भाई दूज

सबसे प्यारा रिश्ता कौन सा है, इस पर कोई बहस ही सारे रिश्तों का अपमान है लेकिन भाई-बहन के रिश्ते में अपनापन और प्यार का रंग सबसे अनूठा होता है। किसी भी बहन के लिए सबसे कष्टदायक वह समय होगा जब वह भाई दूज या रक्षाबन्धन पर अपने भाई से न मिल पाए। कहते हैं कि बड़ी बहन भाई के लिए माँ सा किरदार निभाती है पर सत्य यह है कि बहन छोटी हो या बड़ी, माँ से कम ममता वाली नहीं होती। यह बात अलग है कि कुछ बहने माँ के साथ साथ नानी भी बन जाती हैं। भाई पिता की तरह रक्षा करता है, ज़िद भी पूरी करता है और तंग भी करता है। एक बहन के नज़रिये से मैं देखूँ तो भाई से जितना प्रेम होता है, उसकी कुछ हरकतों से चिढ़ भी उतनी ही। कभी-कभी समझ नहीं आता है कि प्यार अधिक है या चिढ़। किसी भाई के पास बचपन में बहन से चिढ़ने का प्रमुख कारण बहन के पास ‘पापा, देखो भाई पीट रहा है हमको’ जैसे अस्त्र होना है।
दुनिया का सबसे हैंडसम आदमी अपना भाई लगता है और दुनिया का सबसे लापरवाह इंसान भी अपना भाई ही। जब तक भौजाई ना आ जाए भाई से जुड़ा एक एक समान सहेज कर रखना और समय पर याद दिलाना बहनों का प्रमुख काम होता है। मैंने कई अन्य बहनों के प्रेम के इस समानुपाती चिढ़ की आदत पर गौर किया है। एक मेरी मित्र अपने इंस्टाग्राम की टाइमलाइन पर एक फोटो पोस्ट करती हैं। उस फ़ोटो में उनके कुत्ते के साथ एक व्यक्ति होता है और उस फ़ोटो का कैप्शन होता है: दो कुत्ते। समझने में तनिक देर न लगी कि जो अन्य इंसान रूपी कुत्ता है, वह मेरी मित्र का भाई है। यह माना जाता है कि पहले ज़माने में लड़कियां या महिलाएं अपशब्द नहीं बकती थीं। मेरा मानना है हम में से कई लड़कियों ने सिर्फ भाई को हो गाली देने के लिए ऐसी गालियां सीखी होंगी।
बचपन का एक किस्सा याद करती हूँ तो बहुत हँसी आती है। स्कूल में 15 अगस्त को मिलने वाली मिठाई मैं घर लेकर जाती थी। मेरा भाई मिठाई मिलते ही अपने दोस्तों के साथ उसे खाने पर टूट पड़ता था। उससे अधिक मिठाई का लालच शायद ही किसी अन्य सभ्य व्यक्ति में हो। एक बार रास्ते में वापस आते वक्त उसने ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। मैंने डर कर पूछा कि भाई, तुम्हें क्या हुआ है। उसने उत्तर दिया कि प्यास के कारण मेरी जान जा रही है। कहीं से भी पानी का इतंजाम करो। भाई तब 10 का और मैं मुश्किल से 7 बरस की थी। मैं बेचैन होकर इधर उधर देखने लगी लेकिन रास्ते मे कहीं पानी नहीं पाया। निराश होकर मैंने भाई से कहा कि कहीं भी पानी नहीं मिल रहा है, अब क्या करें। भाई ने कहा, “एक काम करो पानी नहीं मिला तो जल्दी से अपने हिस्से की मिठाई ही खिला दो वरना मेरी जान निकल जायेगी।” दुख मिठाई देने का नहीं बल्कि इस बात का है कि मेरी मासूमियत का फायदा उठाने वाला इंसान अब मुझे इमोशनल फूल कहकर हँसता है।
कैसा लगेगा आपको यदि बचपन मे आपका खुराफाती भाई स्वयं मार खाये और बिना किसी गलती के आपको भी पकड़ कर माँ से मार खिलाने ले जाए भले ही, आप कितने अच्छे और सीधे बच्चे हो। ख़ैर बचपन मे उसकी अच्छाइयाँ याद करूँ तो दो बातें ही याद आती हैं – एक स्कूल में वाटरकूलर से पानी पिलाने ले जाना और दूसरा उसका मुझमें अटूट विश्वास रखने का।
हमउम्र भाई बहन में अक्सर ऐसा होता है कि वे एक दूसरे के बड़े होने के प्रोसेस को समझ नहीं पाते है। कई बार असहज होते हैं पर प्रेम या बराबर चिढ़ हो तो बड़ा होने पर अपनापन बहुत आ जाता है। बातों में मिठास भले ना हो पर एक दूसरे की चिंता हमेशा रहती है। अपने भाई की बात करूँ तो उसने जीवन की कई बातें मुझे समझायी। 13 बरस की होंगी जब उसने स्कूल की एक लड़की की बात बतायी कि किस तरह उसके साथ पढ़ने वाला लड़का अपने दोस्तों से उस लड़की के भाई को अपना साला बता रहा था। मेरे भाई का कहना था कि तुम बड़ी हो रही हो, किसी नालायक लड़के से बात करोगी तो लोग मेरा भी मज़ाक बनाएंगे। यह बात मुझे हमेशा याद रही और रहेगी भी। आखिर यह सिर्फ किसी से अफेयर या प्रेम की बात नहीं बल्कि परिवार के प्रति उत्तरदायित्व की बात भी थी।
पुराने समय का गीत ‘मेरे भैया मेरे चंदा मेरे अनमोल रतन’ सुनकर आज भी अश्रुधारा पलकों के कोरों से फूटकर गालों को भिगो देती है। उस जमाने की बात अलग थी जब लड़कियां घर से बाहर भी जाने के लिए घर के बड़े की अनुमति और भाई का साथ माँगती थी। ज़ाहिर है उस लहजे में प्रेम व सम्मान दोनों बराबर रहते होंगे। भाई दूज के लिए घर आयी बहनों और उनके भाई के बीच यह प्यार और सम्मान यह आज भी दिखता है।
वैसे भाई दूज त्योहारों को मनाना क्यों जरूरी है? भाई-बहन का यह प्रेम तो सदैव ही रहता है। मेरे विचार से इस पवित्र बन्धन के सम्मान में यह पर्व मनाना आवश्यक है। छिन्न-भिन्न होते सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने, रिश्तों को आधुनिकता की बलि होने से बचाने, बिखरते परिवारों को जोड़े रखने और स्वकेन्द्रित होते जा रहे व्यक्ति को परिवारोन्मुख करने के लिए ऐसे पर्व को मनाना और ऐसी परम्पराओं को निर्वहन करना आवश्यक है। और यदि एक बहन की प्यारी चुहल से कहूँ तो एक दिन घूरे तक का भी आता है, भाई का क्यों नहीं।