्बर, तारीख याद नहीं। “सर, मैं रूही बोल रही हूँ” “क्या मैं मोहित जी से बात कर… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-11”…
चेन रिएक्शन: भाग-1 दिसम्बर का आखिरी हफ्ता शुरू हो चुका था। समय एक साल और बूढ़ा हो गया … पर मौसम का मिज़ाज़… Continue reading “चेन रिएक्शन: भाग-1”…
रूही – एक पहेली: भाग-10 घर पहुँचा, इंद्र जाग रहा था, थोड़ी देर गप्पें मारी और अपने रूम में चला गया मोहित। एक पेग बनाया… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-10”…
रूही – एक पहेली: भाग-9 ये हंसी बहुत अलग सी थी, बहुत अलग, वो जैसे मौत के सामने ज़िन्दगी बाहें पसार खड़ी हो। अपनी बाँहों… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-9”…
लॉकडाउन में लेखन – एक प्रयोग विगत कुछ मासों से कुछ भी नहीं लिखा था – कुछ कर्म की व्यस्तता में, कुछ निठल्लेपन के कारण।व्यंगोक्ति देखिये कि… Continue reading “लॉकडाउन में लेखन – एक प्रयोग”…
रूही – एक पहेली: भाग-8 सुबह दो जनवरी वाली नयी ज़िन्दगी थी मोहित की। तभी, राधा कमरे में आई, मोहित के हाथ से डायरी ली… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-8”…
रूही – एक पहेली: भाग-7 बारह बजे दोपहर मे लौटना तय हुआ और जैसा सालों से होता आया था, रूही का मूड बिगड़ने लगा, “तू… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-7”…
रूही – एक पहेली: भाग-6 “मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ?” “तुम कौन हो?” “ये कौन सी जगह है?” “मैं कब से यहाँ पर हूँ?”… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-6”…
रूही – एक पहेली: भाग-5 मोहित नहीं लौट पाया फिर कभी , रूही ने लौटने ही नहीं दिया फिर मोहित को। वो पहले 5 मिनट… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-5”…
शोले को लाल सलाम इतिहास किसी सटीक सहस्रकोणीय वीडियो पर आधारित नहीं होता। यह तथ्यों के अलावा इतिहासकार की कथा शैली, रूझान, आग्रह… Continue reading “शोले को लाल सलाम”…
रूही – एक पहेली: भाग-4 रूही को मोहित से बहुत प्यार था। ये बात रूही मोहित को कैसे बताती। कैसे बताती कि मोहित है तो… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-4”…
युद्ध का अंतिम दिन रणभूमि के क्षितिज पर सूर्य अस्त हो रहा था। रक्त से सनी हुई धरती ढ़लते सूर्य की केसरी किरणों से… Continue reading “युद्ध का अंतिम दिन”…
रूही – एक पहली: भाग-3 30 दिसम्बर 2009 रूही ने मोहित को कॉल किया, “There is a good news, i am expecting and you are… Continue reading “रूही – एक पहली: भाग-3”…
रूही – एक पहेली: भाग-2 साल वही 2009, महीना बारिशों का, तारीख याद नहीं, रात के 12.04 पर बात हुई, 5 मिनट तक बिज़ी मिलने… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-2”…
रूही – एक पहेली: भाग-1 दोपहर के 2 बजे का वक़्त होगा जब मोहित के मोबाइल पर घंटी बजी थी। सन 2008, महीना सितम्बर, तारीख़… Continue reading “रूही – एक पहेली: भाग-1”…
मेरी करियट्ठी माँ रोटी बनाना बंद कर फ़ोन कान से लगाए काफ़ी देर सुनती रहीं। पल-पल बदलते चेहरे के रंग और बेचैनी… Continue reading “मेरी करियट्ठी”…
तबही ए बबुआ समाजवाद आई … पिछड़ा दिल्ली जाके करी ठकुराई अगड़ा लोगन के जब लस्सा कुटाई पिछड़ा अकलियत के शरबत घोराई तबही ए बबुआ समाजवाद… Continue reading “तबही ए बबुआ समाजवाद आई …”…
तेरी याद आ रही है, तू कब आ रही है खिड़की से छनती धूप अब बिस्तर तक आ रही है सिरहाने रखी चाय कब से धुआँ उठा रही… Continue reading “तेरी याद आ रही है, तू कब आ रही है”…
जमींदारी बचपन का गया आज मैं शहर से वापस गाँव लौटा था। पूरे पसियाने में चहल-पहल थी। आस-पड़ोस की औरतें मेरे… Continue reading “जमींदारी”…
लिट्टी-चोखा के बहाने बिहार की राजनीतिक पड़ताल हमारे देश में गझिन लोकतंत्र है। दिल्ली के मालिक का रिन्युअल हुआ नहीं कि ‘कोरबो लोड़बो जीतबो’ दस्तक दे रहा… Continue reading “लिट्टी-चोखा के बहाने बिहार की राजनीतिक पड़ताल”…
फ्लाइट में एक फ्लैशबैक नौकरी का ख्वाब आया था। उस रात जब झटके से उठ कर बैठा था और बाजू में सो रहे बंटी… Continue reading “फ्लाइट में एक फ्लैशबैक”…
कॉमरेड केसरिया यह कहानी उस दौर की है जब लडकियाँ ‘बोल्ड और साइज़ ज़ीरो’ नहीं, शर्मीली और गदराई होती थीं। उनका जीन्स… Continue reading “कॉमरेड केसरिया”…
मैं सेफोलॉजिस्ट बनूँगा कई लोग तो ज्योतिष को भी विद्या मानने को तैयार नहीं, कुछ तो विज्ञान की वैज्ञानिकता पर ही सवाल उठा… Continue reading “मैं सेफोलॉजिस्ट बनूँगा”…
चुनावनामा दिल्ली का देश के आम चुनाव का या बड़े राज्यों के विधानसभा चुनावों का डंका बजता है। इस लिहाज से तो वृहतर… Continue reading “चुनावनामा दिल्ली का”…
आम बजट पर आम आदमी की आम समझ वर्षों पहले माइकल जैक्शन मुम्बई आए थे। आम जनों की छोड़िए, हमारे मुम्बईया सेलेब भी वैसे ही बावले हुए जा… Continue reading “आम बजट पर आम आदमी की आम समझ”…
असली लड़ाई खाने की है पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति पर प्रकृति को लगा होगा कि वाह क्या चीज है। हो सकता है कुछ ऐसा… Continue reading “असली लड़ाई खाने की है”…
बेटी: पिता का अभिमान गैर धर्म के व्यक्ति के साथ भागी हुई एक सवर्ण लड़की के बारे में बात हो रही थी। परिवार के… Continue reading “बेटी: पिता का अभिमान”…
विकास को प्रतिबद्ध स्वत: स्फूर्त मानव श्रृंखला की आस दुनिया के विकसित देशों में उनके कौशल और उनके या उनके उपनिवेशों के कच्चे माल व श्रम से औद्योगिक क्रांति… Continue reading “विकास को प्रतिबद्ध स्वत: स्फूर्त मानव श्रृंखला की आस”…
साहुन (भाग 1) सुरेश: साहुन भउजी आज कहाँ बिजली गिराते हुए चली जा रही हो? साहुन: साथ चलो, बताती हूँ। सुरेश:… Continue reading “साहुन”…
आई लव यू घोस्ट, बट … तुम जानती हो कि कभी-कभी मेरी इच्छा ना होने पर भी तुम मुझे अपनी ओर इस डरावने जंगल में खींचती… Continue reading “आई लव यू घोस्ट, बट …”…
दिल्ली से आइजॉल: भाग-3 … गतांक से आगे रास्ते में जेफरी ने अपने बारे में बताना आरम्भ कर दिया। उसके पिता ने मिजोरम पुलिस… Continue reading “दिल्ली से आइजॉल: भाग-3”…
दिल्ली से आइजॉल: भाग-2 … गतांक से आगे सुबह साढ़े चार बजे ही नींद खुल गयी। कमरे की खिड़की खोली तो सामने स्थित गर्वमेंट… Continue reading “दिल्ली से आइजॉल: भाग-2”…
अनकही मैं कब डरी थी बारिश की उन बूँदों से, जो आकाश से मेरे घर के आंगन को भिगोने आती हैं।… Continue reading “अनकही”…
न्यू ईयर रिजॉल्यूशन आठ पहरिया चैनलों के एंकर भयंकर, अखबारों के स्थापित स्तंभकार व मूर्धन्य ट्विटकार पूरे साल के घटनाक्रम को ‘गागर में… Continue reading “न्यू ईयर रिजॉल्यूशन”…
दिल्ली से आइजॉल: भाग-1 सुबह सात बजे की फ्लाइट लेनी थी, इसलिए रात नींद में भी जगते हुए ही कटी। सुबह तीन बजे उठना… Continue reading “दिल्ली से आइजॉल: भाग-1”…
मेरी गर्लफ्रेंड भाग-1 मेरा नाम बताना तब तक मायने नहीं रखता जब तक यह उसके होंठों से ना बताया जाए। मैं अकेला… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड”…
उफ्फ, एक और आन्दोलन! देश में आन्दोलन घोटाला का पर्याय हो चुका है। अधिकांश आन्दोलनों के कारण, उनके तरीके, उनकी प्रवृत्ति, उनका कवरेज, उनसे… Continue reading “उफ्फ, एक और आन्दोलन!”…
मेरी गर्लफेंड: भाग-12 गतांक से आगे… पूजा के जाते ही रुचि ने मुझे कहा, “वह लड़की कपिल की नहीं तुम्हारी गर्लफ्रैंड थी ना?… Continue reading “मेरी गर्लफेंड: भाग-12”…
नाम में क्या रखा है! गुलाब का नाम कुछ और होता तो भी वह सुगंधित ही होता। शायद इसी आधार पर शेक्सपीयर ने कहा कि… Continue reading “नाम में क्या रखा है!”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-11 … गतांक से आगे मेरी वजह से पूजा का करियर ख़राब हो जाएगा, ऐसा सोचकर मैं मन ही मन शर्म… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-11”…
महाराष्ट्र का थ्रिलर: क्लाइमेक्स या एंटी-क्लाइमेक्स जिस जिस पर ये जग हँसा है उसी ने इतिहास रचा है … शायर संजय राउत यह शेर गुनगुना रहे… Continue reading “महाराष्ट्र का थ्रिलर: क्लाइमेक्स या एंटी-क्लाइमेक्स”…
जोतकर नहीं जीतकर आया हूँ मेरा उद्यम ऐसा है कि फुरसत मुझे मिलती नहीं, फ्री कभी मैं होता नहीं। कभी क्लाइंट की खुशी के लिए… Continue reading “जोतकर नहीं जीतकर आया हूँ”…
जेएनयू: बौद्धिक विमर्श केन्द्र या स्वयं बहस का विषय तीन साल पहले मैं जेएनयू गया था। पढ़ने नहीं, मैं पहले से ही पढ़ुआ हूँ – ईए-बीए पास। डिग्री बता… Continue reading “जेएनयू: बौद्धिक विमर्श केन्द्र या स्वयं बहस का विषय”…
वो लिज़लिज़ी सी छुअन होली का अगला दिन,पाँचवीं बोर्ड के एक्ज़ाम। रोज़ की तरह भोर में तीन-चार बजे ही उठा दिया गया। उस दिन… Continue reading “वो लिज़लिज़ी सी छुअन”…
महाराष्ट्र सरकार या वीरबल की खिंचड़ी कम ही लोग जानते हैं कि ‘वीरबल की खिंचड़ी’ पकने में देरी इसलिए हुई क्योंकि खिंचड़ी का चावल दाल की… Continue reading “महाराष्ट्र सरकार या वीरबल की खिंचड़ी”…
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का स्मॉग मत कहो आकाश में कोहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है। सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह का,… Continue reading “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का स्मॉग”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-10 … गतांक से आगे मैं फर्स्ट ईयर पूरा करने के सपने खुली आँखों से देख रहा था। सेकेंड ईयर शुरू… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-10”…
मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-9 … गतांक से आगे शरीफ़ ने मैसेज करके मुझे कहा कि मैं माँ को लेकर कहीं जाऊँ ताकि वो दोनों… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड: भाग-9”…
तरुण भवतारिणी नाट्य कला परिषद उन दिनों दीपावली से लेकर छठ पूजा तक बिहार में अनेक गाँवों की नाट्य समितियाँ नाटकों का मंचन करती थीं।… Continue reading “तरुण भवतारिणी नाट्य कला परिषद”…
मुस्कुराइए, आप मंडली.इन पर हैं! हँसी जिन्दादिली का प्रतीक है, मुस्कुराहट जीवन्तता का प्रमाण। हँसी लाख दवाओं की एक अचूक दवा है, मुस्कुराहट स्वयं के… Continue reading “मुस्कुराइए, आप मंडली.इन पर हैं!”…
व्यंजनों पर घमासान का समाधान अधिकतर लोग जीने के लिए खाते हैं। कुछ खाने के लिए ही जीते है। आजकल कुछ लोग सिर्फ लड़ने के… Continue reading “व्यंजनों पर घमासान का समाधान”…
मेरी गर्लफ्रेंड-8 … गतांक से आगे मैथ्स के एग्जाम से यह पता चल गया था कि पूजा मेरा भला ही चाहती है।… Continue reading “मेरी गर्लफ्रेंड-8”…
बेबसी होश में आने के बावजूद शिव में आँख तक खोलने की हिम्मत नहीं बची थी। तभी दहिने हाथ पर कुछ… Continue reading “बेबसी”…