अयोध्या की पाती
प्रिय भारतवासियों,
जम्बूद्वीप भरतखण्डे आर्यावर्ते भारतवर्ष की नगरी अयोध्या का आप सभी को सादर प्रणाम । जय राम जी की।
आशा करती हूँ कि आप सभी ने परम पावन अखिल कोटि ब्रह्मांड नायक प्रभु श्री राम के जन्मस्थान पर उनके श्री धाम मंदिर निर्माण का समाचार सुना होगा। यह अत्यंत हर्ष का विषय है, आपके लिए और स्वयं मेरे लिए भी।
आज बड़ी प्रबल इच्छा है कि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज और हनुमंत लाल जी महाराज का ध्यान कर आपके साथ अपने दर्द और प्रसन्नता साझा करूँ।
पृथ्वी पर निशाचरों का नाश करने और पूर्व निर्धारित अनेको प्रयोजनों से जब धरा धाम पर प्राणरक्षक प्रभु पधारे ना, तो सबसे अधिक प्रसन्न मैं ही हुई … उनकी अयोध्या। मैं वही अयोध्या हूँ जहाँ रघुकुल शिरोमणि राम चारो भैय्यन संग पधारे। जहाँ ‘जाके सुमिरन ते रिपु नाशा’ रिपुदमन शत्रुघ्न जन्में और साथ ही भ्रातृ प्रेम के आदर्श और रघुवर भक्ति से सराबोर भरत जी का जन्म हुआ। जिसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य श्रीराम सेवा, भक्ति और उनके प्रति समर्पण हो वह लक्ष्मण भी मेरे ही आँगन में जन्मे।
समस्त सृष्टि को पलभर में तीन पावों पर नाप लेने वाले प्रभु नारायण के अवतार मेरे लल्ला बनकर मेरे रज पर जन्मे। यहीं उनकी बाल लीलाओं में ‘ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया’ के बोल गूँजे।
फिर भी मैं कुछ पल भर के लिए दुखी रही। आप जानते हैं ना?
एक रोज एक आक्रांता आया। मेरे आँगन तक चलता आया। हाथों में तलवार लिए और निशाचरगान करते हुए जब उसने मेरी छाती पर घोड़ों के खुर से चोट करना चाहा, तो सिहर उठी थी पृथ्वी। हिल गया सिंहासन क्षीरसागर में बैठे श्री हरि नारायण का। मुझे भी कष्ट हुआ, मेरी ही छाती का पवित्र रसपान करके बड़े हुए मेरे बच्चे माँ का हाल देख रो पड़े थे। कुछ ने शीष उठाकर लड़ना भी चाहा तो उन रक्त पिपासु जीवों ने उनका रक्त मेरे रक्त से एक कर दिया।
मैं असहाय अवस्था में गिर पड़ी। मेरे सामने प्राण खोते मेरे बच्चे क्रंदन कर रहे थे। मैंने देखा कि स्वयं यमराज भी आज रो रहे थे। उनका पाश ढीला पड़ता जा रहा था। आज मानो यमदूत अट्ठाहस की जगह विलाप कर रहे थे।
मैं मूर्छित सी गिर पड़ी। फिर जिस स्थान पर कभी राम जी के चरण पड़े थे, उन पर चमड़े के जूतों ने अपवित्रता फैलाई। मेरे लल्ला के श्री धाम मंदिर को पल भर में पापियों के पाप ने जबरन आलिंगन कर लिया। मंदिर के अधिष्ठान पर भाले मारे गए, कुछ टूट भी गये। उसकी नींव इतनी गहरी थी जितनी भारतीय सभ्यता और संस्कृति। वे नींव खोदने में विफल रहे। उन राक्षसों ने शिखर और आमलक पर प्रहार किया, प्रदक्षिणा पद को क्षत विक्षत किया. गर्भगृह की ओर बढ़े …
मैं इससे अधिक दर्द भरा यह अनुभव साझा नहीं कर सकती।
मैं बताना चाहती हूँ। मैं और मेरे बच्चों ने भरसक प्रयास किया था पर हम जीत नहीं सके। हम बहुत कम नहीं थे पर हमारा स्वभाव रक्तपात से परहेज करना है। हमारे लल्ला को कुछ पलों में उन असुरों का नाश करने में शक्ति का प्रयोग भी ना करना पड़ता। एक संकल्प से समस्त पाप और पापी करोड़ो कल्पों तक दूर चले जाते। परंतु लल्ला ने मुस्कुरा कर कुछ कहा था जैसे, “समय इनसे भी बलवान है। आज तुम सभी को चोट पहुँचाने वालों का सर्वनाश निश्चित है। मैं फिर आऊंगा, मैं और मेरा अस्तित्व तब तक है जब तक सब है.. तब भी है जब कुछ नहीं होगा। मैं आ रहा हूँ लौटकर … प्रतीक्षा करोगे?”
राघव के वचन ने मेरे और मेरे बच्चों की मरणशय्या पर अंतिम पुष्प चढ़ा दिये थे। मुझे फिर से जीवनदान मिलने का आशीष देकर श्री राम मेरे और आप सभी के ह्रदय में विराज गए।
उनका ये क्रूर विनाश सिर्फ मुझ तक ही नहीं, अन्य क्षेत्रों तक भी फैला।
प्यारे देशवासियों, हमने तब से आज तक इस दर्द का अनुभव किया है। हमने वो दौर भी देखा जब उस विनाश के बाद का सृजन हो। ये आकांक्षा रखने वाले मेरे बच्चों को न्यायालयों में धकेला गया। रामलला को फरियादी बनाया गया। मैं दर्द से कराहती रही, जब सर्द दिसबंर में कारसेवकों पर गोलियाँ चलीं।
मैं हारी नहीं, मैंने लड़ना नहीं छोड़ा। और आज मैं जीत गई। आप सभी ने भी तो मेरा साथ दिया है। अनेको प्रश्न झेले हैं। मेरे लल्ला के होने का प्रमाण दिया है।
आप भी तो आए थे मेरे आँगन में। प्रशासनिक घेराबंदी और बांस बल्लियों की बैरिकेडिंग तोड़कर, आप सभी जीत गए हैं।
मैं कहना चाहती हूँ कि चारों वेद, षडदर्शन, अट्ठारह पुराण, हजारों भक्ति ग्रंथ हमारे आभूषण हैं। वे दानव इन्हें लूटकर नहीं ले जा पाए। वे अब भी हमारे बीच में हैं। आपकी अयोध्या आग्रह करती है कि उन्हें ढूँढने का प्रयास करिए। हम बहुत समृद्ध हैं।
अंत में, मैं उस क्षय के बाद कुछ वर्ष पूर्व तक मंदिर निर्माण में अडंगे उठाती सरकारों और पक्षों के लिए क्षमा की अपेक्षा के साथ भारत और समस्त विश्व के कल्याण की कामना करती हूँ।
जय राम जी की!
आपकी अयोध्या।
लेखक – शिवम (@ShivamS95184272)
#Ayodhya #ShriRamTemple #ShriRam #अयोध्या #श्रीराममंदिर #श्रीराम
बहुत बढ़िया,
मां अयोध्या का खत 🙏
यह मंडली पर मेरा पहला लेख है, श्रीमान भइया जी का बहुत धन्यवाद.
मंडली के लेखन का स्तर प्राप्त करने का प्रयास करता रहूंगा. और राम जी ने चाहा तो फिर से एक नये विचारों के साथ मिलूंगा.
मेरी किसी भी त्रुटि पर आपका क्षमादान अपेक्षित है, और टिप्पणियां, सुधार एवं विचारों का स्वागत है.
सब मेरे लिए सुधार हेतु निवेश का कार्य करते हैं.
जय राम जी की.
आपका बड़का लेखक
Good one …I wish fulfill your dream by loard rama…and also jay sree ram on ram janm bhumi victory.
This is a topic which is close to my heart… Best wishes!
Where are your contact details though? Thank you for the good
writeup. It in fact was a amusement account it. Look advanced to more added agreeable from you!
By the way, how can we communicate? bookmarked!!, I
love your website! http://linux.com
Here is my page Chrinstine